जयपुर: जयपुर में राज्य सरकार के मंत्रालयिक कर्मचारियों (Ministerial Employees) ने अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. सरकार की सख्ती और मनाही को दरकिनार कर शहीद स्मारक (Ministerial Employees On Martyrs Memorial) पर ही पड़ाव डाला. जिसके बाद वे विधानसभा के लिए निकले लेकिन पुलिस की रोक के बाद वो फिर से शहीद स्मारक पर उन्होंने पड़ाव डाला है.
वेतन विसंगति सहित 7 सूत्री मागों को लेकर धरने के बाद कर्मचारियों ने विधानसभा की ओर कूच शुरू किया. हालांकि. कर्मचारी आगे बढ़ते उससे पहले ही पुलिस ने उन्हें सर्किल से आगे जाने रोक दिया. इस बीच पुलिस और कर्मचारियों के बीच गहमा-गहमी हुई लेकिन बाद में पुलिस की समझाइस पर कर्मचारी मान गए. शाहिद स्मारक के चक्कर लगा कर फिर से पड़ाव शुरू कर दिया.
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि सरकार कर्मचारियों की मांगों को लेकर जो रुख अपना रही है. उससे कर्मचारियों में रोष है. विधानसभा का घेराव करने के लिए रैली निकाल रहे है लेकिन प्रशासन कर्मचारियों की शक्ति से घबरा गया है और रैली को रोक दिया है. उन्होंने कहा कि पड़ाव जब जारी रहेगा. जब तक सरकार मांगों पर सकारात्मक रुख नहीं अपना लेती.
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अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि अखिल राजस्थान राज्य मंत्रालय कर्मचारी संघर्ष समिति (Ministerial Employees On Martyrs Memorial) के बैनर तले हम विरोध कर रहे हैं. सरकार ने इस आंदोलन को दबाने के लिए कोरोना का बहाना बनाया. अब नई कोविड गाइड लाइन के जरिये आंदोलन को दबाने की कोशिश कर रही है जिसे हम कामयाब नही होने देंगे.
मंत्रालयिक कर्मचारी गुरुवार सुबह से शहीद स्मारक पर एकत्रित हो कर धरना दे रहे हैं. प्रशासन अब रैली की अनुमति नही दे रहा. हालांकि इससे पहले धरने की भी अनुमति नही थी लेकिन कर्मचारी अपने हक के लिए एकत्रित हुए. इस बीच संघर्ष समिति विधानसभा कूच करने को लेकर भी तत्पर है.
बता दें कि गृह विभाग की ओर से कोरोना गाइडलाइन (corona guideline) को लेकर मंगलवार को दिशा निर्देश जारी किए हैं. जिसमें किसी भी तरह के सार्वजनिक कार्यक्रम , जुलूस , रैली, धरने प्रदर्शन आदि पर रोक लगा दी है. गाइड लाइन में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है. ऐसे में किसी भी तरह के सार्वजनिक कार्यक्रम या जहां पर लोग एकत्रित हों वह कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सकता. सरकार की इस गाइड लाइन के बाद भी प्रदेश के हजारों मंत्रलयिक कर्मचारी सरकार खिलाफ लामबंद होते हुए राजधानी पर पड़ाव डाले हुए हैं.
7 मांगों के साथ प्रदर्शन (7 Point Demand)
वित्त विभाग की ओर से जारी वेतन कटौती आदेश 30 अक्टूबर 2017 को निरस्त किया जाए. साथ ही शासन द्वारा जारी आदेश दिनांक 5 जुलाई 2013 का यथावत प्रभावी किया जाए
राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी संघर्ष समिति और राज्य सरकार की ओर से गोविंद शर्मा , तत्कालीन प्रमुख शासन सचिव (वित्त) के मध्य हुए शासन से समझौते के निर्णय 16 अगस्त 2013 के अनुरूप मंत्रालयिक संवर्ग के संस्थापन अधिकारी के 1000, प्रशासनिक अधिकारी के 5000, अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी के 10000 और सहायक प्रशासनिक अधिकारी 10000 कुल 26000 नवीन पदों का सृजन करना था लेकिन राज्य सरकार द्वारा कनिष्ठ लिपिक और वरिष्ठ लिपिक के पदों को कम करते हुऐ ऊपर के पदों का क्रमोन्नत किया गया है. जो कि समझौते का पूर्णतः उल्लंघन हैं. ऐसे में कम किये गये पदों को फिर से बहाल कर समझौते के अनुसार पदोन्नति के 26000 पदों में से शेष रहे 11000 पदों को नवसृजित किया जाए. साथ ही पदोन्नति के पदों पर मानदण्डों में शिथिलन दिया जाए.
शासन सचिवालय और अधीनस्थ कार्यालयों में कार्यरत मंत्रालयकि संवर्ग के राजपत्रित और अराजपत्रित पदों में व्याप्त असमानता को दूर करते हुए सचिवालय पैटर्न के अनुसार पद, पदोन्नति प्रावधान और वेतन में समानता हेतु नियमों में संशोधन किया जाए.
वित्त विभाग राजस्थान सरकार के आदेश दिनांक 24 अप्रैल 2017 को पंचायत राज संस्थाओं के 12000 मंत्रालयिक कर्मचारियों पर लागू कर राजस्थान के अन्य 122 विभागों के मंत्रालयिक कर्मचारियों की तर्ज पर कनिष्ठ सहायक से लेकर संस्थापन अधिकारी तक के पदोन्नति के पद सृजित किए जाएं, इसके साथ उक्त पंचायत राज संस्थाओं के मंत्रालयिक कर्मचारियों को अंतर जिला स्थानान्तरण में एक बारीय शिथिलन प्रदान कर पंचायत राज संस्थाओं के मंत्रालयिक कर्मचारियों को न्याय दिया जाए.
चयनित वेतनमान 9, 18, 27 के स्थान पर 8, 16, 24, 32 वर्ष की सेवा पर किया जाकर पद का लाभ दिया जाए.
मंत्रालयिक सम्वर्ग के पृथक निदेशालय की स्थापना के आदेश जारी किये जाए.
वर्ष 2018 बैच तथा यदि इनके अतिरिक्त भी कोई हो तो, ऐसे कनिष्ठ सहायकों को पूर्व की भांति अभियान चलाकर गृह जिले में पदस्थापन दिया जाए.