जयपुर. राजस्थान में हर साल सड़क हादसों में 10, 500 से ज्यादा लोग जान गंवा रहे हैं. इनमें से 2,700 से ज्यादा लोग ऐसे होते हैं जो हेलमेट नहीं पहनने या खराब क्वॉलिटी का हेलमेट पहनने के करण जान गंवाते हैं.
बहुत कम दुपहिया चालकों को यह पता है कि 1 जून 2021 से बिना आईएसआई मार्क का हेलमेट खरीदना और बेचना अपराध (Buying and selling of poor quality helmet is a crime) है. इसके बावजूद दुपहिया वाहन चालक या तो हेलमेट नहीं पहनते हैं या फिर सस्ते के चक्कर में खराब हेलमेट पहनते हैं. इस बारे में हमने रोड सेफ्टी एक्सपर्ट नेहा खुल्लर से बातचीत (conversation with road safety expert Neha Khullar) की.
दुपहिया वाहन चलाते समय या पीछे बैठते समय हेलमेट पहनना सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है. जयपुर में यह कानूनन भी जरूरी है. समय समय पर सरकार, परिवहन विभाग और सामाजिक संगठन हेलमेट के लिए जागरूकता अभियान चलाते हैं. हेलमेट नहीं लगाने पर मोटर व्हीकल एक्ट के तहत चालान (Challan under Motor Vehicle Act) भी काटे जाते हैं. राजस्थान में सड़क दुर्घटना (road accidents in Rajasthan) से होने वाली मौतों में करीब 30 फीसदी मौतें हेलमेट न होने या हेलमेट की क्वालिटी खराब होने के कारण होती हैं.
राजस्थान में 1 जून 2021 से बिना आईएसआई मार्क हेलमेट को खरीदना और बेचना अपराध की श्रेणी में शामिल किया जा चुका है. फिर भी दुपहिया चालक ट्रैफिक पुलिस के डर से ही हेलमेट लगाते हैं. एक सर्वे के अनुसार शहरी क्षेत्रों में 90 फीसदी लोग खराब क्वॉलिटी का हेलमेट सिर्फ इसलिए पहनते हैं, ताकि पुलिस के चालान से बचा जा सके. ऐसे में चंद पैसे बचाने के लिए वे जान हथेली पर रखकर चलते हैं.
जून 2021 से मानक हेलमेट पहनना जरूरी
रोड सेफ्टी को लेकर काम करने वाली नेहा खुल्लर ने बताती हैं कि भारत में प्रतिवर्ष 40 हजार लोगों की मृत्यु हेलमेट का प्रयोग नहीं करने और खराब क्वॉलिटी का हेलमेट पहनने के कारण हो रही है. राजस्थान में हर साल 10,500 लोगों की मौत सड़क दुर्घटना में हो रही है, इसमें से 30 फीसदी से ज्यादा यानी करीब 2,700 लोगों की मौत हेलमेट नहीं पहनने या खराब क्वॉलिटी का हेलमेट पहनने से हो रही है. हर दिन 7 से ज्यादा लोग सिर्फ हेमलेट न पहनने या खराब क्वॉलिटी के हेलमेट का उपयोग करने की वजह से अपनी जान गंवा रहे हैं.
नेहा कहती हैं कि बहुत कम वाहन चालकों को यह पता है कि 1 जून 2021 से बिना आईएसआई मार्क हेलमेट (ISI Mark Helmet) का उत्पादन और विक्रय अपराध हो गया है. ऐसे हेलमेट पहनने वाले दुपहिया वाहन चालक के लिए एक हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस साल एक जून से भारतीय मानक ब्यूरो यानी बीआईएस के आईएसआई मार्क वाले हेलमेट को जरूरी कर दिया है. सड़क परिवहन मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार अब गैर-आईएसआई मार्क वाले हेलमेट को बनाना और बिक्री करना गैर-कानूनी है.
कानून बन गया, लेकिन पालन नहीं होता
नेहा कहती हैं कि देश में गैर-आईएसआई मार्क वाले हेलमेट को बनाना और बेचना गैर-कानूनी है. लेकिन राजस्थान में सड़क किनारे कई ऐसे ठेले लगे हुए मिल जाएंगे जहां गैर-आईएसआई मार्क वाले हेलमेट बेचे जा रहे हैं. इसी तरह ज्यादातर दुकानों पर भी बिना मानक वाले हेलमेट बेचे जा रहे हैं. नेहा कहती हैं कि राजस्थान में कानून लागू होने के बाद अभी तक खराब क्वॉलिटी हेलमेट बेचने वालों या बनाने वालों पर कोई करवाई की गई है.
पढ़ें- राजस्थान : जोधपुर में बिना हेलमेट चालान काटने पर महिला ने किया हंगामा
जबकि कई ऐसे राज्य हैं जहां पर खराब क्वॉलिटी के हेलमेट बनाने वालों पर कार्रवाई की गई है. यहां तक कि शहरी क्षेत्र में भी दुपहिया वाहन चालक भी 90 फीसदी खराब क्वॉलिटी के हेलमेट का उपयोग करते हैं. पुलिस भी इस बात को लेकर सख्त नही हैं कि वो इस तरह के खराब क्वॉलिटी के हेलमेट पहनने वालों पर सख्त कार्रवाई करे.
शहर के बाहर बिना हेलमेट दौड़ा रहे बाइक
नेहा कहती हैं कि शहर में तो पुलिस बिना हेलमेट दुपहिया वाहन चालकों पर शिकंजा कस रही है. लेकिन शहर के बाहरी इलाकों में बाइक चालक बिना हेलमेट वाहन चला रहे हैं. वहां तक पुलिस के हाथ नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे इलाकों में रोजाना दुर्घटनाएं हो रही हैं. गांवों और शहर से सटे ग्रामीण इलाकों में दोपहिया वाहन चालक हेलमेट पहनना जरूरी नहीं समझते. इस वजह से अक्सर दुर्घटना में बाइक सवार की मौत हो जाती है. रिकॉर्ड के अनुसार 23 फीसदी शहरी और 77 फीसदी आउटर एरिया में हेलमेट नहीं पहनने से मौतें हुई हैं.
आंकड़े जो सामने हैं, उससे तीन गुणा ज्यादा मौतें
नेहा कहती हैं कि राजस्थान ही नहीं बल्कि देश भर में सड़क हादसों में मौतों को आंकड़े रिकॉर्ड से तीन गुना ज्यादा हैं. डब्ल्यूएचओ कहता है कि रिकॉर्ड में मौतों के जो आंकड़े बताए जा रहे हैं उससे तीन गुणा अधिक मौतें हर साल हो रही है. अलग अलग कानूनी पेचीदगियों के चलते मामले दर्ज नहीं होते. कई बार बाहर ही सेटलमेंट कर लिए जाते हैं.