जयपुर. ज्यादा दिन नहीं बीते जब खेल मंत्री अशोक चांदना ने सोशल मीडिया के जरिए अपने इस्तीफे की पेशकश तक कर दी थी (Chandna on bureaucracy conflict ). फिर उनका मान मनौव्वल हुआ और वो खामोश हो गए. माना गया कि चांदना-रांका विवाद का पटाक्षेप हो गया है (Chandna On Kuldeep Ranka). इस बीच सोमवार को मंत्री चांदना ने कुछ ऐसा कह दिया जो जताता है कि नाराजगी अभी बाकी है.
क्या कहा चांदना ने?: मंत्री अशोक चांदना ने कहा- ब्यूरोक्रेसी से टकराव, ब्यूरोक्रेसी और जनप्रतिनिधियों के बीच नजरिए का टकराव है. सरकार भले ही कोई भी रही हो शुरू से चलता आया है और आगे भी चलता रहेगा. मंत्री अशोक चांदना ने कहा कि यह टकराव कभी बंद नहीं होगा और इसकी कोई गारंटी नहीं है कि 2 दिन बाद यह टकराव दोबारा नहीं होगा. अब्यूरोक्रेसी जनता की समस्याओं को अलग नजरिए से देखती है और हमको रोज जनसुनवाई करनी पड़ती है. जनता की समस्याओं को हम अलग नजरिए से देखते हैं, यही ब्यूरोक्रेसी और हमारे बीच नजरिए का टकराव है. ऐसे में समस्याएं रोज आती है और जब नजरिया अलग होता है तो उनमें टकराव भी हो जाता है. हम जनता की नजर से देखते हैं और हमारी परीक्षा हर 5 साल में उसी जनता के सामने होती है.
पुरानी है अदावत: दरअसल, अशोक चांदना के सीएम के प्रमुख सचिव से रिलेशन अच्छे नहीं रहे हैं. इसका इजहार उन्होंने सार्वजनिक पटल पर भी किया. अशोक चांदना ने मई में कुलदीप रांका पर निशाना साधते हुए ट्ववीट किया था. लिखा था- जलालत झेलने से अच्छा है कि मेरे विभागों का चार्ज कुलदीप रांका को दे दिया जाए. इसे चांदना के इस्तीफे की तरह ही देखा गया. सियासी गलियारों में कानाफूसी तेज हो गई. इसके अगले ही दिन चांदना ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की. जिसके बाद उनकी शिकायत दूर हो गई थी.
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पहली बार नहीं है जब किसी जन प्रतिनिधि ने ब्यूरोक्रेसी को लेकर सवाल नहीं उठाए हैं. बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा से लेकर वाजिब अली और तमाम ऐसे विधायकों की फेहरिस्त लम्बी है जो नौकरशाही को लेकर अपना विरोध जताते रहे हैं.