जयपुर. राजधानी जयपुर में इंडिया की सबसे बूढ़ी शेरनी बेगम ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. बेगम की उम्र करीब 30 वर्ष की बताई जा रही है. शेरनी की मौत प्राकृतिक बताई जा रही है. नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर में देश की सबसे उम्रदराज शेरनी बेगम की सोमवार दोपहर को निधन हो गया है. बेगम हाइब्रिड प्रजाति की शेरनी थी. शेरनी की मौत के बाद मेडिकल बोर्ड से शव का पोस्टमार्टम करवाया गया. पोस्टमार्टम के बाद नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर में शेरनी के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया.
वर्ष 2005 में शेरनी बेगम को झारखंड के नटराज सर्कस से जयपुर लाया गया था. शेरनी को नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर में रखा गया था. कुछ दिनों से शेरनी बीमार चल रही थी. जिसका उपचार किया जा रहा था. वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. अरविंद माथुर के नेतृत्व में मेडिकल टीम शेरनी का इलाज कर रही थी. करीब 1 साल पहले वर्ष 2019 में शेरनी बेगम को लकवा यानी पैरालाइज्ड हो गया था. जिसका पशु चिकित्सकों द्वारा इलाज किया गया. शेरनी लकवे से ठीक हो गई थी. उसके बाद कुछ दिन पहले वापस बुढ़ापे की वजह से शेरनी का स्वास्थ्य खराब हो गया. जिसके बाद सोमवार दोपहर को शेरनी ने अंतिम सांस ली. शेरनी की उम्र ज्यादा होने की वजह से मुंह में दांत भी नहीं बचे थे. जिसकी वजह से उसको भोजन भी बारीक टुकड़े करके खिलाया जाता था, यानी कि मीट का कीमा दिया जाता था. शेरनी बेगम का विशेष ख्याल रखा जा रहा था.
डीएफओ उपकार बोराना ने बताया कि वर्ष 2005 में शेरनी बेगम को नटराज सर्कस झारखंड से जयपुर के नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर में लाया गया था. उस समय शेरनी बेगम की उम्र 15 वर्ष बताई गई थी. 2005 के बाद से नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर में ही शेरनी की देखभाल की जा रही थी. वन विभाग द्वारा सर्कस से छुड़ाए गए सभी वन्यजीवों को खाने-पीने और स्वास्थ्य की देखभाल की जा रही है. करीब 15 वर्ष नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर में रहने के बाद आज शेरनी बेगम 30 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह गई.
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नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर में पशु चिकित्सकों के मेडिकल बोर्ड द्वारा पोस्टमार्टम करने के बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस दौरान वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे. पिछले कुछ दिनों से शेरनी बेगम ने खाना पीना भी छोड़ दिया था. पशु चिकित्सकों द्वारा शेरनी को इलाज दिया जा रहा था, लेकिन इसके बावजूद शेरनी ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया. शेरनी बेगम की अत्याधिक वृद्धावस्था के कारण उपचार के दौरान मृत्यु हुई है. शेरनी बेगम हाइब्रिड प्रजाति की होने के कारण ज्यादा उम्मीद तक जीवित रही. सामान्यतः एशियाटिक शेरों की उम्र 18 से 20 वर्ष होती है.
वन विभाग के मुताबिक वर्ष 2002 से विभिन्न सरकारों से शेरों और बाघों को रेस्क्यू कर नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर में लाकर देखभाल की जा रही है.