जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय के राजस्थान कॉलेज में नमाज पढ़ने के मामले को लेकर सियासत एक बार फिर तेज होने लगी है. ताजा विवाद किशनपोल विधायक अमीन कागजी के सीएम (CM Gehlot) को लिखे पत्र के बाद शुरू हुआ है. जिसमें उन्होंने राजस्थान कॉलेज के उप प्राचार्य पर कार्रवाई की मांग की है. इस पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और राजस्थान विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (Rajasthan University Teachers Association) ने विरोध जताया है.
विधायक अमीन कागजी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने लिखा है कि कॉलेज में 11 नवंबर को एक मुस्लिम छात्र पार्क के कोने में नमाज अदा कर रहा था. जिसे गार्ड ने यह कहते हुए रोक दिया कि वाईस प्रिंसिपल आरएन शर्मा का आदेश है कि किसी को नमाज नहीं पढ़ने दी जाए. उन्होंने आरोप लगाया कि यह मामला आरएन शर्मा ने बिगाड़ा है. ऐसे में उन्होंने आरएन शर्मा पर कार्रवाई की अनुशंसा की है.
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अब इस मामले में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और राजस्थान विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (रूटा) ने विरोध जाहिर किया है. एबीवीपी के प्रदेश मंत्री होशियार मीना का कहना है कि कांग्रेस के विधायक शिक्षा के मंदिर में धार्मिक वैमनस्य फैलाने का काम कर रहे हैं. कांग्रेस के लोगों की ओर से सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश की जा रही है. उनका कहना है कि विद्यार्थी परिषद इसका पुरजोर विरोध करती है.
रूटा के अध्यक्ष जयंत सिंह ने भी विधायक की ओर से सीएम को पत्र लिखकर उप प्राचार्य पर कार्रवाई की अनुशंसा करने का विरोध जताया है. उनका कहना है कि इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री से मुलाकात की जाएगी और अपना पक्ष रखकर विरोध दर्ज करवाया जाएगा.
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अमीन कागजी को सिंडिकेट सदस्य के पद से बर्खास्त करने की मांग
राजस्थान कॉलेज के उप प्राचार्य आरएन शर्मा पर कार्रवाई करने की मांग का पत्र लिखकर किशनपोल विधायक अमीन कागजी अब विपक्षी दल भाजपा के निशाने पर आ गए हैं. पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी (Vasudev Devnani) ने कागजी पर हमला करते हुए उन्हें सिंडिकेट सदस्य के पद से बर्खास्त करने की मांग उठाई है.
देवनानी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि राजस्थान विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य और विधायक अमीन कागजी की ओर से राजस्थान महाविद्यालय में नमाज को लेकर धार्मिक उन्माद फैलाने का प्रयास किया जा रहा हैं. ऐसे कृत्य शिक्षण संस्थाओं को कट्टरवादी सोच से प्रदूषित करने को परिलक्षित करती हैं. तत्काल प्रभाव से उन्हें सिंडिकेट से निलंबित किया जाए. सरकार एक ओर पुलिस थानों में धार्मिक स्थलों के निर्माण पर रोक लगाती हैं. दूसरी ओर अपने विधायक के माध्यम से शिक्षण संस्थाओ में धार्मिक गतिविधियों का दबाव बनाती है.