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विधानसभा सत्र में 2767 सवालों के माननीयों को नहीं मिले जवाब, अब तो 100 प्रश्नों की लिमिट भी बड़ी बाधा - etv bharat Rajasthan news

राजस्थान विधानसभा सत्र (Rajasthan assembly session) में विधायकों को अब तक अपने पिछले 2767 सवालों के जवाब भी नहीं मिले हैं. ऐसे में कल से नया सत्र शुरु हो रहा है. विधायकों में नाराजगी है कि जब जवाब भी नहीं मिलते प्रश्नों के तो सत्र का क्या लाभ और अब तो 100 सवालों की लिमिट भी बड़ी समस्या हो गई है.

Rajasthan assembly session
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Published : Sep 18, 2022, 5:11 PM IST

जयपुर. राजस्थान में लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत विधानसभा है और इसमें चुनकर जाने वाले विधायक सदन (Rajasthan assembly session)में अपने क्षेत्र की समस्याओं को उठाते हैं लेकिन उनको सवाल के जवाब मिल जाएं इसकी कोई गारंटी नहीं है. विधानसभा का मौजूदा सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है लेकिन इसी सत्र में कुछ माह पहले तक लगाए गए सवालों के जवाब अब तक विधायकों को नहीं मिल पाए हैं. अब भी 2767 सवाल ऐसे हैं जिनके जवाब का इंतजार (MlAs waiting for answer of 2767 qusetions) विधायक कर रहे हैं.

राजस्थान विधानसभा के मौजूदा सातवें सत्र की यदि बात करें तो मौजूदा सत्र में विधानसभा में लगे 66 प्रतिशत सवालों के जवाब तो आ चुके हैं लेकिन 44 प्रतिशत सवाल अब भी ऐसे हैं जिनके जवाब मिलना बाकी है. राजस्‍थान विधानसभा सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने बताया कि सातवें सत्र में उत्‍तरित प्रश्‍नों की संख्‍या 5289 है और अनुत्‍तरित प्रश्‍नों की संख्‍या 2767 है.

पढ़ें. विधानसभा सत्र से पहले भाजपा को झेलना पड़ेगी 'अपनों' की नाराजगी, विधायक नरपत सिंह राजवी ने कही ये बड़ी बात...

ध्यानाकर्षण और विशेष उल्लेख प्रस्ताव का यह है हाल
विधानसभा के मौजूदा सत्र में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और विशेष उल्लेख प्रस्ताव की बात करें तो ये समय-समय पर विधायकों की ओर से लगाए जाते हैं. विधानसभा सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने बताया कि ध्‍यानाकर्षण के कुल प्राप्‍त प्रस्‍तावों में से 91 प्रतिशत के जवाब प्राप्‍त हो गये हैं. मात्र 9 प्रतिशत के जवाब अभी मिलने बाकी हैं. इसी प्रकार नियम 295 में विशेष उल्‍लेख के 288 प्रस्‍ताव प्राप्‍त हुए, जिसमें से 229 सदन में पढे़ गये. इसमें 39 के जवाब ही अप्राप्‍त हैं. मतलब विशेष उल्‍लेख प्रस्‍तावों के 82 प्रतिशत जवाब प्राप्‍त हो गए हैं.

पढ़ें. आगामी विधानसभा सत्र के दौरान सदन में साइलेंट रहेगी भाजपा, ये है कारण

13 विधायकों ने पूछे लंपी रोग से जुड़े सवाल
मौजूदा विधानसभा सत्र में अब तक लंपी स्किन रोग से जुड़े दस प्रश्‍न 13 विधायकों ने पूछे हैं जिसमें से 2 प्रश्‍न एक तारांकित और एक अतारांकित सूचीबद्ध हैं. सत्र के दौरान प्रश्‍न सलाहकार की ओर से सूचीबद्ध किए जाते हैं. विधानसभा सचिव बताते हैं कि 8 प्रश्‍नों के उत्‍तर राज्‍य सरकार से मंगवाने के लिए प्रेषित किए जा चुके हैं और लंपी रोग के सम्‍बन्‍ध में विधायकों की ओर से उठाये गये किसी प्रश्‍न को नामंजूर नहीं किया गया है. मतलब साफ है कि इस बार सदन में लंपी स्किन डिजीज का मामला तो उठेगा लेकिन विधायकों ने यह मामला सदन में नहीं लगाया जितना सियासी हल्ला राजस्थान ने इस बीमारी को लेकर मच रखा है.

पढ़ें. राजस्थान विधानसभा सत्र 19 सितंबर से होगा शुरू

100 प्रश्नों का कोटा पूरा इसलिए लगे हैं कम सवाल
इस बार सरकार ने पिछले सत्र को ही आगे बढ़ाते हुए 19 तारीख से विधान सभा बुलाई है और मौजूदा सत्र में एक विधायक अधिकतम 100 सवाल पूछ सकता है. क्योंकि इस बार अधिकतर भाजपा विधायकों ने 100 प्रश्न पूछने की लिमिट या तो पूरी कर ली है या उसके आसपास ही है, ऐसे में जो सवाल बचे हैं उसमें विधायक अपने क्षेत्र के ज्वलंत मुद्दों को उठाना चाह रहे हैं.

समय पर जवाब नहीं मिलने से विधायक नाराज
विधायक चाहे सत्तापक्ष का हो या विपक्ष और निर्दलीय, इनके जो सवाल सदन में उठाए जाते हैं उसका यदि समय पर विभाग की ओर से जवाब नहीं मिले तो विधायकों में नाराजगी स्वाभाविक है. भाजपा के ऐसे कई विधायक हैं जो अपने सवालों के जवाब ना मिलने से नाराज हैं. हाल ही में भाजपा विधायक नरपत सिंह राजवी ने इस मामले में खुलकर अपनी बात भी रखी थी. वहीं नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया सदन में मुख्यमंत्री के सामने यह बात कह चुके हैं की विधानसभा में लगाए जाने वाले सवालों के संबंधित विभाग समय पर जवाब नहीं देते जिससे अति महत्वपूर्ण विषयों की प्रासंगिकता भी खत्म हो जाती है.

जयपुर. राजस्थान में लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत विधानसभा है और इसमें चुनकर जाने वाले विधायक सदन (Rajasthan assembly session)में अपने क्षेत्र की समस्याओं को उठाते हैं लेकिन उनको सवाल के जवाब मिल जाएं इसकी कोई गारंटी नहीं है. विधानसभा का मौजूदा सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है लेकिन इसी सत्र में कुछ माह पहले तक लगाए गए सवालों के जवाब अब तक विधायकों को नहीं मिल पाए हैं. अब भी 2767 सवाल ऐसे हैं जिनके जवाब का इंतजार (MlAs waiting for answer of 2767 qusetions) विधायक कर रहे हैं.

राजस्थान विधानसभा के मौजूदा सातवें सत्र की यदि बात करें तो मौजूदा सत्र में विधानसभा में लगे 66 प्रतिशत सवालों के जवाब तो आ चुके हैं लेकिन 44 प्रतिशत सवाल अब भी ऐसे हैं जिनके जवाब मिलना बाकी है. राजस्‍थान विधानसभा सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने बताया कि सातवें सत्र में उत्‍तरित प्रश्‍नों की संख्‍या 5289 है और अनुत्‍तरित प्रश्‍नों की संख्‍या 2767 है.

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ध्यानाकर्षण और विशेष उल्लेख प्रस्ताव का यह है हाल
विधानसभा के मौजूदा सत्र में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और विशेष उल्लेख प्रस्ताव की बात करें तो ये समय-समय पर विधायकों की ओर से लगाए जाते हैं. विधानसभा सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने बताया कि ध्‍यानाकर्षण के कुल प्राप्‍त प्रस्‍तावों में से 91 प्रतिशत के जवाब प्राप्‍त हो गये हैं. मात्र 9 प्रतिशत के जवाब अभी मिलने बाकी हैं. इसी प्रकार नियम 295 में विशेष उल्‍लेख के 288 प्रस्‍ताव प्राप्‍त हुए, जिसमें से 229 सदन में पढे़ गये. इसमें 39 के जवाब ही अप्राप्‍त हैं. मतलब विशेष उल्‍लेख प्रस्‍तावों के 82 प्रतिशत जवाब प्राप्‍त हो गए हैं.

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13 विधायकों ने पूछे लंपी रोग से जुड़े सवाल
मौजूदा विधानसभा सत्र में अब तक लंपी स्किन रोग से जुड़े दस प्रश्‍न 13 विधायकों ने पूछे हैं जिसमें से 2 प्रश्‍न एक तारांकित और एक अतारांकित सूचीबद्ध हैं. सत्र के दौरान प्रश्‍न सलाहकार की ओर से सूचीबद्ध किए जाते हैं. विधानसभा सचिव बताते हैं कि 8 प्रश्‍नों के उत्‍तर राज्‍य सरकार से मंगवाने के लिए प्रेषित किए जा चुके हैं और लंपी रोग के सम्‍बन्‍ध में विधायकों की ओर से उठाये गये किसी प्रश्‍न को नामंजूर नहीं किया गया है. मतलब साफ है कि इस बार सदन में लंपी स्किन डिजीज का मामला तो उठेगा लेकिन विधायकों ने यह मामला सदन में नहीं लगाया जितना सियासी हल्ला राजस्थान ने इस बीमारी को लेकर मच रखा है.

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100 प्रश्नों का कोटा पूरा इसलिए लगे हैं कम सवाल
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समय पर जवाब नहीं मिलने से विधायक नाराज
विधायक चाहे सत्तापक्ष का हो या विपक्ष और निर्दलीय, इनके जो सवाल सदन में उठाए जाते हैं उसका यदि समय पर विभाग की ओर से जवाब नहीं मिले तो विधायकों में नाराजगी स्वाभाविक है. भाजपा के ऐसे कई विधायक हैं जो अपने सवालों के जवाब ना मिलने से नाराज हैं. हाल ही में भाजपा विधायक नरपत सिंह राजवी ने इस मामले में खुलकर अपनी बात भी रखी थी. वहीं नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया सदन में मुख्यमंत्री के सामने यह बात कह चुके हैं की विधानसभा में लगाए जाने वाले सवालों के संबंधित विभाग समय पर जवाब नहीं देते जिससे अति महत्वपूर्ण विषयों की प्रासंगिकता भी खत्म हो जाती है.

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