जयपुर. नेता अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं, वह ठीक नहीं है. इतिहास का उदाहरण देना है तो पढ़ना और समझना दोनों जरूरी है. ये बातें रविवार को लेखक और जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर मकरंद परांजपे ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मीडिया से बातचीत में कही.
आजकल जनता में सनसनी के लिए तथ्यों को गलत तौर पर पेश किया जा रहा है. वहीं गांधी की हत्या पर मकरंद ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए देने की बात कही तो कई लोग इसके विरोध में थे, उनकी हत्या भी इसलिए हुई थी. उन्होंने कहा कि आज जो गांधी वर्सेस सावरकर, गांधी वर्सेस पटेल, गांधी वर्सेस गोवलकर पर चर्चा हो रही है, वह ठीक नहीं है.
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प्रोफेसर मकरंद ने कहा कि जेएनयू में टुकड़े-टुकड़े गैंग हैं, जो हमेशा विरोध करती है, चाहे वह सरकार का हो या फिर जेएनयू प्रशासन. यूनिवर्सिटी कभी नहीं चाहती है कि इस तरह के आंदोलन हो, यूनिवर्सिटी का पहला काम पढ़ाई है.
गांधी के साथ किसी को रखने की जरूरत नहीं है, वह तो सभी को साथ लेकर चलने वाले थे. गांधी के अहिंसा का सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है. उसी को फॉलो करके देश को मजबूत बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि महात्मा गांधी ने किसी का नुकसान किया है, वह एक सनातनी हिन्दू थे और ये बात वो बार-बार कहते थे.
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उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आखरी दिनों में पाकिस्तान से आए शरणार्थियों ने मुर्दाबाद के नारे भी लगाए. उस समय उन्होंने कहा था कि मैं लोगों के साथ बहस करना चाहता हूं और बताना चाहता हूं कि मैं हिन्दू विरोधी नहीं हूं, मेरे लिए सब बराबर हैं.