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OPS Vs NPS: असमंजस में कर्मचारी, रख दी ये मांग!

ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करके प्रदेश की गहलोत सरकार आगामी विधानसभा में राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश में है , लेकिन चुनाव से पहले ही सरकार को अपने ही फैसले को लेकर विरोध का सामना करना पढ़ सकता है (Tension On Pension). इसकी वजह है कि ओल्ड पेंशन स्कीम लाभ के लिए पीएफआरडीए बिल को संसद में निरस्त कराने की मांग.

Tension On Pension
OPS पर असमंजस
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Published : Aug 6, 2022, 9:36 AM IST

जयपुर: किसी भी सरकार के लिए कर्मचारी बहुत अहम होता है. विभागों के काम तो चलते ही हैं लेकिन वो सरकारों के बड़े वोट बैंक भी होते हैं (Tension On Pension). राजस्थान में भी कुछ ऐसा ही है. यहां साढ़े सात लाख कर्मचारी हैं जिन्हें खुश करने की कोशिश के तहत ही OPS का राग छेड़ा गया. गहलोत सरकार ने इन कर्मचारियों को खुश रखने के लिए इनकी सबसे बड़ी मांग ओल्ड पेंशन स्किम को पूरा किया. सरकार को लगा जंग जीत ली, लेकिन अब यही घोषणा गले की फांस बन रही है. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ पीएफआरडीए बिल को संसद में निरस्त करने की मांग को लेकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन की रणनीति बना रहा है.

पीएफआरडीए बिल पर रार: अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के महामंत्री तेज सिंह राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में पुरानी पेंशन योजना स्थाई रूप से लागू रह सके और पूरे देश में एनपीएस के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना लागू हो इसके लिए जरूरी है कि संसद से पीएफआरडीए बिल निरस्त किया जाए. जब तक संसद से बिल निरस्त नहीं होगा तब तक कर्मचारियों के ऊपर OPS फिर से निरस्त होने की तलवार लटकी रहेगी (OPS Vs NPS). तेज सिंह ने कहा कि प्रदेश में अगर सरकार बदल जाती है तो आने वाली सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू रखे ये जरूरी नहीं. केंद्र में बीजेपी सरकार है ऐसे में अगर बीजेपी सरकार आती है तो एनपीएस फिर से लागू होने की पूरी पूरी संभावना है , इसलिए महासंघ राज्य सरकार और केंद्र सरकार से मांग करता है कि पीएफआरडीए बिल को संसद में लाकर निरस्त किया जाए.

PFRDA बिना सब बेकार

पढ़ें-Old Pension Scheme: राज्य सरकार ने पूरा अध्ययन कर ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की है, केंद्र को भी ऐसा करना चाहिए- सीएम गहलोत

क्या है PFRDA बिल?: पेंशन फंड रेग्युलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) बिल 2011 को पेंशन बिल कहा जाता है. इसे पिछले साल 24 मार्च को लोकसभा में पेश किया गया था , इसके बाद इसे वित्तीय मामलों पर बनी स्थाई समिति को भेजा गया. सरकार ने 2005 में भी इसी तरह का बिल पेश किया था. कर्मचारी नेता तेज सिंह कहते हैं कि जब तक केंद्र सरकार पीएफआरडीए बिल संसद में वापस नहीं लेती तब तक ओल्ड पेंशन स्कीम पर तलवार हमेशा लटकी रहेगी. संसद में बिल को वापस ले तभी सही मायने में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू होगी.

बिना मांगे कुछ नही मिला: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अक्सर अपनी सभाओं में कहते हैं कि कर्मचारियों को बिना मांगे ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ दिया है. इस पर कर्मचारी नेता तेज सिंह राठौड़ कहते हैं कि बिना मांगे कुछ नहीं मिलता है. प्रदेश की जनता को भी पता है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी पता है कि ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने के लिए कर्मचारी 2004 से लगातार आंदोलन कर रहे हैं. हां ये जरूर है कि जब सरकार ने बजट में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा की उस वक्त प्रदेश स्तर पर कोई बड़ा आंदोलन इस मांग को लेकर नहीं था. सरकार ने कर्मचारियों के हित में ये फैसला किया था , लेकिन सरकार के कर्मचारियों के प्रति इतनी ही दयावान है तो जो कमेटियां बनी है कर्मचारियों की मांगों को लेकर उनकी रिपोर्ट को भी लागू करें उसमें सरकार पीछे क्यों हट रही है.

ये भी पढ़ें- राजस्थान की तर्ज पर ओल्ड पेंशन स्कीम देशभर में लागू की जाए : अजय माकन

ये भी पढ़ें- सीएम गहलोत का बड़ा निर्णय: अगले माह से 10 फीसदी एनपीएस कटौती बंद, सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा पूरा वेतन

राष्ट्रव्यापी आंदोलन की तैयारी: राठौड़ ने कहा कि सरकारें केंद्र हो या राज्य कर्मचारी और आमजन विरोधी नीतियां तेजी से लागू कर रही है. जैसे कर्मचारियों के लाखों पद खाली पड़े हैं , लेकिन नियमित नियुक्तियों से नहीं भरे जा रहे हैं . नियमित नियुक्ति नहीं करके संविदा पर नाम मात्र के फिक्स वेतन, अस्थायी, अल्पावधि नियुक्ति के सेह बिना किसी अन्य परिलाभ और बिना सामाजिक सुरक्षा के कार्मिकों की नियुक्तियां कर भारी शोषण, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का थोपा जाना, सार्वजनिक संस्थानों का निजीकरण और उन्हें बेचा जाना, वेतन विसंगतियों का निराकरण नहीं करना, बेतहाशा बढ़ती महंगाई और कामगारों की एकता को तोड़ने के लिए योजनाबद्ध प्रयास में साथ साजिशें इसके कुछ ज्वलंत उदाहरण है. सरकार की नीतियों के खिलाफ में कर्मचारी संगठन राष्ट्रवपी आंदोलन की तैयारी में हैं. केंद्र और राज्य सरकार जुड़े कर्मचारी जल्द ही बड़े आंदोलन के जरिए सरकार को गलत नीतियों के विरोध में झुकाएगी .

जयपुर: किसी भी सरकार के लिए कर्मचारी बहुत अहम होता है. विभागों के काम तो चलते ही हैं लेकिन वो सरकारों के बड़े वोट बैंक भी होते हैं (Tension On Pension). राजस्थान में भी कुछ ऐसा ही है. यहां साढ़े सात लाख कर्मचारी हैं जिन्हें खुश करने की कोशिश के तहत ही OPS का राग छेड़ा गया. गहलोत सरकार ने इन कर्मचारियों को खुश रखने के लिए इनकी सबसे बड़ी मांग ओल्ड पेंशन स्किम को पूरा किया. सरकार को लगा जंग जीत ली, लेकिन अब यही घोषणा गले की फांस बन रही है. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ पीएफआरडीए बिल को संसद में निरस्त करने की मांग को लेकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन की रणनीति बना रहा है.

पीएफआरडीए बिल पर रार: अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के महामंत्री तेज सिंह राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में पुरानी पेंशन योजना स्थाई रूप से लागू रह सके और पूरे देश में एनपीएस के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना लागू हो इसके लिए जरूरी है कि संसद से पीएफआरडीए बिल निरस्त किया जाए. जब तक संसद से बिल निरस्त नहीं होगा तब तक कर्मचारियों के ऊपर OPS फिर से निरस्त होने की तलवार लटकी रहेगी (OPS Vs NPS). तेज सिंह ने कहा कि प्रदेश में अगर सरकार बदल जाती है तो आने वाली सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू रखे ये जरूरी नहीं. केंद्र में बीजेपी सरकार है ऐसे में अगर बीजेपी सरकार आती है तो एनपीएस फिर से लागू होने की पूरी पूरी संभावना है , इसलिए महासंघ राज्य सरकार और केंद्र सरकार से मांग करता है कि पीएफआरडीए बिल को संसद में लाकर निरस्त किया जाए.

PFRDA बिना सब बेकार

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क्या है PFRDA बिल?: पेंशन फंड रेग्युलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) बिल 2011 को पेंशन बिल कहा जाता है. इसे पिछले साल 24 मार्च को लोकसभा में पेश किया गया था , इसके बाद इसे वित्तीय मामलों पर बनी स्थाई समिति को भेजा गया. सरकार ने 2005 में भी इसी तरह का बिल पेश किया था. कर्मचारी नेता तेज सिंह कहते हैं कि जब तक केंद्र सरकार पीएफआरडीए बिल संसद में वापस नहीं लेती तब तक ओल्ड पेंशन स्कीम पर तलवार हमेशा लटकी रहेगी. संसद में बिल को वापस ले तभी सही मायने में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू होगी.

बिना मांगे कुछ नही मिला: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अक्सर अपनी सभाओं में कहते हैं कि कर्मचारियों को बिना मांगे ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ दिया है. इस पर कर्मचारी नेता तेज सिंह राठौड़ कहते हैं कि बिना मांगे कुछ नहीं मिलता है. प्रदेश की जनता को भी पता है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी पता है कि ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने के लिए कर्मचारी 2004 से लगातार आंदोलन कर रहे हैं. हां ये जरूर है कि जब सरकार ने बजट में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा की उस वक्त प्रदेश स्तर पर कोई बड़ा आंदोलन इस मांग को लेकर नहीं था. सरकार ने कर्मचारियों के हित में ये फैसला किया था , लेकिन सरकार के कर्मचारियों के प्रति इतनी ही दयावान है तो जो कमेटियां बनी है कर्मचारियों की मांगों को लेकर उनकी रिपोर्ट को भी लागू करें उसमें सरकार पीछे क्यों हट रही है.

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राष्ट्रव्यापी आंदोलन की तैयारी: राठौड़ ने कहा कि सरकारें केंद्र हो या राज्य कर्मचारी और आमजन विरोधी नीतियां तेजी से लागू कर रही है. जैसे कर्मचारियों के लाखों पद खाली पड़े हैं , लेकिन नियमित नियुक्तियों से नहीं भरे जा रहे हैं . नियमित नियुक्ति नहीं करके संविदा पर नाम मात्र के फिक्स वेतन, अस्थायी, अल्पावधि नियुक्ति के सेह बिना किसी अन्य परिलाभ और बिना सामाजिक सुरक्षा के कार्मिकों की नियुक्तियां कर भारी शोषण, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का थोपा जाना, सार्वजनिक संस्थानों का निजीकरण और उन्हें बेचा जाना, वेतन विसंगतियों का निराकरण नहीं करना, बेतहाशा बढ़ती महंगाई और कामगारों की एकता को तोड़ने के लिए योजनाबद्ध प्रयास में साथ साजिशें इसके कुछ ज्वलंत उदाहरण है. सरकार की नीतियों के खिलाफ में कर्मचारी संगठन राष्ट्रवपी आंदोलन की तैयारी में हैं. केंद्र और राज्य सरकार जुड़े कर्मचारी जल्द ही बड़े आंदोलन के जरिए सरकार को गलत नीतियों के विरोध में झुकाएगी .

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