जयपुर. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 की रिपोर्ट (NFHS Report) आ गई है. महिला एवं बालिका स्वास्थ्य और शिक्षा पर काम कर रही सामाजिक कार्यकर्ता डॉ मीता सिंह (Major Dr Meeta Singh) कहती हैं कि इस रिपोर्ट में राजस्थान को लेकर काफी कुछ आंकड़े सामने आये हैं, जो एक लिहाज से अच्छे तो हैं लेकिन पर्याप्त नहीं हैं.
लिंगानुपात में पहली बार राजस्थान में बेटियों की संख्या एक हजार के पार हुई है, यह काफी सुखद है. इससे यह पता लगता है कि बेटियों के प्रति सोच तो बदली है. शिक्षा और रोजगार में भी काफी अच्छा आंकड़ा है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र, जहां हमारे प्रदेश की 75 फीसदी आबादी निवास करती हैं वहां लिंगानुपात (Rural Sex Ratio in Rajasthan) में बेटियां पीछे हो गई हैं. जबकि पिछले एनएफएचएस-4 के सर्वे में गांव आगे थे. एक चौथाई बच्चों की कम उम्र में शादी हो रही है. बाल विवाह जैसी प्रथा आज भी जारी है. इस कलंक को हम साफ़ नहीं कर पा रहे हैं.
डॉ मीता सिंह कहती हैं कि लिंगानुपात में ग्रामीण बालिका शिशु दर (birth rate of girls in villages in Rajasthan) में गिरावट चौंकाने वाली है. पिछले आंकड़े देखें तो ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों की जन्म दर काफी अच्छी थी. लेकिन इस बार की रिपोर्ट के आंकड़े चिंताजनक हैं. ग्रामीण इलाकों में अभी भी पुत्र की चाहत बरकरार है. लिंग जांच की नई तकनीक ग्रामीण क्षेत्र में पहुंच गई है और वहां कानून की इतनी कड़ाई से पालना भी नहीं होती. जरूरत इस बात की है कि जागरूकता के साथ कानून का प्रचार प्रसार भी हो. अब जरा ग्राफिक्स के जरिये NFHS-4 और 5 के आंकड़ों को समझते हैं.
वयस्क लिंगानुपात NFHS-4 और 5 की तुलना
शिशु जन्म दर यानी Sex Rescue Of Birth
महिला शिक्षा के आंकड़ों पर नजर डालें इस बार की रिपोर्ट (Family Health Survey Report Rajasthan) में यह थोड़ा सुखद है. क्योंकि इसमें कुल 7.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.
महिला साक्षरता दर (15 से 49 वर्ष )
पुरुषों शिक्षा के आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्रामीण क्षेत्रों में हालात ठीक हुए हैं, लेकिन शहरी क्षेत्र में 1 फीसदी की गिरावट ने चौंका दिया है.
पुरुष साक्षरता दर (15 से 49 वर्ष)
उन लड़कियों के आंकड़े की बात करें जो कक्षा 10 के बाद ड्रॉप आउट हो गई, इसमें कुछ सुधार हुआ है. पहले जहां 33 फीसदी लड़कियां दसवीं कक्षा के बाद पढाई छोड़ देती थीं, अब वह आंकड़ा कम होकर 25 फीसदी पर आ गया है. डॉ मीता सिंह कहती हैं कि यह बड़ी चिंता की बात है कि सरकार और सामाजिक संगठनों के प्रयास के बावजूद अगर 25 फीसदी बच्चियां दसवीं से आगे पढाई नहीं कर पा रही हैं तो इस पर काम करने की जरूरत हैं.
सरकार को शिक्षा के मूलभूत ढांचे को मजबूत करने की जरूरत हैं. जरूरत है शिक्षा सुरक्षित माहौल में मिले. अगर ग्रामीण क्षेत्रों में देखें तो दसवीं के बाद लड़कियों को मीलों दूर पैदल जाना पड़ता है, जिसको लेकर परिवार वाले तैयार नहीं होते और लड़कियों को स्कूल छोड़ना पड़ता है.
साक्षरता दर (कक्षा 10 के बाद ड्रॉप )
राजस्थान में हर चौथी लड़की का होता है बाल विवाह
डॉ मीता सिंह कहती हैं कि एनएफएचएस - 5 सर्वे में 20 से 24 वर्ष की महिलाओं से उनकी शादी के बारे में पूछा गया तो 25 फीसदी महिलाओं ने कहा कि उनकी शादी 18 से कम उम्र में हुई है. हालांकि पिछले डेटा के हिसाब से इस बार 8 फीसदी का सुधार है. लेकिन यह काफी नहीं है. पिछले कई सालों से बाल विवाह रोकने को लेकर सरकार और सामाजिक संगठन काम कर रहे हैं.
तमाम प्रयास और कानून का इस्तेमाल करने के बाद भी अगर राजस्थान में हर चौथी लड़की का बाल विवाह होता है तो यह बड़ा शर्मनाक आंकड़ा है. 5 साल में आने वाले इस सर्वे में अगर हमने 10 फीसदी सुधार कर पाए हैं. यह हमारी व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है. इस रिपोर्ट के बाद में लगता है कि सरकार को एक बार फिर बाल विवाह को लेकर गंभीरता से काम करने की जरूरत है.
प्रजनन दर को लेकर जनसंख्या स्थिरीकरण के आंकड़े सुधार की दशा दिखा रहे हैं. इसे लेकर डॉ मीता सिंह कहती हैं प्रजनन दर में हो रहे सुधार के आंकड़े काफी अच्छे हैं.
प्रजनन दर में सुधार
अव्यवस्क मातृत्व
डॉ मीता सिंह कहती हैं कि प्रदेश में पिछले तीन बार NFHS के आंकड़े देखें तो 15 से 19 साल की बच्चियों के मां बनने के आंकड़ों में सुधार हुआ है. जो काफी सकारात्मक संकेत है. महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर किये जा रहे प्रयासों का असर है कि कम उम्र में मां बनने के रेश्यो में कमी आई है.