जयपुर. प्रदेश में दलितों के विकास के लिए निर्धारित बजट को अफसर खर्च नहीं कर पा रहे हैं. मामले की पूरी जानकारी जब सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल को मिली तो उन्होंने बुधवार को सचिवालय में 25 विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर जमकर लताड़ लगाई.
सचिवालय में अनुसूचित जाति उप योजना अंतर्गत राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में सामने आया कि अनुसूचित जाति के विकास के लिए जो बजट सरकार के स्तर पर दिया जाता है, उसे अफसरों ने खर्च ही नहीं किया. अनुसूचित जाति के विकास के लिए निर्धारित बजट को खर्च नहीं कर पाने पर सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने कड़ी नाराजगी जताई.
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मंत्री मेघवाल ने कहा, कि वर्ष 2019-20 में राज्य की 17 फीसदी अनुसूचित जाति पर 2 खरब 8 अरब 69 करोड़ रुपए खर्च करने चाहिए थे, लेकिन अब तक केवल एक खरब 15 अरब 86 करोड़ रुपए खर्च हो पाए. उन्होंने बताया कि अफसर जल्दबाजी में अंतिम महीनों जनवरी, फरवरी और मार्च में बजट खर्च कर देते हैं, इसलिए यह पता नहीं चलता कि यह बजट अनुसूचित जाति के विकास पर खर्च हुआ या नहीं.
मेघवाल ने कहा, कि अब विभागों से लिखित में खर्च का पूरा ब्यौरा मांगा गया है ताकि विकास के कामकाज की एक बुकलेट तैयार की जा सके. यह बुकलेट सभी विधायकों, ग्राम सरपंच और प्रधान को दी जाएगी, जिससे यह जानकारी मिल सके कि मोहल्ले में सड़क, पानी की पाइप लाइन और अन्य विकास कार्य हुए या नहीं. मेघवाल ने बताया कि राज्य कमेटी की अगली बैठक में लिखित में हर विभाग का ब्यौरा लिया जाएगा.
उन्होंने बताया कि अब हर विभाग की मॉनिटरिंग की जाएगी, ताकि अनुसूचित जाति के विकास पर जो बजट निर्धारित किया गया है उसे खर्च क्यों नहीं किया जा रहा. उन्होंने कहा कि पिछले सरकार में 5 साल में एक बार ही राज्य स्तरीय कमेटी की बैठक हुई, लेकिन गहलोत सरकार में 1 साल के भीतर कमेटी की दूसरी बैठक है. इसे साफ है कि प्रदेश की सरकार किस तरीके से अनुसूचित जाति के विकास के को लेकर गंभीर है.