जयपुर. लॉकडाउन 2.0 तीन मई को पूरा होगा. इससे पहले राजधानी जयपुर के विभिन्न हिस्सों में मौजूद प्रवासी मजदूर अब घर वापसी का इंतजार कर रहे हैं. इन मजदूरों के मुताबिक लॉकडाउन के बीच काम बंद होने और तंग आर्थिक हालत के कारण वे लोग अब और ज्यादा वक्त के लिए जयपुर में नहीं रुकना चाहते हैं. इन लोगों का कहना है कि राजस्थान सरकार जल्द बिहार सरकार से बात करके उनकी घर वापसी की राह को सुगम बनाएं.
ईटीवी भारत की टीम ने जयपुर के औद्योगिक इलाकों में मौजूद प्रवासी मजदूरों की स्थिति को जानने के लिए जमीनी हालात का जायजा लिया. इस दौरान एक आयरन वर्क से जुड़ी हुई फैक्ट्री में ईटीवी भारत की टीम पहुंची, जहां 50 से ज्यादा मजदूर लेबर क्वार्टर में ठहरे हुए थे. इनमें से अधिकांश मजदूर बिहार के छपरा, गया और सिवान जिले से आए थे.
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अभी ठेकेदार के भरोसे कर रहे गुजारा
मजदूरों का कहना था कि प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद वे लोग पलायन करने की जगह अपनी फैक्ट्री में बने क्वार्टर में ही रुक गए थे. इसके बाद एक बार फिर लॉकडाउन बढ़ गया और अब लॉकडाउन को 1 महीने से भी ज्यादा का समय हो गया है. ऐसी परिस्थितियों में इन लोगों के पास अब जमा धन खर्च हो चुका है और ठेकेदार के रहमों करम पर यह लोग गुजारा कर रहे हैं.
सरकारी हेल्पलाइन पर सिर्फ आश्वासन मिलते हैं...
प्रवासी मजदूरों ने बताया कि ठेकेदार की तरफ से सिर्फ एक वक्त खाना मिलता है, जिसमें यह लोग अपना पूरा दिन गुजार लेते हैं. इन लोगों ने यह भी जानकारी दी कि ठेकेदार अब उन्हें 3 मई तक ही भोजन उपलब्ध करवाएगा, उसके बाद भोजन भी उन्हें नहीं दिया जाएगा. ऐसे हालात में यह मजदूर और डर गए हैं. उनका कहना है कि सरकारी हेल्पलाइन पर भी बात करने पर सिर्फ आश्वासन ही मिलते हैं.
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बिहार सरकार ने जताई असमर्थता
बता दें कि कोटा के कोचिंग छात्रों की घर वापसी के बाद राजस्थान सरकार ने प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए अपने स्तर पर कवायद शुरू की थी. लेकिन केंद्र की गाइडलाइन के मुताबिक लॉकडाउन के चलते जो जहां पर हैं उन्हें वहीं रहना होगा. ऐसे हालात में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार को लिखा गया था, जिसके जवाब में दोनों सरकारों ने प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी पर असमर्थता जताई थी.
प्रवासी मजदूरों के लिए राजस्थान सरकार चिंतित
हालांकि, राजस्थान सरकार बार-बार कह रही है कि वे प्रवासी मजदूरों के लिए चिंतित है और वे चाहते हैं कि गैरकानूनी रूप से पलायन से पहले स्क्रीनिंग और जांच के बाद इन श्रमिकों को इनके घरों तक पहुंचा दिया जाए. वहीं दूसरी तरफ देश में पैर पसार रही कोरोना के असर को देखते हुए केंद्र सरकार कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है.