ETV Bharat / city

अनूठा प्रदर्शन : बंदरों को छुड़ाने के लिए खुद हुए पिंजरे में कैद...

author img

By

Published : Jun 21, 2020, 12:39 PM IST

Updated : Jun 21, 2020, 1:24 PM IST

जयपुर नगर निगम के अधिकारियों और ठेकेदारों ने पिछले सात दिनों से बंदरों को पिंजरे में कैद करके रखा हुआ था. जिसकी सूचना कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं को मिलने पर इसका विरोध किया गया. कार्यकर्ताओं ने खुद को भी एक खाली पिंजरे में बंद कर लिया. जिसके बाद जयपुर नगर निगम प्रशासन और वन विभाग की टीम ने आनन-फानन में बंदरों को गलता घाटी में छोड़ा.

monkeys in cage, rajasthan news, जयपुर न्यूज
नगर निगम के अधिकारियों ने 7 दिन तक बंदरों को रखा पिंजरे

जयपुर. नगर निगम की कार्यशैली से न सिर्फ शहरवासी बल्कि जानवर भी परेशान हैं. इन तपते दिनों में जहां निगम के अधिकारी और ठेकेदार खुद एसी वाले कमरों में बैठे रहते हैं, वहीं बीते सात दिन से घाटगेट स्थित दबावखाने में शहर से पकड़े गए बंदरों को पिंजरे में ही बंद करके रखा हुआ था. हालांकि कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से खुद को पिंजरे में बंद कर विरोध करने के बाद आनन-फानन में निगम और वन विभाग की टीम ने बंदरों को गलता घाटी में छोड़ा. जिसके बाद जिम्मेदार इस मामले पर जवाब देने से बचते नजर आए.

नगर निगम के अधिकारियों ने 7 दिन तक बंदरों को रखा पिंजरे में

वन्य जीवों को नहीं किया जा सकता कैद...

जयपुर नगर निगम के निर्देश पर ठेकेदार और उनकी टीम की ओर से बंदरों को पकड़ने का काम किया जा रहा है, लेकिन अधिकारियों से तालमेल की कमी और ठेकेदार के बीच आपसी विवाद के चलते पिछले एक सप्ताह से पकड़े गए बंदर पिंजरे में ही कैद थे. जबकि वन्य जीव अधिनियम 1972 के तहत ये कानूनन अपराध है.

monkeys in cage, rajasthan news, जयपुर न्यूज
बंदरों को छुड़ाने के लिए खुद हुए कैद

बता दें कि इस अधिनियम के तहत 24 घंटों से ज्याद किसी भी वन्यजीव को पिंजरे में कैद नहीं रखा जा सकता हैं, लेकिन नगर निगम प्रशासन ने इन बंदरों को घाटगेट स्थित दबावखाने में बंद करके रखा था. मामले की जानकारी मिलने पर 'पीपुल्स फॉर एनीमल्स' के कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे और यहां पिंजरे में बंद बंदरों की स्थिति देखने के बाद उन्हें नहीं छोड़े जाने तक खुद को भी बंदरों के खाली पिंजरों में बंद कर लिया.

पढ़ें- जयपुर के 234 चिन्हित स्थानों में आंशिक कर्फ्यू लागू

पिंजरे में बेदर्दी से बंद बंदर...

सामाजिक कार्यकर्ता सूरज सोनी ने बताया कि बीते 7 दिन से 48 डिग्री के तापमान में बेजुबान बंदरों को पिंजरे में बेदर्दी से बंद किया हुआ है. ना ही इनके खाने पीने की व्यवस्था है, ना साफ सफाई की. नियमों के अनुसार 24 घंटे के अंदर इन बंदरों को जंगल में छोड़ने का प्रावधान है.

उन्होंने इसे वन्यजीव अधिनियम का उल्लंघन बताते हुए कहा कि निगम के ठेकेदार पर पशु क्रूरता का मामला बनता है. उन्होंने ठेकेदार और निगम के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की. साथ ही बंदरों के साथ हुई इस क्रूरता को मानवता को शर्मसार करने वाला बताया. हालांकि बाद में पुलिस, निगम और वन विभाग के अधिकारियों के मौके पर पहुंचने के बाद बन्दरों को मुक्त कर जंगल में छोड़ा गया. उधर, इस पूरे मामले पर निगम के अधिकारी जवाब देने से बचते नजर आए.

जयपुर. नगर निगम की कार्यशैली से न सिर्फ शहरवासी बल्कि जानवर भी परेशान हैं. इन तपते दिनों में जहां निगम के अधिकारी और ठेकेदार खुद एसी वाले कमरों में बैठे रहते हैं, वहीं बीते सात दिन से घाटगेट स्थित दबावखाने में शहर से पकड़े गए बंदरों को पिंजरे में ही बंद करके रखा हुआ था. हालांकि कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से खुद को पिंजरे में बंद कर विरोध करने के बाद आनन-फानन में निगम और वन विभाग की टीम ने बंदरों को गलता घाटी में छोड़ा. जिसके बाद जिम्मेदार इस मामले पर जवाब देने से बचते नजर आए.

नगर निगम के अधिकारियों ने 7 दिन तक बंदरों को रखा पिंजरे में

वन्य जीवों को नहीं किया जा सकता कैद...

जयपुर नगर निगम के निर्देश पर ठेकेदार और उनकी टीम की ओर से बंदरों को पकड़ने का काम किया जा रहा है, लेकिन अधिकारियों से तालमेल की कमी और ठेकेदार के बीच आपसी विवाद के चलते पिछले एक सप्ताह से पकड़े गए बंदर पिंजरे में ही कैद थे. जबकि वन्य जीव अधिनियम 1972 के तहत ये कानूनन अपराध है.

monkeys in cage, rajasthan news, जयपुर न्यूज
बंदरों को छुड़ाने के लिए खुद हुए कैद

बता दें कि इस अधिनियम के तहत 24 घंटों से ज्याद किसी भी वन्यजीव को पिंजरे में कैद नहीं रखा जा सकता हैं, लेकिन नगर निगम प्रशासन ने इन बंदरों को घाटगेट स्थित दबावखाने में बंद करके रखा था. मामले की जानकारी मिलने पर 'पीपुल्स फॉर एनीमल्स' के कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे और यहां पिंजरे में बंद बंदरों की स्थिति देखने के बाद उन्हें नहीं छोड़े जाने तक खुद को भी बंदरों के खाली पिंजरों में बंद कर लिया.

पढ़ें- जयपुर के 234 चिन्हित स्थानों में आंशिक कर्फ्यू लागू

पिंजरे में बेदर्दी से बंद बंदर...

सामाजिक कार्यकर्ता सूरज सोनी ने बताया कि बीते 7 दिन से 48 डिग्री के तापमान में बेजुबान बंदरों को पिंजरे में बेदर्दी से बंद किया हुआ है. ना ही इनके खाने पीने की व्यवस्था है, ना साफ सफाई की. नियमों के अनुसार 24 घंटे के अंदर इन बंदरों को जंगल में छोड़ने का प्रावधान है.

उन्होंने इसे वन्यजीव अधिनियम का उल्लंघन बताते हुए कहा कि निगम के ठेकेदार पर पशु क्रूरता का मामला बनता है. उन्होंने ठेकेदार और निगम के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की. साथ ही बंदरों के साथ हुई इस क्रूरता को मानवता को शर्मसार करने वाला बताया. हालांकि बाद में पुलिस, निगम और वन विभाग के अधिकारियों के मौके पर पहुंचने के बाद बन्दरों को मुक्त कर जंगल में छोड़ा गया. उधर, इस पूरे मामले पर निगम के अधिकारी जवाब देने से बचते नजर आए.

Last Updated : Jun 21, 2020, 1:24 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.