जयपुर. राजस्थान के नगरीय निकायों में अब आरपीएससी के जरिए भी नगरपालिका सेवा से जुड़े कर्मचारियों की भर्ती हो पाएगी. जरूरत पड़ने पर अर्जेंट बेस पर अन्य एजेंसी से यह भर्ती आयोजित की जा सकेगी. राजस्थान विधानसभा में बुधवार को राजस्थान नगरपालिका संशोधन विधेयक 2022 पारित कर दिया गया. इस विधेयक के जरिए (Municipality Amendment Bill Passed in Rajasthan Assembly) नगर पालिका अधिनियम में दो संशोधन किए गए हैं. हालांकि, भाजपा ने इन संशोधनों का विरोध करते हुए कई सवाल खड़े किए.
सदन में यह संशोधन बिल पारित होने से पहले हुई बहस में भाजपा विधायकों ने कहा कि ऐसी क्या आवश्यकता पड़ गई कि सरकार को यह दो संशोधन लाने पड़े. विधायक राजेंद्र राठौड़, अशोक लाहोटी, अनिता भदेल और वासुदेव देवनानी ने रीट परीक्षा में हुई धांधली का मामला भी उठाया और आरपीएससी की साख पर भी सवाल खड़े किए. भाजपा विधायकों ने कहा कि जिस तरह (BJP Raised Questions on Municipality Amendment Bill) आरपीएससी की ओर से आयोजित परीक्षाओं में धांधली सामने आई है. उसके बाद इस संस्था को इस भर्ती का काम देने की क्या आवश्यकता पड़ गई?.
राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि इसी सदन में विधायक बलजीत यादव के सवाल के जवाब में कहा गया था कि इस शासन में 85 आदमियों को गिरफ्तार किया है. क्योंकि इस शासन में 8 प्रश्न पत्र लीक हुए थे. बावजूद इसके, भर्ती का यह काम राजस्थान मंत्रालय चयन बोर्ड से लेकर आरपीएससी को क्यों दिया जा रहा है?. राठौड़ ने कहा कि यह तो वही बात हो गई कि एक अधिकरण के मुंह से यह भर्तियां निकाल कर दूसरे बड़े अजगर के मुंह में डाली जा रही है. राठौड़ ने इस दौरान रीट परीक्षा लीक मामले में बर्खास्त किए गए डीपी जारोली के मामले में मंत्री से कहा कि आप 'जारोली जी' के ही दर्शन करा दीजिए, जिन्होंने कहा था कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है. राठौड़ ने कहा कि 'मंत्री जी' मैं आपकी मर्दानगी का कायल हूं और राणा प्रताप के नाम का जिक्र भी किया.
आरपीएससी बन गया है राजस्थान भ्रष्ट सेवा आयोगः भाजपा विधायक अशोक लाहोटी ने कहा कि सरकार इस संशोधन के जरिए भर्ती का अधिकार आरपीएससी को देने जा रही है. लेकिन जनता के बीच आरपीएससी तो अब राजस्थान भ्रष्ट सेवा आयोग बन चुकी है. लाहोटी ने कहा कि अच्छा होता सरकार नगर पालिकाओं और निकायों के हालात सुधारने के लिए कोई संशोधन लेकर आती. ऐसे भी पूर्व में डीएलबी ने स्वयं ही कर्मचारी चयन बोर्ड बना रखा था. बाद में अधीनस्थ कर्मचारी चयन बोर्ड के जरिए भर्ती होने लगी.
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अब अधिकार राजस्थान लोक सेवा आयोग को दिया जा रहा है. लाहोटी ने कहा कि राजस्थान में 1963 में नगर पालिका सेवा कैडर बना है, लेकिन उसके बाद 60 साल बीत गए. अब तक इसे रिव्यू नहीं किया गया. जिसके चलते राजस्थान नगरपालिका सेवा से जुड़े अधिकारियों को प्रशासनिक सेवा में जाने का मौका नहीं मिल पाता. लाहोटी ने नगर पालिकाओं में खाली चल रहे विभिन्न पदों को गिनाया और अधिकारियों को बेलगाम बताते हुए भ्रष्टाचार के आरोप तक लगा डाले.
मंत्री ने कहा- पूर्व में आरपीएससी के माध्यम से होती थी भर्तीः सदन में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि इस संशोधन का मकसद बिल्कुल साफ है कि भर्तियां आरपीएससी की जरिए भी हो. मंत्री ने कहा कि पूर्व में आरपीएससी के जरिए भर्ती होती थी, लेकिन आयोग कई बार समय का अभाव बताकर लंबा समय लगा देता था. जिसके चलते अधिनियम से उसे विलोपित कर दिया गया. लेकिन अब आयोग इस काम के लिए तैयार है, लिहाजा यह संशोधन किया जा रहा है.