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बड़ा फैसला : अब निकाय प्रमुख बनने के लिए निर्वाचित सदस्य या पार्षद होना जरूरी नहीं, अधिसूचना आज जारी

प्रदेश में अब एक मतदाता भी नगर निगम मेयर, नगर पालिका अध्यक्ष और नगर परिषद सभापति का चुनाव लड़ सकता है. राज्य सरकार की ओर से राजस्थान नगर पालिका नियम 1994 में संशोधन कर ये फैसला लिया गया है. हालांकि अप्रत्यक्ष चुनाव होने के चलते उसके लिए मतदान सिर्फ निर्वाचित सदस्य ही कर सकेंगे.

municipal election 2019, राजस्थान नगर पालिका नियम 1994 में संशोधन
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Published : Oct 16, 2019, 10:11 PM IST

जयपुर. राज्य मंत्रिमंडल की 14 अक्टूबर को हुई बैठक में लिए गए फैसले के अनुसरण में नगर पालिका संस्थाओं में मेयर, अध्यक्ष और सभापति के पदों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष प्रणाली से करवाने के लिए राजस्थान नगर पालिका नियम 1994 में संशोधन किया गया है, जिसकी अधिसूचना बुधवार को जारी की गई.

जिसके अनुसार प्रदेश में अब एक मतदाता भी नगर निगम का मेयर, नगर पालिका का अध्यक्ष और नगर परिषद का सभापति का चुनाव लड़ सकता है. राज्य सरकार की ओर से राजस्थान नगर पालिका नियम 1994 में संशोधन कर ये फैसला लिया गया है.

राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में बड़ा फैसला, अब निकाय प्रमुख बनने के लिए निर्वाचित सदस्य या पार्षद होना जरूरी नहीं

हालांकि अप्रत्यक्ष चुनाव होने के चलते उसके लिए मतदान सिर्फ निर्वाचित सदस्य ही कर सकेंगे. इस संबंध में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने आज कोई जवाब नहीं देते हुए, गुरुवार को पत्रकार वार्ता में सभी सवालों के जवाब देने की बात कही.

पढ़ेंः Etv Bharat Exclusive: उपचुनाव करो या मरो का...मेरी जीत से कांग्रेस को जीवन : रीटा चौधरी

निर्वाचन प्रक्रिया में किये गए प्रमुख संशोधन...

  • नगरपालिका संस्था के सिर्फ निर्वाचित सदस्य ही निकाय प्रमुख के लिए मतदान कर सकेंगे.
  • निर्वाचित सदस्य और निकाय क्षेत्र का कोई भी मतदाता सदस्य बनने की पात्रता रखता है. और सदस्य बनने के लिए अयोग्य नहीं है. ऐसे में वो सम्बंधित निकाय प्रमुख का चुनाव लड़ सकता है.
  • चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को निर्धारित अमानत राशि भी जमा करानी होगी.
  • अभ्यर्थी को अपने नामांकन पत्र पर किसी निर्वाचित सदस्य के हस्ताक्षर प्रस्तावक के रूप में करवाना अनिवार्य होगा.
  • निकाय प्रमुख के चुनाव के लिए नामांकन भरने के लिए 2 दिन, नामांकन की जांच करने के लिए 1 दिन, और उम्मीदवारी वापस लेने के लिए 1 दिन का समय निर्धारित किया गया है.
  • जो व्यक्ति मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल की ओर से चुनाव लड़ने के लिए खड़ा होगा, उसे नामांकन की अंतिम तिथि को दोपहर 3 बजे तक पार्टी का अधिकृत प्रपत्र प्रस्तुत करना होगा.
  • चुनाव निर्वाचित सदस्यों की प्रथम बैठक में किया जाएगा जिसमें केवल निर्वाचित सदस्य ही मतदान करेंगे. चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति यदि सदस्य नहीं है, तो भी निकाय प्रमुख के निर्वाचन के लिए होने वाली मीटिंग में उपस्थित रहकर मतदान प्रक्रिया और मतगणना प्रक्रिया को देख सकेगा. हालांकि वह खुद मतदान नहीं करेगा.

यह भी पढ़ें- त्योहारी सीजन में सोने और चांदी के दाम में उतार-चढ़ाव, सोना 300 रुपये और चांदी 200 रुपये महंगी

बहरहाल, राज्य सरकार की ओर से अपने ही फैसले को वापस लेने पर पहले ही बीजेपी उन्हें घेरने में लगी है. वहीं अब जो संशोधन किया गया है, उसके बाद बीजेपी राज्य सरकार पर पहले से ज्यादा आक्रामक हो गई है.

जयपुर. राज्य मंत्रिमंडल की 14 अक्टूबर को हुई बैठक में लिए गए फैसले के अनुसरण में नगर पालिका संस्थाओं में मेयर, अध्यक्ष और सभापति के पदों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष प्रणाली से करवाने के लिए राजस्थान नगर पालिका नियम 1994 में संशोधन किया गया है, जिसकी अधिसूचना बुधवार को जारी की गई.

जिसके अनुसार प्रदेश में अब एक मतदाता भी नगर निगम का मेयर, नगर पालिका का अध्यक्ष और नगर परिषद का सभापति का चुनाव लड़ सकता है. राज्य सरकार की ओर से राजस्थान नगर पालिका नियम 1994 में संशोधन कर ये फैसला लिया गया है.

राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में बड़ा फैसला, अब निकाय प्रमुख बनने के लिए निर्वाचित सदस्य या पार्षद होना जरूरी नहीं

हालांकि अप्रत्यक्ष चुनाव होने के चलते उसके लिए मतदान सिर्फ निर्वाचित सदस्य ही कर सकेंगे. इस संबंध में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने आज कोई जवाब नहीं देते हुए, गुरुवार को पत्रकार वार्ता में सभी सवालों के जवाब देने की बात कही.

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निर्वाचन प्रक्रिया में किये गए प्रमुख संशोधन...

  • नगरपालिका संस्था के सिर्फ निर्वाचित सदस्य ही निकाय प्रमुख के लिए मतदान कर सकेंगे.
  • निर्वाचित सदस्य और निकाय क्षेत्र का कोई भी मतदाता सदस्य बनने की पात्रता रखता है. और सदस्य बनने के लिए अयोग्य नहीं है. ऐसे में वो सम्बंधित निकाय प्रमुख का चुनाव लड़ सकता है.
  • चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को निर्धारित अमानत राशि भी जमा करानी होगी.
  • अभ्यर्थी को अपने नामांकन पत्र पर किसी निर्वाचित सदस्य के हस्ताक्षर प्रस्तावक के रूप में करवाना अनिवार्य होगा.
  • निकाय प्रमुख के चुनाव के लिए नामांकन भरने के लिए 2 दिन, नामांकन की जांच करने के लिए 1 दिन, और उम्मीदवारी वापस लेने के लिए 1 दिन का समय निर्धारित किया गया है.
  • जो व्यक्ति मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल की ओर से चुनाव लड़ने के लिए खड़ा होगा, उसे नामांकन की अंतिम तिथि को दोपहर 3 बजे तक पार्टी का अधिकृत प्रपत्र प्रस्तुत करना होगा.
  • चुनाव निर्वाचित सदस्यों की प्रथम बैठक में किया जाएगा जिसमें केवल निर्वाचित सदस्य ही मतदान करेंगे. चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति यदि सदस्य नहीं है, तो भी निकाय प्रमुख के निर्वाचन के लिए होने वाली मीटिंग में उपस्थित रहकर मतदान प्रक्रिया और मतगणना प्रक्रिया को देख सकेगा. हालांकि वह खुद मतदान नहीं करेगा.

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बहरहाल, राज्य सरकार की ओर से अपने ही फैसले को वापस लेने पर पहले ही बीजेपी उन्हें घेरने में लगी है. वहीं अब जो संशोधन किया गया है, उसके बाद बीजेपी राज्य सरकार पर पहले से ज्यादा आक्रामक हो गई है.

Intro:जयपुर - प्रदेश में अब एक मतदाता भी नगर निगम का मेयर, नगर पालिका का अध्यक्ष और नगर परिषद का सभापति का चुनाव लड़ सकता है। राज्य सरकार की ओर से राजस्थान नगर पालिका नियम 1994 में संशोधन कर ये फैसला लिया गया है। हालांकि अप्रत्यक्ष चुनाव होने के चलते उसके लिए मतदान सिर्फ निर्वाचित सदस्य ही कर सकेंगे।


Body:राज्य मंत्रिमंडल की 14 अक्टूबर को हुई बैठक में लिए गए फैसले के अनुसरण में नगर पालिका संस्थाओं में मेयर, अध्यक्ष और सभापति के पदों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष प्रणाली से करवाने के लिए राजस्थान नगर पालिका नियम 1994 में संशोधन किया गया है। जिसकी अधिसूचना आज जारी की गई। जिसके अनुसार प्रदेश में अब एक मतदाता भी नगर निगम का मेयर, नगर पालिका का अध्यक्ष और नगर परिषद का सभापति का चुनाव लड़ सकता है। राज्य सरकार की ओर से राजस्थान नगर पालिका नियम 1994 में संशोधन कर ये फैसला लिया गया है। हालांकि अप्रत्यक्ष चुनाव होने के चलते उसके लिए मतदान सिर्फ निर्वाचित सदस्य ही कर सकेंगे। इस संबंध में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने आज कोई जवाब नहीं देते हुए, गुरुवार को पत्रकार वार्ता में सभी सवालों के जवाब देने की बात कही।
बाईट - शांति धारीवाल यूडीएच मंत्री

निर्वाचन प्रक्रिया में किये गए प्रमुख संशोधन...
- नगरपालिका संस्था के सिर्फ निर्वाचित सदस्य ही निकाय प्रमुख के लिए मतदान कर सकेंगे।
- निर्वाचित सदस्य और निकाय क्षेत्र का कोई भी मतदाता सदस्य बनने की पात्रता रखता है। और सदस्य बनने के लिए अयोग्य नहीं है। ऐसे में वो सम्बंधित निकाय प्रमुख का चुनाव लड़ सकता है।
- चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को निर्धारित अमानत राशि भी जमा करानी होगी।
- अभ्यर्थी को अपने नामांकन पत्र पर किसी निर्वाचित सदस्य के हस्ताक्षर प्रस्तावक के रूप में करवाना अनिवार्य होगा।
- निकाय प्रमुख के चुनाव के लिए नामांकन भरने के लिए 2 दिन, नामांकन की जांच करने के लिए 1 दिन, और उम्मीदवारी वापस लेने के लिए 1 दिन का समय निर्धारित किया गया है।
- जो व्यक्ति मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल की ओर से चुनाव लड़ने के लिए खड़ा होगा, उसे नामांकन की अंतिम तिथि को दोपहर 3 बजे तक पार्टी का अधिकृत प्रपत्र प्रस्तुत करना होगा।
- चुनाव निर्वाचित सदस्यों की प्रथम बैठक में किया जाएगा जिसमें केवल निर्वाचित सदस्य ही मतदान करेंगे। चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति यदि सदस्य नहीं है, तो भी निकाय प्रमुख के निर्वाचन के लिए होने वाली मीटिंग में उपस्थित रहकर मतदान प्रक्रिया और मतगणना प्रक्रिया को देख सकेगा। हालांकि वह खुद मतदान नहीं करेगा।


Conclusion:बहरहाल, राज्य सरकार की ओर से अपने ही फैसले को वापस लेने पर पहले ही बीजेपी उन्हें घेरने में लगी है। वहीं अब जो संशोधन किया गया है, उसके बाद बीजेपी राज्य सरकार पर पहले से ज्यादा आक्रामक हो गई है।
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