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JLF 2020 : आजकल जनता में सनसनी फैलाने के लिए तथ्यों को गलत तौर पर पेश किया जा रहा हैः मकरंद परांजपे

जयपुर में रविवार को लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन हुआ. ऐसे में इस दौरान जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर मकरंद परांजपे ने कहा कि आजकल जनता में सनसनी फैलाने के लिए तथ्यों को गलत तौर पर पेश किया जा रहा है. वहीं इतिहास का उदाहरण देना है तो पढ़ना और समझना दोनों जरूरी है.

JNU के पूर्व प्रोफेसर ने गांधी के बारे में बताया, Former JNU professor told about Gandhi
JNU के पूर्व प्रोफेसर ने गांधी के बारे में बताया
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Published : Jan 26, 2020, 11:14 PM IST

जयपुर. नेता अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं, वह ठीक नहीं है. इतिहास का उदाहरण देना है तो पढ़ना और समझना दोनों जरूरी है. ये बातें रविवार को लेखक और जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर मकरंद परांजपे ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मीडिया से बातचीत में कही.

JNU के पूर्व प्रोफेसर ने गांधी के बारे में बताया

आजकल जनता में सनसनी के लिए तथ्यों को गलत तौर पर पेश किया जा रहा है. वहीं गांधी की हत्या पर मकरंद ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए देने की बात कही तो कई लोग इसके विरोध में थे, उनकी हत्या भी इसलिए हुई थी. उन्होंने कहा कि आज जो गांधी वर्सेस सावरकर, गांधी वर्सेस पटेल, गांधी वर्सेस गोवलकर पर चर्चा हो रही है, वह ठीक नहीं है.

पढ़ें- JLF 2020 : भारत को बेहतर विपक्ष की जरूरत- अभिजीत बनर्जी

प्रोफेसर मकरंद ने कहा कि जेएनयू में टुकड़े-टुकड़े गैंग हैं, जो हमेशा विरोध करती है, चाहे वह सरकार का हो या फिर जेएनयू प्रशासन. यूनिवर्सिटी कभी नहीं चाहती है कि इस तरह के आंदोलन हो, यूनिवर्सिटी का पहला काम पढ़ाई है.

गांधी के साथ किसी को रखने की जरूरत नहीं है, वह तो सभी को साथ लेकर चलने वाले थे. गांधी के अहिंसा का सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है. उसी को फॉलो करके देश को मजबूत बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि महात्मा गांधी ने किसी का नुकसान किया है, वह एक सनातनी हिन्दू थे और ये बात वो बार-बार कहते थे.

पढ़ेः जयपुर : जनता की जेब काट रहा जेएलएफ, पर्यटन विभाग ने रोकी स्पॉन्सरशिप

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आखरी दिनों में पाकिस्तान से आए शरणार्थियों ने मुर्दाबाद के नारे भी लगाए. उस समय उन्होंने कहा था कि मैं लोगों के साथ बहस करना चाहता हूं और बताना चाहता हूं कि मैं हिन्दू विरोधी नहीं हूं, मेरे लिए सब बराबर हैं.

जयपुर. नेता अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं, वह ठीक नहीं है. इतिहास का उदाहरण देना है तो पढ़ना और समझना दोनों जरूरी है. ये बातें रविवार को लेखक और जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर मकरंद परांजपे ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मीडिया से बातचीत में कही.

JNU के पूर्व प्रोफेसर ने गांधी के बारे में बताया

आजकल जनता में सनसनी के लिए तथ्यों को गलत तौर पर पेश किया जा रहा है. वहीं गांधी की हत्या पर मकरंद ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए देने की बात कही तो कई लोग इसके विरोध में थे, उनकी हत्या भी इसलिए हुई थी. उन्होंने कहा कि आज जो गांधी वर्सेस सावरकर, गांधी वर्सेस पटेल, गांधी वर्सेस गोवलकर पर चर्चा हो रही है, वह ठीक नहीं है.

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प्रोफेसर मकरंद ने कहा कि जेएनयू में टुकड़े-टुकड़े गैंग हैं, जो हमेशा विरोध करती है, चाहे वह सरकार का हो या फिर जेएनयू प्रशासन. यूनिवर्सिटी कभी नहीं चाहती है कि इस तरह के आंदोलन हो, यूनिवर्सिटी का पहला काम पढ़ाई है.

गांधी के साथ किसी को रखने की जरूरत नहीं है, वह तो सभी को साथ लेकर चलने वाले थे. गांधी के अहिंसा का सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है. उसी को फॉलो करके देश को मजबूत बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि महात्मा गांधी ने किसी का नुकसान किया है, वह एक सनातनी हिन्दू थे और ये बात वो बार-बार कहते थे.

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उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आखरी दिनों में पाकिस्तान से आए शरणार्थियों ने मुर्दाबाद के नारे भी लगाए. उस समय उन्होंने कहा था कि मैं लोगों के साथ बहस करना चाहता हूं और बताना चाहता हूं कि मैं हिन्दू विरोधी नहीं हूं, मेरे लिए सब बराबर हैं.

Intro:जयपुर- लेखक और जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर मकरंद परांजपे ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मीडिया से बातचीत में कहा कि नेता अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करते है, वह ठीक नहीं है। इतिहास का उदाहरण देना है तो पढ़ना और समझना दोनों जरूरी है। आजकल जनता में सनसनी के लिए तथ्यों को गलत तौर पर पेश किया जा रहा है। वहीं गांधी की हत्या पर मकरंद ने कहा कि गांधीजी ने पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए देने की बात कही तो कहीं लोग इसके विरोध में थे। उनकी हत्या भी इसलिए हुई। वह कहते हैं कि आज जो गांधी वर्सेस सावरकर, गांधी वर्सेस पटेल, गांधी वर्सेस गोवलकर पर चर्चा हो रही है, ठीक नहीं है। गांधी के साथ किसी को रखने की जरूरत नहीं है, वह तो सभी को साथ लेकर चलने वाले थे। गांधीजी के अहिंसा का सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है। उसी को फॉलो करके देश मजबूत बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने मुझे नहीं लगता कि गांधी जी ने किसी का नुकसान किया। गांधी जी एक सनातनी हिन्दू थे और ये बात वो बार बार कहते थे। लेकिन गांधी जी के आखरी दिनों में पाकिस्तान से आये शरणार्थियों ने गांधी जी मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। गांधी जी ने कहा कि मैं लोगों के साथ बहस करना चाहता हूं और बताना चाहता हूं कि मैं हिन्दू विरोधी नहीं हूं। मैं लिए सब बराबर है।


Body:प्रोफेसर मकरंद खुद मानते है कि जेएनयू में टुकड़े टुकड़े गैंग है जो हमेशा विरोध करती है, चाहे वह सरकार का हो या फिर जेएनयू प्रशासन का। यूनिवर्सिटी कभी नहीं चाहती है कि इस तरह के आंदोलन हो। यूनिवर्सिटी का पहला काम पढ़ाई है।

बाईट- मकरंद परांजपे, पूर्व प्रोफेसर, जेएनयू


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