जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 14 नई श्रेणियों के दिव्यांगजन को राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के साधारण, द्रुतगामी और रात्रि सेवा के वाहनों में निःशुल्क यात्रा की सुविधा के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. सीएम अशोक गहलोत की इस मंजूरी के बाद केन्द्रीय दिव्यांगजन व्यक्ति अधिकार अधिनियम-2016 में शामिल तेजाब हमला पीड़ित, स्वलीनता, प्रमस्तिष्क घात, क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन, बौनापन, हीमोफीलिया, अधिरक्तचाप, बहु निशक्तता (अंधता एवं बहरापन), पार्किन्सन रोगी, सिकल सेल डिजीज, स्पेसिफिक लर्निंग डिसेबिलिटी, वाक एवं भाषा निशक्तता, मांसपेशीय दुर्विकास, मल्टीपल स्कलरोसीस तथा थैलेसीमिया से पीड़ित 14 श्रेणियों के व्यक्तियों को राजस्थान रोडवेज की बसों में निःशुल्क यात्रा की सुविधा मिल सकेगी. इसके लिए राज्य सरकार इस पर करीब 1 करोड़ 61 लाख रुपए वार्षिक वित्तीय भार वहन करेगी.
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उल्लेखनीय है कि अभी तक यूडीआईडी कार्ड धारक अंधता, श्रवण बाधित, बौद्धिक अक्षमता, कुष्ठ रोग मुक्त, चलन निशक्त, अल्प दृष्टि तथा मानसिक रोगी श्रेणियों के व्यक्तियों को निःशुल्क यात्रा की सुविधा का लाभ मिल रहा था. इस पर राज्य सरकार पहले से ही करीब 28 करोड़ रुपए का सालाना वित्तीय भार वहन कर रही है. मुख्यमंत्री की मंजूरी से अब 14 और श्रेणी के लोगों को यह लाभ मिल सकेगा.
जोधपुर की उप तहसील आऊ तहसील में क्रमोन्नत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जोधपुर जिले की आऊ उप तहसील को तहसील में क्रमोन्नत किए जाने की मंजूरी दी है. गहलोत के इस निर्णय से लोगों को स्थानीय स्तर पर ही तहसील कार्यालय से संबंधित राजस्व कार्यों के निष्पादन में आसानी होगी. नवीन तहसील आऊ में 3 भू-अभिलेख निरीक्षक वृत्त, 11 पटवार मण्डल एवं 59 राजस्व ग्राम शामिल होंगे. मुख्यमंत्री वर्ष 2021-22 के राज्य बजट में आऊ उप तहसील को तहसील कार्यालय में क्रमोन्नत करने की घोषणा की थी.
26.77 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बजट आवंटित
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट 2021-22 के वित्त एवं विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान की गई घोषणा को पूरा करते हुए हनुमानगढ़ जिले में अमरसिंह सब ब्रांच परियोजना एवं सिद्धमुख नहर सिंचाई परियोजना के मरम्मत कार्यों एवं बकाया खालों के निर्माण कार्यों के लिए 26.77 करोड़ रुपए के अतिरिक्त बजट आवंटन को मंजूरी दे दी है. अमरसिंह सब ब्रांच परियोजना एवं सिद्धमुख नहर सिंचाई परियोजना के मरम्मत कार्य जल संसाधन विभाग द्वारा करवाए जाएंगे, जबकि बकाया खालों का निर्माण कार्य सिंचित क्षेत्र विकास विभाग द्वारा करवाया जाएगा.