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आज दुर्गाष्टमी पर करें मां महागौरी की उपासना, दूर होंगे कई कष्ट

नवरात्र के आठवेें दिन देवी दुर्गा के महागौरी स्वरूप की उपासना की जाती है. देवी महागौरी की पूजा को महाअष्टमी की पूजा के रूप में भी जाना जाता है. देशभर के मंदिरों में देवी दुर्गा के उपासक आज महाअष्टमी की पूजा करेंगे. उसके बाद नवमी तिथि की शुरुआत के बाद हवन-पूजन कर नवरात्र के अनुष्ठान की पूर्णाहुति की जाएगी.

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आज दुर्गाष्टमी पर करें मां महागौरी की उपासना
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Published : Oct 24, 2020, 6:38 AM IST

जयपुर. शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी को माता के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है. आज के दिन महागौरी की उपासना से भक्तों के सभी तरह के कष्ट और पाप दूर हो जाते हैं. इस दिन मां महागौरी की उपासना बहुत ही खास होती है.

ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार आज के दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराना शुभ होता है. इससे विवाह संबंधित सारी समस्याएं दूर हो जाती है. इस दिन माता महागौरी का विधि-विधान से पूजन करेंगे तो मां उत्तम फल देगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा को खुश करने का सबसे आसान उपाय है, कन्या पूजन. जिस भक्त ने मां के इस पावन नवरात्रि में व्रत नहीं रखे हैं. वे भी कन्या पूजन कर मां का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.

आज दुर्गाष्टमी पर करें मां महागौरी की उपासना

कथाओं के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी. जिससे इनका शरीर काला पड़ गया. जिसके बाद भगवान प्रसन्न होकर इन्हें स्वीकार करते हैं. फिर इनके शरीर को गंगाजल से धोते हैं. तब देवी अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं. तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा.

इस तरह प्रसन्न करें मां गौरी को

महागौरी की उपासना से पहले घर में सभी को सफेद वस्त्र पहनने चाहिए. देवी को भी सफेद फूल, बेली, चमेली की माला अर्पित करें. बाद में मां को नारियल का भोग चढ़ाएं. फिर प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांट दें. इसके अलावा पूजन के दौरान माता की विशेष आरती करेंगे तो मां अवश्य प्रसन्न होंगी. साथ ही प्रत्येक दिन की तरह देवी की मंत्र के साथ पूजा करें. इस दिन महिलाएं अपने पति के लिए मां को चुनरी अर्पित करती हैं.

शुक्रवार आधी रात महानिशा पूजा

परंपरा के मुताबिक शुक्रवार को आधी रात में महानिशा पूजन का कार्यक्रम होगा. इस महानिशा पूजा में गौरी-गणेश जी, कलश, नवग्रह आदि का पूजन होगा. इसके बाद शंख, घंटी, दीप के पूजन सहित राजोपचार विधि से मां महामाया की पूजा की जाएगी. पूजा के बाद दुर्गा सप्तशती के पाठ द्वारा पंचामृत से माता का अभिषेक किया जाएगा. फिर मां का भव्य श्रृंगार किया जाएगा और ब्रह्म मुहूर्त में अगले दिन सुबह 4 बजे आरती के साथ इस अनुष्ठान का समापन होगा.

यह भी पढ़ें: Special : तीर्थराज पुष्कर में है माता सती के दोनों हाथों की कलाइयां, जानिए कैसे बना मां का यह 27वां शक्तिपीठ

अष्टमी को अर्पित की जाएगी अठवाई

24 अक्टूबर शनिवार को हवन का आयोजन किया जाएगा. हवन की तैयारी भी सभी देवी मंदिरों में लगभग पूरी कर ली गई है. मां महामाया देवी मंदिर में सुबह से माता को अठवाई चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. साथ ही नित्य दिनचर्या वाले आरती स्तुति के बाद अष्टमी का हवन भी सुबह 6 बजे से शुरू हो जाएगा.

जयपुर. शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी को माता के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है. आज के दिन महागौरी की उपासना से भक्तों के सभी तरह के कष्ट और पाप दूर हो जाते हैं. इस दिन मां महागौरी की उपासना बहुत ही खास होती है.

ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार आज के दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराना शुभ होता है. इससे विवाह संबंधित सारी समस्याएं दूर हो जाती है. इस दिन माता महागौरी का विधि-विधान से पूजन करेंगे तो मां उत्तम फल देगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा को खुश करने का सबसे आसान उपाय है, कन्या पूजन. जिस भक्त ने मां के इस पावन नवरात्रि में व्रत नहीं रखे हैं. वे भी कन्या पूजन कर मां का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.

आज दुर्गाष्टमी पर करें मां महागौरी की उपासना

कथाओं के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी. जिससे इनका शरीर काला पड़ गया. जिसके बाद भगवान प्रसन्न होकर इन्हें स्वीकार करते हैं. फिर इनके शरीर को गंगाजल से धोते हैं. तब देवी अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं. तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा.

इस तरह प्रसन्न करें मां गौरी को

महागौरी की उपासना से पहले घर में सभी को सफेद वस्त्र पहनने चाहिए. देवी को भी सफेद फूल, बेली, चमेली की माला अर्पित करें. बाद में मां को नारियल का भोग चढ़ाएं. फिर प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांट दें. इसके अलावा पूजन के दौरान माता की विशेष आरती करेंगे तो मां अवश्य प्रसन्न होंगी. साथ ही प्रत्येक दिन की तरह देवी की मंत्र के साथ पूजा करें. इस दिन महिलाएं अपने पति के लिए मां को चुनरी अर्पित करती हैं.

शुक्रवार आधी रात महानिशा पूजा

परंपरा के मुताबिक शुक्रवार को आधी रात में महानिशा पूजन का कार्यक्रम होगा. इस महानिशा पूजा में गौरी-गणेश जी, कलश, नवग्रह आदि का पूजन होगा. इसके बाद शंख, घंटी, दीप के पूजन सहित राजोपचार विधि से मां महामाया की पूजा की जाएगी. पूजा के बाद दुर्गा सप्तशती के पाठ द्वारा पंचामृत से माता का अभिषेक किया जाएगा. फिर मां का भव्य श्रृंगार किया जाएगा और ब्रह्म मुहूर्त में अगले दिन सुबह 4 बजे आरती के साथ इस अनुष्ठान का समापन होगा.

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अष्टमी को अर्पित की जाएगी अठवाई

24 अक्टूबर शनिवार को हवन का आयोजन किया जाएगा. हवन की तैयारी भी सभी देवी मंदिरों में लगभग पूरी कर ली गई है. मां महामाया देवी मंदिर में सुबह से माता को अठवाई चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. साथ ही नित्य दिनचर्या वाले आरती स्तुति के बाद अष्टमी का हवन भी सुबह 6 बजे से शुरू हो जाएगा.

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