जयपुर. स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने आज गुरुवार को सदन में लगी अलग-अलग सवालों के जवाब देते हुए यह घोषणा की कि आगामी 2 सालों में उन सभी 15 मेडिकल कॉलेजों के भवन निर्माण और शैक्षणिक सत्र शुरू हो जाएंगे, जिनकी घोषणा राज्य सरकार ने की है. वहीं, उन्होंने यह भी घोषणा की कि अब प्रदेश में चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ की कमी नहीं है. ऐसे में प्रदेश में जो 70 पीएचसी पीपीपी मोड पर दी गई है. उन्हें समय अवधि पूरी होते ही राज्य सरकार अपने हाथ में ले लेगी.
दरअसल, आज विधानसभा में सिरोही में मेडिकल कॉलेज स्वीकृत करने और उन में शैक्षणिक सत्र चालू होने संबंधित सवाल लगा, जिसके जवाब में स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि इस मेडिकल कॉलेज में भवन निर्माण के लिए टेंडर इसी सप्ताह में हो जाएगा और 2 साल के अंदर बिल्डिंग भी पूरी कर देंगे और मेडिकल कॉलेज का पहला बैच हम अपने ही कार्यकाल में ही शुरू कर देंगे. इसके साथ ही मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि सिरोही ही नहीं, बल्कि प्रदेश के सभी 15 मेडिकल कॉलेज के भवन का निर्माण 2 साल के अंदर कर लिया जाएगा और सभी 15 मेडिकल कॉलेज में 2 साल में सभी में शैक्षणिक सत्र भी शुरू कर लिया जाएगा.
पढ़ें : दीया कुमारी ने फोन टैपिंग मामले में की CBI जांच की मांग, विश्वेंद्र सिंह ने किया रीट्वीट
वहीं, झुंझुनू में पीपीपी मोड पर संचालित चिकित्सा संस्थानों का आगे समयावधि पूर्ण होने के बाद नवीनीकरण नहीं किये जाने और राज्य सरकार खुद ही इनका संचालन करेगी. इस पर विधायक ने पूछा कि इन में अनियमितता है और इनके समयावधि क्या होती है और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को बिना नीति निर्धारण के पीपीपी मोड पर क्यों दे दिया गया था, उसका उद्देश्य क्या था. इस पर मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के 15-16 के बजट में राजस्थान की 70 पीएचसी और 26 यूपीएससी को यह कहते हुए पीपीपी मोड पर देने का फैसला किया था कि देश के चिकित्सालय महाविद्यालय, निजी चिकित्सालय, ट्रस्ट और जनरल प्रैक्टिशनर द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में पीएचसी चलाए जाने की योजना चालू की जाएगी.
इसके चलते एक्जिस्टिंग पीएससी को पीपीपी मोड पर पर चलाया जाएगा और क्योंकि उस समय डॉक्टर नहीं थे, पैरामेडिकल स्टाफ नहीं था, इस कारण से पीपीपी मोड पर देने की योजना आई थी. लेकिन अब हमने डॉक्टर की भर्ती कर ली है, नर्सिंग स्टाफ की भर्ती कर ली है तो अब डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ की कमी की समस्या नहीं रही है. कुछ पीएससी के साथ 2016 में एमओयू हुआ था और कुछ का 2017 में एमओयू हुआ था. इन एमओयू का समय जैसे ही खत्म होगा, ना केवल झुंझुनू की 9 बल्कि राजस्थान की 70 पीएचसी जो पूर्व सरकार ने पीपीपी मोड पर दी थी उसे राज्य सरकार खुद संचालित करेगी.