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लॉकडाउन में मजदूर वर्ग के सामने रोजी-रोटी का संकट, खाना तक नही पहुंचा पा रहा जिला प्रशासन - Jaipur news

प्रदेश में लॉकडाउन के बाद मजदूरों और निराश्रितों के सामने रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो गई है. वहीं वाहन का संचालन बंद होने के कारण ये लोग घर भी नहीं जा पा रहे हैं. वहीं सरकार के प्रयास के बावजूद कई निराश्रतों के पास खाना नहीं पहुंच पा रहा है.

जयपुर न्यूज crisis in front of laborers in lockdown
लॉकडाउन में मजदूर वर्ग के सामने रोजी-रोटी का संकट
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Published : Mar 27, 2020, 3:09 PM IST

जयपुर. प्रदेश में लॉकडाउन के बाद मजदूर वर्ग के लोगों पर आफत टूट पड़ी है, उनके सामने रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया है साथ ही खाना भी नसीब नहीं हो रहा. दिहाड़ी मजदूर रोजाना कमाते थे और अपना पेट भरते थे लेकिन लॉकडाउन के बाद सभी प्राइवेट और सरकारी कंपनियां, उद्योग धंधे बंद हो गए है. जिसके चलते इस वर्ग के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है.

लॉकडाउन में मजदूर वर्ग के सामने रोजी-रोटी का संकट

प्रदेश में लॉक डाउन की घोषणा के साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोये, इसका पूरा ध्यान रखा जाए और जिले में इसकी कमान कलेक्टरों के हाथों में है, हालांकि जिला प्रशासन पूरी तरह से ऐसे लोगों तक खाना पहुंचाने का दावा कर रहा है, जो मजदूर है, निराश्रित है, या कमजोर वर्ग के हैं लेकिन अभी भी कुछ ऐसी जगह है जहां जिला प्रशासन नहीं पहुंच पा रहा है.

अजमेर रोड 200 फीट बाईपास के पास कुछ ऐसे गरीब लोग है जो मजदूरी कर अपना पेट पाल रहे थे लेकिन लॉकडाउन के बाद उनके सामने 2 जून की रोटी की समस्या खड़ी हो गई है, कुछ लोग ऐसे हैं जो दूसरे जिलों प्रदेशों के हैं, जो अपने गांव वापस लौटना चाहते हैं, लेकिन लॉकडाउन में वाहन नहीं चलने के कारण वह अपने गांव भी नहीं लौट पा रहे, प्रशासन भी इन लोगों तक अभी तक पहुंच नहीं पाया है. जिसके चलते इन लोगों तक खाना नहीं पहुंचा पा रहा. हालांकि कुछ सामाजिक संगठन उनके पास खाना जरूर पहुंचा देते हैं.

यह भी पढ़ें. मिसाल: खुद की रोजी-रोटी पर संकट के बावजूद ई-रिक्शा चालक जुटा मजदूरों की मदद में

नेपाल के रहने वाले भरत स्वामी ने बताया कि वह सालों से जयपुर में मजदूरी कर अपना पेट पाल रहा है लेकिन लॉक डाउन के बाद काम नहीं मिल रहा, जिसके चलते उसे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, और पेट भरने के भी पैसे नहीं है. उसने कहा कि फिलहाल वह गांव नहीं लौटना चाहता. लॉक डाउन के बाद ही गांव जाएगा.

मजदूरी करने वाली पिंकी ने कहा कि उसके पांच बच्चे हैं.जिनके सामने भूखे रहने की नौबत आ गयी है. लॉक डाउन में इनको काम भी नहीं मिल रहा और ना ही जिला प्रशासन की ओर से खाना मिल रहा है. पिंकी सवाई माधोपुर की रहने वाली है लेकिन वह गांव नहीं लौटना चाहती उसने मांग की है कि सरकार उसे राशन पानी की व्यवस्था करके दे.

इसी तरह से सवाई माधोपुर की मंजू ने बताया कि वह बेलदारी कर करती थी लेकिन अब उसे काम नहीं मिल रहा और ना ही सरकार की ओर से खाना और राशन दिया जा रहा है. लॉक डाउन में काम नहीं मिल रहा है, इसी कारण उनके पास पैसे भी नहीं है और जब पैसे नहीं है तो राशन कहां से आएगा.

यह भी पढ़ें. COVID-19 UPDATE: प्रदेश में कोरोना के 45 पॉजिटिव केस, 2 लोगों की मौत

एक छोटा बच्चा जितेंद्र बड़ा मासूम सा अपने माता-पिता के पास बैठा था, उसे हालांकि यह नहीं पता कि कोरोना वायरस कितना खतरनाक है, लेकिन यह जरूर पता था कि बीमारी फैल रही है और पुलिस वाले बाहर नहीं जाने दे रहे. उससे जब खाने के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि उसे भी खाना नही मिल रहा. यदि जिला प्रशासन इन लोगों तक जल्द नहीं पहुंचा तो इन लोगों को इसी तरह से लॉकडाउन में दिन काटने पड़ेंगे.

जयपुर. प्रदेश में लॉकडाउन के बाद मजदूर वर्ग के लोगों पर आफत टूट पड़ी है, उनके सामने रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया है साथ ही खाना भी नसीब नहीं हो रहा. दिहाड़ी मजदूर रोजाना कमाते थे और अपना पेट भरते थे लेकिन लॉकडाउन के बाद सभी प्राइवेट और सरकारी कंपनियां, उद्योग धंधे बंद हो गए है. जिसके चलते इस वर्ग के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है.

लॉकडाउन में मजदूर वर्ग के सामने रोजी-रोटी का संकट

प्रदेश में लॉक डाउन की घोषणा के साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोये, इसका पूरा ध्यान रखा जाए और जिले में इसकी कमान कलेक्टरों के हाथों में है, हालांकि जिला प्रशासन पूरी तरह से ऐसे लोगों तक खाना पहुंचाने का दावा कर रहा है, जो मजदूर है, निराश्रित है, या कमजोर वर्ग के हैं लेकिन अभी भी कुछ ऐसी जगह है जहां जिला प्रशासन नहीं पहुंच पा रहा है.

अजमेर रोड 200 फीट बाईपास के पास कुछ ऐसे गरीब लोग है जो मजदूरी कर अपना पेट पाल रहे थे लेकिन लॉकडाउन के बाद उनके सामने 2 जून की रोटी की समस्या खड़ी हो गई है, कुछ लोग ऐसे हैं जो दूसरे जिलों प्रदेशों के हैं, जो अपने गांव वापस लौटना चाहते हैं, लेकिन लॉकडाउन में वाहन नहीं चलने के कारण वह अपने गांव भी नहीं लौट पा रहे, प्रशासन भी इन लोगों तक अभी तक पहुंच नहीं पाया है. जिसके चलते इन लोगों तक खाना नहीं पहुंचा पा रहा. हालांकि कुछ सामाजिक संगठन उनके पास खाना जरूर पहुंचा देते हैं.

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नेपाल के रहने वाले भरत स्वामी ने बताया कि वह सालों से जयपुर में मजदूरी कर अपना पेट पाल रहा है लेकिन लॉक डाउन के बाद काम नहीं मिल रहा, जिसके चलते उसे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, और पेट भरने के भी पैसे नहीं है. उसने कहा कि फिलहाल वह गांव नहीं लौटना चाहता. लॉक डाउन के बाद ही गांव जाएगा.

मजदूरी करने वाली पिंकी ने कहा कि उसके पांच बच्चे हैं.जिनके सामने भूखे रहने की नौबत आ गयी है. लॉक डाउन में इनको काम भी नहीं मिल रहा और ना ही जिला प्रशासन की ओर से खाना मिल रहा है. पिंकी सवाई माधोपुर की रहने वाली है लेकिन वह गांव नहीं लौटना चाहती उसने मांग की है कि सरकार उसे राशन पानी की व्यवस्था करके दे.

इसी तरह से सवाई माधोपुर की मंजू ने बताया कि वह बेलदारी कर करती थी लेकिन अब उसे काम नहीं मिल रहा और ना ही सरकार की ओर से खाना और राशन दिया जा रहा है. लॉक डाउन में काम नहीं मिल रहा है, इसी कारण उनके पास पैसे भी नहीं है और जब पैसे नहीं है तो राशन कहां से आएगा.

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एक छोटा बच्चा जितेंद्र बड़ा मासूम सा अपने माता-पिता के पास बैठा था, उसे हालांकि यह नहीं पता कि कोरोना वायरस कितना खतरनाक है, लेकिन यह जरूर पता था कि बीमारी फैल रही है और पुलिस वाले बाहर नहीं जाने दे रहे. उससे जब खाने के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि उसे भी खाना नही मिल रहा. यदि जिला प्रशासन इन लोगों तक जल्द नहीं पहुंचा तो इन लोगों को इसी तरह से लॉकडाउन में दिन काटने पड़ेंगे.

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