जयपुर. जियो और जीने दो का दिव्य संदेश देने वाले, विश्व वन्दनीय जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का 2620वां जन्म कल्याणक महोत्सव रविवार को भक्ति भाव से मनाया गया. इस मौके पर शहर के मंदिरों में जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक के बाद विश्व शांति व कोरोना महामारी से बचाव के लिए शांतिधारा की गई, जिसका श्रद्धालुओं ने घरों में रहकर ही ऑनलाइन लाभ उठाया.
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महावीर जयन्ती पर कोरोना के चलते श्रद्धालुओं द्वारा घरों में ही भाव पूजा की जाकर जन्मोत्सव मनाया गया. इस साल कोरोना के चलते दर्शनार्थियों के लिए मंदिरों के बन्द होने के कारण मंदिरों में विशेष आयोजन नहीं हो पाये और पुजारी या निश्चित श्रावकों द्वारा ही भगवान महावीर के जन्माभिषेक किये गये. तत्पश्चात विश्व में सुख शांति और समृद्धि की कामना के साथ शांतिधारा की गई.
वहीं नित्य पूजा के बाद भगवान महावीर की अष्ट द्रव्य से पूजा अर्चना की जाकर ''जनम चैतसित तेरस के दिन, कुण्डलपुर कन वरना, सुरगिर सुरगुरु पूज रचायो, मैं पूजो भव हरना. मोहि राखो हो सरना श्री वर्धमान जिनराय जी'' का उच्चारण करते हुए जन्म कल्याणक अर्घ्य चढ़ाया गया. उसके बाद महाआरती के बाद समापन हुआ. वहीं जैन बन्धुओं द्वारा इन सभी आयोजनों का ऑनलाइन लाभ उठाया गया.
इस मौके पर श्रद्धालुओं ने घरों में रहकर ही दिन में महावीराष्ठक, श्री वर्धमान स्तोत्र आदि स्तुति की गई इससे पूर्व प्रातः छतों पर जाकर भगवान महावीर जन्म कल्याणक प्रभातफेरी के प्रतीक स्वरुप जयकारे लगाते हुये कोरोना गाइडलाइन व दिशा-निर्देशों की पालना सुनिश्चित करते हुए परिवार जनों की प्रभातफेरी निकाली गई. घरों के बाहर मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाकर 24 दीपक प्रज्जवलित किये गये. चोकी पर विराजमान भगवान महावीर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर, पूजा अर्चना के बाद महाआरती की गई कई स्थानों पर मानव सेवा के कार्य किए गए. सायकांल महाआरती के बाद ऑनलाइन धार्मिक प्रतियोगिताए व प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम किये गये. जिनमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण शामिल हुए.