जयपुर. क्रिकेट को जोश, जज्बे और जुनून का खेल कहा जाता है. खिलाड़ियों के साथ ही दर्शकों में भी इस खेल की दीवानगी सिर चढ़कर बोलती है, लेकिन जब शारीरिक रूप से भिन्न क्षमता वाले दिव्यांग खिलाड़ी क्रिकेट के मैदान में दम आजमाते हैं तो आम खिलाड़ियों से कई गुना ज्यादा जोश, जज्बे और जुनून की दरकार होती है.
पहले अपनी शारीरिक भिन्नताओं से लड़ना और फिर क्रिकेट के मैदान में जोर आजमाना. यह देखकर दर्शक भी रोमांचित हो उठते हैं, लेकिन फिलहाल दिव्यांग क्रिकेट या पैरा क्रिकेट को वह जगह नहीं मिल पाई है. जिसके ये खिलाड़ी वाकई में हकदार हैं. राजधानी जयपुर में शुरू हुई तीसरी राष्ट्रीय दिव्यांग T-20 क्रिकेट प्रतियोगिता में आए इन दिव्यांग खिलाड़ियों का कहना है कि एक उम्मीद है कि कड़े संघर्ष के बाद ही सही, हमारा भी भविष्य संवर जाएगा और इसी उम्मीद के सहारे संघर्ष कर रहे हैं.
राजस्थान पैरा क्रिकेट टीम के कप्तान नरेंद्र शर्मा का कहना है कि चैलेंज क्रिकेट में आम बात है, लेकिन नॉर्मल क्रिकेट खिलाड़ी की तुलना में पैरा क्रिकेट खिलाड़ी के सामने दोहरी चुनौती होती है. उसे अपनी भिन्न क्षमता वाले शरीर से जूझते हुए मैदान की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है. इसके बाद भी पैरा खिलाड़ी अपना बेहतर प्रदर्शन देते हैं. इसलिए पैरा क्रिकेट नॉर्मल क्रिकेट से भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण है. पैरा क्रिकेट के खिलाड़ी मानसिक रूप से काफी सक्षम हैं और मेहनत भी करते हैं.
नरेंद्र सिंह राणावत का कहना है कि पैरा क्रिकेट के खिलाडी दिल से जोश और जुनून के दम पर क्रिकेट खेलते हैं, लेकिन हमारी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है. नॉर्मल क्रिकेट में जो पैसा और ग्लैमर होता है उससे पैरा क्रिकेट खिलाड़ी अभी बहुत दूर हैं. पैरा क्रिकेट के सभी खिलाड़ी शौक और जुनून के साथ ही इस मैदान में डटे हुए हैं. लेकिन उन्हें सपोर्ट किसी का नहीं है. न तो सरकार और न ही कोई निजी कंपनी पैरा क्रिकेट को आगे लाने का प्रयास कर रही है. हम नॉर्मल क्रिकेट के खिलाड़ियों की तुलना में ज्यादा मेहनत करते हैं, लेकिन आर्थिक हालात उतने अच्छे नहीं हैं. फिर परिवार की भी जिम्मेदारी है. इन तमाम विपरीत हालात के बावजूद भी हम खेलने आ रहे हैं.
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सरकार से गुजारिश है कि आगे आकर पैरा क्रिकेट के खिलाड़ियों की मदद करे. पैरा क्रिकेट खिलाड़ी राधेश्याम का कहना है कि पैरा क्रिकेट के भविष्य को लेकर हम बहुत आशान्वित हैं. आज हम यहां तीसरी राष्ट्रीय T-20 क्रिकेट प्रतियोगिता में खेलने आए हैं. यहां जानकर खुशी हुई कि बीडीसीए इंडिया की ओर से पैरा क्रिकेट का एशिया कप टूर्नामेंट करवाने की कवायद चल रही है. यह सुखद संकेत है. यहां आकर लगा है जैसे पैरा क्रिकेट के खिलाड़ियों का आने वाला भविष्य सुखद होगा.
राजस्थान डिसेबल्ड क्रिकेट एसोसिएशन (आरडीसीए) के अध्यक्ष रवि बंजारा का कहना है कि मैदान में नॉर्मल क्रिकेट के खिलाड़ियों जितना ही दमखम पैरा क्रिकेट के खिलाड़ी भी दिखा रहे हैं, लेकिन मूलभूत आवश्यकताओं की कमी के कारण पैरा क्रिकेट के खिलाड़ियों को वह प्लेटफार्म नहीं मिला है. जिसके वाकई में वे हकदार हैं. उनका कहना है कि ग्रामीण परिवेश के कई खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्हें उपयुक्त मंच नहीं मिल पाता है. हमारे पास तो बहुत कम ऐसी प्रतिभाएं पहुंच पाती है. जो हमारे पास आते हैं उनके लिए हम प्रयास भी करते हैं, लेकिन वापस जब वह अपने गांव लौटता है तो वहां उसे पर्याप्त संसाधन नहीं मिल पाते हैं.
हम चाहते हैं कि पैरा क्रिकेट के खिलाड़ियों के लिए भी ग्राउंड और अन्य मूलभूत सुविधाओं का विकास किया जाए. जितने भी जिला खेल अधिकारी हैं. उनको सरकार निर्देश दे कि पैरा क्रिकेट के खिलाड़ियों के लिए भी कैम्प लगाकर ऐसे बच्चों को आगे लाया जाए. ताकि वो अपना हुनर दिखा सके. रवि बंजारा बताते हैं कि नॉर्मल क्रिकेट के सभी नियम कायदे पैरा क्रिकेट में भी लागू होते हैं.
हमारी यह प्रतियोगिता भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के नियम के अनुसार ही हो रही है. हमारा बोर्ड भी यही चाहता है कि नॉर्मल क्रिकेट में होने वाली सारी प्रतियोगिताएं जैसे वर्ल्ड कप, आईपीएल और अन्य टूर्नामेंट पैरा क्रिकेट में भी होने चाहिए. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताएं करवाने की कवायद चल रही है. इंडियन डिसेबल्ड प्रीमियर लीग का मसौदा भी तैयार किया जा रहा है और आगामी दिनों में हमारा यह सपना साकार होगा. यह जानकारी बीडीसीए इंडिया के अध्यक्ष डॉ. बोडेपल्ली रघु ने आज यहां दी है.