ETV Bharat / city

NGT Slaps Penalty: राजस्थान सरकार पर 3 हजार करोड़ का जुर्माना - नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल

एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राजस्थान सरकार पर 3 हजार करोड़ का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया है. एनजीटी ने स्पष्ट किया कि यदि उल्लंघन जारी रहता है तो अतिरिक्त मुआवजा वसूलने पर विचार किया जा सकता है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Sep 16, 2022, 12:28 PM IST

Updated : Sep 16, 2022, 8:03 PM IST

जयपुर. राजस्थान पर एनजीटी ने 3,000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है (NGT imposes 3 thousand crore penalty). औद्योगिक इकाइयों के प्रदूषित पानी डिस्चार्ज का प्रबंधन नहीं करने, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए राजस्थान सरकार पर ये जुर्माना लगा है.

भिवाड़ी, भीलवाड़ा, पाली सहित आधा दर्जन जिलों की सीमेंट या अन्य फैक्ट्रियों से निकलने वाले पानी से नदियों में हो रहे प्रदूषण के चलते लगाया गया है (NGT imposes penalty on Gehlot Government).

जुर्माना जमा नहीं लगेगी पेनल्टी
एनजीटी ने कहा कि पर्यावरण के नुकसान को ध्यान में रखते हुए हम यह मानते हैं कि जल्द से जल्द अनुपालन सुनिश्चित करने के अलावा राज्य की ओर से पिछले नियमों के उल्लंघनों के लिए मुआवजे का भुगतान किया जाना चाहिए. एनजीटी ने कहा कि दो मदों (ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन) के तहत मुआवजे की अंतिम राशि 3000 करोड़ रुपये आंकी गई है, जिसे राजस्थान सरकार अलग खाते में जमा करा सकती है. एनजीटी ने स्पष्ट किया कि यदि उल्लंघन जारी रहता है तो अतिरिक्त मुआवजा वसूलने पर विचार किया जा सकता है.

पढ़ें-Bhilwara: हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के खिलाफ एनजीटी प्रकरण को लेकर जिला कलेक्टर ने ली बैठक

कोर्ट ने ये कहा
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने गुरुवार को राजस्थान की नदियों में फैक्ट्रियों के गंदे पानी से होने वाले प्रदूषण को लेकर नाराजगी जताई. कहा कि सरकार के स्तर पर बार-बार कहने पर भी इस और ध्यान नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में सीवेज प्रबंधन के संबंध में बहाली के उपायों में सीवेज उपचार और उपयोग प्रणाली की स्थापना, मौजूदा सीवेज उपचार सुविधाओं के उन्नयन प्रणालियों और संचालन को उनकी पूरी क्षमता का उपयोग सुनिश्चित करने और मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा.

इसके अलावा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के संबंध में निष्पादन योजना में आवश्यक अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना और बचे हुए 161 स्थलों का उपचार भी शामिल होगा उन्होंने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के साथ-साथ तरल अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दों की निगरानी ट्रिब्यूनल की ओर से उच्चतम न्यायालय आदेश के अनुसार की जा रही है. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के संबंध में और तरल अपशिष्ट के संबंध में 22 फरवरी, 2017 को दिए गए आदेशानुसार निगरानी रखी जा रही है. अन्य संबंधित मुद्दों में 351 नदी के हिस्सों का प्रदूषण, वायु गुणवत्ता के मामले में 124 गैर-प्राप्ति शहर, 100 प्रदूषित औद्योगिक क्लस्टर, अवैध रेत खनन इत्यादि शामिल हैं.

जयपुर. राजस्थान पर एनजीटी ने 3,000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है (NGT imposes 3 thousand crore penalty). औद्योगिक इकाइयों के प्रदूषित पानी डिस्चार्ज का प्रबंधन नहीं करने, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए राजस्थान सरकार पर ये जुर्माना लगा है.

भिवाड़ी, भीलवाड़ा, पाली सहित आधा दर्जन जिलों की सीमेंट या अन्य फैक्ट्रियों से निकलने वाले पानी से नदियों में हो रहे प्रदूषण के चलते लगाया गया है (NGT imposes penalty on Gehlot Government).

जुर्माना जमा नहीं लगेगी पेनल्टी
एनजीटी ने कहा कि पर्यावरण के नुकसान को ध्यान में रखते हुए हम यह मानते हैं कि जल्द से जल्द अनुपालन सुनिश्चित करने के अलावा राज्य की ओर से पिछले नियमों के उल्लंघनों के लिए मुआवजे का भुगतान किया जाना चाहिए. एनजीटी ने कहा कि दो मदों (ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन) के तहत मुआवजे की अंतिम राशि 3000 करोड़ रुपये आंकी गई है, जिसे राजस्थान सरकार अलग खाते में जमा करा सकती है. एनजीटी ने स्पष्ट किया कि यदि उल्लंघन जारी रहता है तो अतिरिक्त मुआवजा वसूलने पर विचार किया जा सकता है.

पढ़ें-Bhilwara: हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के खिलाफ एनजीटी प्रकरण को लेकर जिला कलेक्टर ने ली बैठक

कोर्ट ने ये कहा
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने गुरुवार को राजस्थान की नदियों में फैक्ट्रियों के गंदे पानी से होने वाले प्रदूषण को लेकर नाराजगी जताई. कहा कि सरकार के स्तर पर बार-बार कहने पर भी इस और ध्यान नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में सीवेज प्रबंधन के संबंध में बहाली के उपायों में सीवेज उपचार और उपयोग प्रणाली की स्थापना, मौजूदा सीवेज उपचार सुविधाओं के उन्नयन प्रणालियों और संचालन को उनकी पूरी क्षमता का उपयोग सुनिश्चित करने और मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा.

इसके अलावा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के संबंध में निष्पादन योजना में आवश्यक अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना और बचे हुए 161 स्थलों का उपचार भी शामिल होगा उन्होंने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के साथ-साथ तरल अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दों की निगरानी ट्रिब्यूनल की ओर से उच्चतम न्यायालय आदेश के अनुसार की जा रही है. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के संबंध में और तरल अपशिष्ट के संबंध में 22 फरवरी, 2017 को दिए गए आदेशानुसार निगरानी रखी जा रही है. अन्य संबंधित मुद्दों में 351 नदी के हिस्सों का प्रदूषण, वायु गुणवत्ता के मामले में 124 गैर-प्राप्ति शहर, 100 प्रदूषित औद्योगिक क्लस्टर, अवैध रेत खनन इत्यादि शामिल हैं.

Last Updated : Sep 16, 2022, 8:03 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.