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अस्पताल की लापरवाही नवजातों पर भारी: दो मासूम 72 घंटे से मां के आंचल से दूर, जानिए क्यों

जयपुर के सांगानेरी गेट महिला अस्पताल में अस्पताल की लापरवाही के चलते दो मासूम 72 घंटे बाद भी अपने माता-पिता से दूर (Negligence of Jaipur hospital) हैं. दरअसल, अस्पताल में एक महिला को लड़का और एक अन्य को लड़की पैदा हुई. हालांकि बाद में अस्पताल प्रशासन ने जांच के नाम पर दोनों के परिवारों को सूचना दी कि जिसे लड़का बताया गया, उसे लड़की हुई है और जिसे लड़की का जन्म होना बताया गया था, उसे लड़का हुआ है. जानिए पूरा मामला.

Negligence of Jaipur hospital, two newborns waiting for their real parents
अस्पताल की लापरवाही: दो मासूम 72 घंटे से मां के आंचल से दूर, लड़की को नहीं अपनाना चाह रहे परिवार
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Published : Sep 6, 2022, 7:26 PM IST

Updated : Sep 27, 2022, 1:20 PM IST

जयपुर. दुनिया में आने के साथ ही दो मासूम कुछ इस तरह भटक रहे हैं कि अपनी मां का आंचल भी उन्हें नसीब नहीं हो रहा. मामला जयपुर के एक महिला अस्पताल का है, जहां 72 घंटे बीत जाने के बाद भी निशा और रेशमा को अपने बच्चों से दूर रहना पड़ रहा है. जयपुर के सांगानेरी गेट महिला अस्पताल में एक अजीब मामला देखने को मिला है. इस मामले में अस्पताल की लापरवाही साफ तौर पर सामने आई (Negligence of Jaipur hospital) है.

इस लापरवाही का खामियाजा दो मासूम नवजातों को उठाना पड़ रहा है. इसके चलते नवजात बच्चों को पिछले 72 घंटे से अपनी मां का आंचल नसीब नहीं हो पा रहा. इन नवजात बच्चों में एक लड़का और एक लड़की शामिल है. मामला 1 सितंबर का है. रेशमा और निशा की डिलीवरी सांगानेरी गेट महिला अस्पताल में हुई. डिलीवरी के बाद रेशमा को बताया गया कि उनके लड़का पैदा हुआ है जबकि निशा को बताया गया कि उनको लड़की पैदा हुई है. इस दौरान निशा और रेशमा को अस्पताल में भर्ती रखा गया. 3 दिन बाद रेशमा और निशा को कहा गया कि उनके बच्चों की जांच करनी है. जिसके बाद जब दोनों ही अपने नवजात बच्चों को लेकर चिकित्सक के पास पहुंचे, तो उन्होंने रेशमा से कहा कि आप को लड़की पैदा हुई थी और गलती से हमने आपको लड़का दे दिया. जबकि निशा को कहा गया कि आपके लड़का पैदा हुआ था, लेकिन आपको गलती से लड़की दे दी गई. इस घटना के बाद अस्पताल में हंगामा हो गया.

जन्म के 72 घंटे बाद भी अपनी मां से क्यों दूर कर दिए गए नवजात...

पढ़ें- डिलीवरी के बाद दिया लड़का, 3 दिन बाद कहा- लड़की पैदा हुई, परिजनों ने किया हंगामा

इसके बाद दोनों ही बच्चों को पिछले 3 दिन से एनआईसीयू में भर्ती किया गया है और अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि निशा और रेशमा का बच्चा कौनसा है. मामले को लेकर रेशमा के पिता का कहना है कि जब रेशमा की डिलीवरी हुई, तो हमें बताया गया था कि उसे लड़का पैदा हुआ है और कैमरे में भी यह दिखाई दे रहा है. जबकि निशा के परिजनों का कहना है कि हमें भी 3 दिन बाद बताया गया कि आपको लड़की नहीं बल्कि लड़का पैदा हुआ है. अस्पताल की इस लापरवाही के बाद दोनों ही परिवारों के लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया. निशा के परिजनों का कहना है कि अगर डॉक्टर कह रहे हैं कि निशा को लड़का पैदा हुआ है तो हम लड़का ही लेकर जाएंगे, चाहे हमें कोर्ट तक क्यों न जाना पड़े. जबकि रेशमा के परिजन भी कह रहे हैं कि हमें भी लड़का चाहिए.

पढ़ें: बड़ी लापरवाही : भरतपुर में अस्पताल के गेट पर डिलीवरी के बाद नीचे गिरा बच्चा, Video Viral

नहीं अपनाना चाहते लड़की कोः दोनों ही परिवारों के लोग लड़की को अपनाने से मना कर रहे हैं. निशा और रेशमा के परिजनों का कहना है कि हमें सिर्फ लड़का ही चाहिए. इसके लिए हम अस्पताल में धरना तक देंगे. जबकि निशा का कहना है कि मुझे मेरा बच्चा चाहिए और पिछले 3 दिनों से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी मुझे यह नहीं बताया गया है कि मेरा बच्चा कौन सा है. जबकि रेशमा का कहना है कि जब मेरी डिलीवरी हुई तो मुझे बताया गया था कि मेरे लड़का पैदा हुआ है और कागजों में भी लड़का ही बताया गया है, ऐसे में मुझे लड़का ही चाहिए.

पढ़ें: कोटा अस्पताल में बिजली जाने का मामला: मृतका की बेटी बोली- अस्पताल की लापरवाही ने ली मां की जान

अस्पताल प्रशासन बेफिक्रः अस्पताल में हुई इस लापरवाही के बाद अस्पताल प्रशासन पूरी तरह बेफिक्र नजर आ रहा है. मामले की लीपापोती के लिए अस्पताल प्रशासन की ओर से जांच कमेटी बनाई गई है. अस्पताल प्रशासन की ओर से हुई इस लापरवाही की जांच अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. दरअसल अस्पताल प्रशासन इस पूरे मामले को दबाना चाह रहा है, लेकिन अस्पताल प्रशासन से हुई इस लापरवाही के बाद दोनों ही परिवार लड़की को अपनाने से इंकार कर रहे हैं. हालांकि परिजनों का कहना है कि अस्पताल की ओर से डीएनए जांच की बात कही गई है. जबकि अस्पताल प्रशासन से जब बातचीत करनी चाही गई, तो उनका कहना था कि जब तक कमेटी अपनी जांच पूरी नहीं कर लेती तब तक कुछ कहना मुश्किल है.

पढ़ें: अस्पताल की लापरवाही से आफत में पड़ी 16 मासूमों के जान!

जयपुर. दुनिया में आने के साथ ही दो मासूम कुछ इस तरह भटक रहे हैं कि अपनी मां का आंचल भी उन्हें नसीब नहीं हो रहा. मामला जयपुर के एक महिला अस्पताल का है, जहां 72 घंटे बीत जाने के बाद भी निशा और रेशमा को अपने बच्चों से दूर रहना पड़ रहा है. जयपुर के सांगानेरी गेट महिला अस्पताल में एक अजीब मामला देखने को मिला है. इस मामले में अस्पताल की लापरवाही साफ तौर पर सामने आई (Negligence of Jaipur hospital) है.

इस लापरवाही का खामियाजा दो मासूम नवजातों को उठाना पड़ रहा है. इसके चलते नवजात बच्चों को पिछले 72 घंटे से अपनी मां का आंचल नसीब नहीं हो पा रहा. इन नवजात बच्चों में एक लड़का और एक लड़की शामिल है. मामला 1 सितंबर का है. रेशमा और निशा की डिलीवरी सांगानेरी गेट महिला अस्पताल में हुई. डिलीवरी के बाद रेशमा को बताया गया कि उनके लड़का पैदा हुआ है जबकि निशा को बताया गया कि उनको लड़की पैदा हुई है. इस दौरान निशा और रेशमा को अस्पताल में भर्ती रखा गया. 3 दिन बाद रेशमा और निशा को कहा गया कि उनके बच्चों की जांच करनी है. जिसके बाद जब दोनों ही अपने नवजात बच्चों को लेकर चिकित्सक के पास पहुंचे, तो उन्होंने रेशमा से कहा कि आप को लड़की पैदा हुई थी और गलती से हमने आपको लड़का दे दिया. जबकि निशा को कहा गया कि आपके लड़का पैदा हुआ था, लेकिन आपको गलती से लड़की दे दी गई. इस घटना के बाद अस्पताल में हंगामा हो गया.

जन्म के 72 घंटे बाद भी अपनी मां से क्यों दूर कर दिए गए नवजात...

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इसके बाद दोनों ही बच्चों को पिछले 3 दिन से एनआईसीयू में भर्ती किया गया है और अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि निशा और रेशमा का बच्चा कौनसा है. मामले को लेकर रेशमा के पिता का कहना है कि जब रेशमा की डिलीवरी हुई, तो हमें बताया गया था कि उसे लड़का पैदा हुआ है और कैमरे में भी यह दिखाई दे रहा है. जबकि निशा के परिजनों का कहना है कि हमें भी 3 दिन बाद बताया गया कि आपको लड़की नहीं बल्कि लड़का पैदा हुआ है. अस्पताल की इस लापरवाही के बाद दोनों ही परिवारों के लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया. निशा के परिजनों का कहना है कि अगर डॉक्टर कह रहे हैं कि निशा को लड़का पैदा हुआ है तो हम लड़का ही लेकर जाएंगे, चाहे हमें कोर्ट तक क्यों न जाना पड़े. जबकि रेशमा के परिजन भी कह रहे हैं कि हमें भी लड़का चाहिए.

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नहीं अपनाना चाहते लड़की कोः दोनों ही परिवारों के लोग लड़की को अपनाने से मना कर रहे हैं. निशा और रेशमा के परिजनों का कहना है कि हमें सिर्फ लड़का ही चाहिए. इसके लिए हम अस्पताल में धरना तक देंगे. जबकि निशा का कहना है कि मुझे मेरा बच्चा चाहिए और पिछले 3 दिनों से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी मुझे यह नहीं बताया गया है कि मेरा बच्चा कौन सा है. जबकि रेशमा का कहना है कि जब मेरी डिलीवरी हुई तो मुझे बताया गया था कि मेरे लड़का पैदा हुआ है और कागजों में भी लड़का ही बताया गया है, ऐसे में मुझे लड़का ही चाहिए.

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अस्पताल प्रशासन बेफिक्रः अस्पताल में हुई इस लापरवाही के बाद अस्पताल प्रशासन पूरी तरह बेफिक्र नजर आ रहा है. मामले की लीपापोती के लिए अस्पताल प्रशासन की ओर से जांच कमेटी बनाई गई है. अस्पताल प्रशासन की ओर से हुई इस लापरवाही की जांच अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. दरअसल अस्पताल प्रशासन इस पूरे मामले को दबाना चाह रहा है, लेकिन अस्पताल प्रशासन से हुई इस लापरवाही के बाद दोनों ही परिवार लड़की को अपनाने से इंकार कर रहे हैं. हालांकि परिजनों का कहना है कि अस्पताल की ओर से डीएनए जांच की बात कही गई है. जबकि अस्पताल प्रशासन से जब बातचीत करनी चाही गई, तो उनका कहना था कि जब तक कमेटी अपनी जांच पूरी नहीं कर लेती तब तक कुछ कहना मुश्किल है.

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Last Updated : Sep 27, 2022, 1:20 PM IST
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