जयपुर. राजसमंद उपचुनाव में एक जनसभा को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने महाराणा प्रताप को लेकर अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल किया. इसके बाद भाजपा मुख्यालय में राजपूत करणी सेना की ओर से विरोध प्रदर्शन किया गया. इसको लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि गुलाबचंद कटारिया की ओर से इस मामले में क्षमा याचना के बाद हमारी तरफ से इस मामले का पटाक्षेप हो चुका है.
पूनिया ने कहा कि निश्चित रूप से इस मामले में सियासत हो रही है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया आजकल एक ऐसा माध्यम हो गया है जिसमें किसी भी तरीके की खबर परोसी जा सकती है. पूनिया ने पूर्व में भी महाराणा प्रताप से जुड़े मोमेंटो से जुड़े विवाद के बारे में कहा कि उस मामले में जिस तरह की चर्चा हुई उसमें चित्तौड़गढ़ के सांसद सीपी जोशी ने भी खेत प्रकट किया. साथ ही भाजपा के आधिकारिक पेज पर उस पर खेद प्रकट किया गया.
वहीं, इस घटनाक्रम में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने रविवार को अपना वीडियो जारी कर सार्वजनिक रूप से भूल सुधार कर क्षमा याचना भी की. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि सभ्य समाज में इतना पर्याप्त है.
कटारिया ने दूसरी बार जारी किया वीडियो
इस मामले में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने लगातार दूसरे दिन वीडियो जारी कर अपना खेद प्रकट किया. कटारिया ने अपने पहले वीडियो में कहा था कि उनकी मंशा महाराणा प्रताप जैसे महापुरुषों की वीरता और त्याग को प्रकट करने की थी, लेकिन उनके बयानों का गलत अर्थ निकाला गया.
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वहीं, मंगलवार को जारी किए गए वीडियो में गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि महाराणा प्रताप के संघर्ष को मैंने जिन घटनाओं से जोड़ा वो मेरा चयन ठीक नहीं था और उसके कारण आपमें से कई लोगों के मन को ठेस लगी. आपमें से कई लोगों ने मुझे सुझाव दिया, मैं उनको धन्यवाद देता हूं क्योंकि आपने मुझे उस अच्छाई की ओर जाने के लिए प्रेरित किया.
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कटारिया ने कहा कि मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मैं वीर महाराणा प्रताप के प्रति अपने मन में जो भाव रखता हूं और जो दुख के साथ उस आम सभा में आवेश में कुछ बात कह दी. हालांकि मैं यह बात मानता हूं कि मेरी तुलना करने के जो शब्दों का इस्तेमाल किया वह गलत है और मेरी शब्दों से जो कष्ट पहुंचा है उसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूं. कटारिया ने यह भी साफ कर दिया कि उनके पूरे संबोधन को सुनने के बाद यह साफ हो जाएगा कि उनके मन में महाराणा प्रताप की वीरता और त्याग व बलिदान को बताने की मंशा थी ताकि आम लोगों से प्रेरणा लें.