जयपुर. जलदाय विभाग का एक अजब कारनामा देखने को मिल रहा है. पानी की टंकी को लेकर एक उच्च अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, उसी अधिकारी ने टंकी को फिर से निर्माण करने का आदेश जारी कर दिया है. चोमू पुलिया के पास ढहर का बालाजी में बन रही इस टंकी का 70 फीसदी निर्माण पूरा हो चुका था. इसके बाद जांच में टंकी के सैंपल फेल हो गए थे और इसका निर्माण कार्य रोक दिया गया था.
सीकर रोड पर स्थित ढहर का बालाजी के लिए 3.30 करोड़ रुपए अलॉट हुए थे. इसमें पाइपलाइन और पानी की टंकी का निर्माण किया जाना था. इस टंकी की क्षमता 12.50 लाख लीटर है. इस टंकी में केवल 3 महीने का ही काम शेष रह गया था, लेकिन सैंपलिंग के दौरान यह टंकी फेल हो गई थी और इसका निर्माण रोक दिया गया था. इस टंकी का पानी ढहर का बालाजी की एक दर्जन से ज्यादा कॉलोनियों में सप्लाई किया जाना था और इससे 25 से 30 हजार लोगों को फायदा होना था. टंकी का निर्माण घासीराम गोयल कंस्ट्रक्शन कंपनी की ओर से किया जा रहा था.
टंकी के सैंपल फेल होने के बाद अधिशासी अभियंता पवन अग्रवाल ने इसका निर्माण कार्य रोक दिया था और इसे तोड़ने का आदेश दे दिया था. पवन अग्रवाल वही अधिकारी थे, जिन पर इस टंकी निर्माण को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे. यह मामला प्रमुख शासन सचिव तक पहुंचा. अब एमएनआईटी की रिपोर्ट आने के बाद अधिशासी अभियंता पवन अग्रवाल ने ही इस टंकी के निर्माण कार्य फिर से शुरू करने का आदेश जारी कर दिया है. अधिकारियों की मानें तो टंकी निर्माण से पहले एमएनआईटी की टीम ने टंकी का निरीक्षण भी किया था और जांच में टंकी की स्ट्रेंथ तय मापदण्ड के अनुसार पाए गए हैं.
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अधीक्षण अभियंता अजय सिंह राठौड़ का कहना है कि टंकी निर्माण से पहले एमएनआईटी की एक्सपर्ट टीम ने टंकी के स्ट्रक्चर की जांच की थी और जांच में पाया गया था कि टंकी को आगे उपयोग किया जा सकता है, उसका निर्माण भी किया जा सकता है. इसमें किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं है. इसी आधार पर अधिशाषी अभियंता ने टंकी निर्माण का आदेश जारी किया है. अजय सिंह राठौड़ के अनुसार एमएनआईटी की टीम ने माना है कि पहले जो सैंपल फेल हुए थे, उसमें कहीं न कहीं सैंपल लेने में गलती हुई थी. बता दें कि सरकारी लैब में भी टंकी के सैंपल फेल हो गए थे.