जयपुर. कोरोना की जंग जीतने के लिए लगातार फील्ड में जुटे हुए कोरोना वॉरियर्स की सेहत का ख्याल करते हुए राजधानी के जोरावर सिंह गेट स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान इम्यूनिटी बूस्ट अप किट तैयार कर रही है. राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की विभिन्न प्रयोगशालाओं में इम्यूनिटी बूस्ट अप किट की अलग-अलग औषधियां तैयार की जा रही है. यह इम्यूनिटी बूस्ट अप किट चिकित्साकर्मी, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी और उन तमाम लोगों को नि:शुल्क वितरित की जा रही है.
कोरोना वॉरियर्स के लिए किस तरह से इम्यूनिटी बूस्ट अप किट तैयार किया जा रहा है, इसकी जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम जोरावर सिंह गेट स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान पहुंची. जहां राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के डायरेक्टर संजीव शर्मा ने बताया की विभिन्न तरह की औषधियों के मिश्रण से प्रयोगशाला में काढ़ा तैयार किया जा रहा है. इसके साथ ही इम्यूनिटी बूस्टप टेबलेट और च्यवनप्राश भी विभिन्न प्रयोगशालाओं में बनाया जा रहा है. इन तमाम औषधियों का एक किट बनाकर कोरोना वॉरियर्स को नि:शुल्क दिया जा रहा है. जैसे-जैसे इस किट की डिमांड हो रही है, उसके आधार पर लगातार किट का निर्माण किया जा रहा है.
किट का प्रयोग करने वाले कोरोना वॉरियर्स से लिया जा रहा टेलिफोनिक फीडबैक
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के डायरेक्टर संजीव शर्मा ने बताया की जिस भी कोरोना वॉरियर्स को यह किट दी जा रही है, उससे 1 सप्ताह बाद टेलिफोनिक फीडबैक भी लिया जा रहा है. टेलिफोनिक फीडबैक के आधार पर एक रिपोर्ट राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में तैयार की जा रही है. 1 सप्ताह तक किट का प्रयोग करने वाले व्यक्ति को अगले 7 दिन तक और प्रयोग करने के लिए नई किट उपलब्ध करवाई जाती है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि किट का प्रयोग करने वाले व्यक्ति को 14 दिन तक इस इम्यूनिटी बूस्ट अप किट में दी गई औषधियों का सेवन करना होता है.
वहीं संस्थान के डायरेक्टर बताते हैं के किट का प्रयोग करने वाले लोगों से अब तक सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं. संजीव शर्मा ने बताया कि यह किट कोरोना वायरस से संक्रमित होने की संभावना को कम करती है लेकिन यह कोरोना वायरस का इलाज नहीं है. कोरोना से बचने के लिए इस किट का प्रयोग करने के साथ ही लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग, हैंड सैनिटाइजिंग और सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का पालन करना जरूरी है.
कोरोना से बचाव में च्यवनप्राश की है अहम भूमिका
कोरोना से बचाव में च्यवनप्राश महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि च्यवनप्राश आंवले से बनाया जाता है, जो कि विटामिन सी का एक प्रचुर स्रोत है. कोरोना वायरस को लेकर अब तक हुई रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि विटामिन सी व्यक्ति को कोरोना से होने वाले संक्रमण से बचाने में काफी कारगर है. जिसे ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में कोरोना वॉरियर्स के लिए च्यवनप्राश का प्रयोगशाला में निर्माण किया जा रहा है.
च्यवनप्राश बनाने की विधि
डॉ. राजेंद्र प्रसाद शर्मा ने बताया कि च्यवनप्राश को बनाने की विधि में अलग-अलग स्टेप होते हैं. उन तमाम स्टेप का पालन करते हुए च्यवनप्राश का निर्माण किया जाता है. जिसमें 2 से 3 दिन का समय लगता है. पहले आंवले का पल्प तैयार किया जाता है. उसके बाद ही काढ़ा तैयार होता है. फिर अन्य औषधियां मिलाकर चाशनी तैयार की जाती है. सभी मिश्रण को एक साथ मिलाकर पाक किया जाता है और तब कहीं जाकर च्यवनप्राश का निर्माण होता है.