जयपुर. राजस्थान में बुधवार शाम को 'लिव इन रिलेशनशिप' को लेकर आया राज्य मानवाधिकार आयोग का आदेश चर्चा का विषय बना हुआ है. मानवाधिकार आयोग ने लिव इन रिलेशनशिप के खिलाफ राज्य सरकार को कानून बनाने की सिफारिश का आदेश दिया था.
मानवाधिकार आयोग के इस आदेश को लेकर प्रदेश में नई बहस शुरू हो गई है. इसके पीछे कारण है सुप्रीम कोर्ट का वह निर्णय जिसके चलते 'लिव इन रिलेशनशिप' को कानूनी मान्यता देश में मिली हुई है. लेकिन राज्य सरकार के सामने मुसीबत यह है कि वह इसे लेकर अब क्या कहे. क्योंकि मानवाधिकार आयोग ने भी इसे लेकर प्रदेश सरकार को कानून बनाने की बात कही है.
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अब प्रदेश की कांग्रेस सरकार में मंत्री सुभाष गर्ग ने कहा है कि मानवाधिकार आयोग ने सरकार को जो कानून बनाने की सिफारिश की है उसे लेकर इस आदेश का अध्ययन किया जाएगा. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने साफ कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आ चुका है. सुप्रीम कोर्ट फाइनल अथॉरिटी होती है और उसके निर्णय का अध्ययन भी राज्य सरकार करेगी.
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जिस तरह से मंत्री सुभाष गर्ग ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट फाइनल अथॉरिटी है तो ऐसे में साफ हो गया है कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ही आधार मानेगी. हालांकि उन्होंने यह जरूर स्वीकार किया है कि प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करेगी.