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''तारा'' का सहारा बना जोधपुर का 'कैलाश', दोनों का जोड़ा बना आकर्षण का केंद्र

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Published : Dec 18, 2019, 11:22 PM IST

राजधानी की नाहरगढ़ लॉयन सफारी में शेरनी तारा को नया साथी मिल गया है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में जोधपुर से लाए गए शेर कैलाश को लायन सफारी में बुधवार पहली बार छोड़ा गया. अब यहां शेरनी तारा के साथ शेर कैलाश का जोड़ा बन गया है.

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जयपुर. राजधानी के लॉयन सफारी में पहले शेरनी तारा अकेली ही पर्यटकों को नजर आती थी, लेकिन अब भी तारा के साथ कैलाश भी नजर आएगा. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता की मॉनिटरिंग में कैलाश और तारा को लॉयन सफारी में छोड़ा गया. लॉयन सफारी में तारा को भी कैलाश के आने से सहारा मिल गया.

नाहरगढ़ लॉयन सफारी में लाया गया कैलाश

बुधवार पहले दिन शेरनी तारा के साथ शेर कैलाश का जोड़ा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा. लॉयन सफारी में दोनों की अठखेलिया पर्यटकों को काफी रोमांचित कर रही थी. पर्यटक बंद गाड़ी में बैठकर खुले में घूमते शेरों को देखकर काफी उत्साहित हुए. इन शानदार नजारों को पर्यटको ने अपने मोबाइल कैमरे में कैद किया. लायन सफारी करने वाले पर्यटक शेर-शेरनी का जोड़ा देखकर काफी लुत्फ उठाते नजर आए. उम्मीद की जा रही है कि दोनों का जोड़ा बनने से जल्द ब्रीडिंग भी हो सकेगी. सफल ब्रीडिंग से नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शेरो का कुनबा बढे़गा.

यह भी पढ़ें- जयपुरः RU में दीक्षांत समारोह, राज्यपाल कलराज मिश्र होंगे मुख्य अतिथि

3 महिने पहले ही लाया जा चुका है कैलाश :

जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में जोधपुर जू से करीब 3 माह पहले शेर कैलाश को लाया गया था. जोधपुर के माचिया पार्क में 23 अक्टूबर 2016 को कैलाश का जन्म हुआ था. शुरुआत में कैलाश को लॉयन सफारी से दूर रखा गया, ताकि यहां के प्राकृतिक वातावरण में ढ़ल सके. शेर का जोड़ा तारा के साथ बनाने और नाहरगढ़ लायन सफारी में शेरों का कुनबा बढ़ाने के लिए कैलाश को जोधपुर से लाया गया था. अब नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शेरनी तारा से कैलाश की ब्रीडिंग करवाई जाएगी. शेरनी तेजिका ने मई 2017 में तीन शावकों को जन्म दिया था. जिनमें तेजस और त्रिपुर नर शावक की और तारा मादा शावक थी. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में तेजस, त्रिपुर और तारा तीनों शावक लॉयन सफारी की शान बने.

बता दें कि जयपुर की नाहरगढ़ लॉयन सफारी प्रदेश की पहली से लॉयन सफारी है. लायन सफारी में पहले तीन शेर छोड़े गए थे. तेजस, त्रिपुर और तारा तीनों शेरनी तेजिका के शावक है. तेजिका की मौत होने के बाद तीनों नाहरगढ़ लॉयन सफारी की शान बने हुए हैं. पिछले दिनों शेर त्रिपुर और तेजस का स्वास्थ्य खराब होने की वजह से एंक्लोजर में ही इलाज किया जा रहा है. शेर त्रिपुर के पांव में घाव हुआ था और तेजस के आधे शरीर में लकवे की शिकायत बताई गई, जिसकी वजह से दोनों ही लॉयन सफारी से दूर हो गए. शेरनी तारा अकेली ही लॉयन सफारी में आने वाले पर्यटको के आकर्षण का केंद्र बन रही थी, लेकिन अब जोधपुर से लाए गए शेर कैलाश को तारा के साथ सफारी में छोड़ने से दोनों का जोड़ा बन गया.

यह भी पढ़ें- भीलवाड़ा नगर परिषद के सभापति उपचुनाव में भाजपा की जीत, मंजू चेचाणी बनी सभापति

दोनों की पहचान हो सके, इसलिए रखा एक ही पिंजरे में :

वन्यजीव चिकित्सक डॉक्टर अशोक तंवर ने बताया कि जोधपुर से कैलाश को लाने का उद्देश्य यही था कि तारा के साथ जोड़ा बनाया जाए. सबसे पहले कैलाश और तारा को नजदीकी पिंजरे में रखना शुरू किया, ताकि दोनों एक दूसरे को पहचान सके. इसके बाद दोनों को एक साथ कराल में छोड़ा गया. शुरुआती दौर में तमाम संसाधन साथ में रखे गए ताकि दोनों के बीच लड़ाई हो तो उनको छुड़ाया जा सके. आखिरकार वो दिन आ गया, आज दोनों को लायन सफारी में एक साथ छोड़ा गया है.

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता के मुताबिक शेर कैलाश का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. नई जगह पर कैलाश को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो सके. इसके साथ ही सभी वन्यजीवों के खान-पान और रहन-सहन का भी विशेष ख्याल रखा जा रहा है. सर्दियों के मौसम में वन्यजीवों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई है. खाने-पीने से लेकर रहने तक की सारी व्यवस्थाएं पुख्ता की गई है.

जयपुर. राजधानी के लॉयन सफारी में पहले शेरनी तारा अकेली ही पर्यटकों को नजर आती थी, लेकिन अब भी तारा के साथ कैलाश भी नजर आएगा. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता की मॉनिटरिंग में कैलाश और तारा को लॉयन सफारी में छोड़ा गया. लॉयन सफारी में तारा को भी कैलाश के आने से सहारा मिल गया.

नाहरगढ़ लॉयन सफारी में लाया गया कैलाश

बुधवार पहले दिन शेरनी तारा के साथ शेर कैलाश का जोड़ा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा. लॉयन सफारी में दोनों की अठखेलिया पर्यटकों को काफी रोमांचित कर रही थी. पर्यटक बंद गाड़ी में बैठकर खुले में घूमते शेरों को देखकर काफी उत्साहित हुए. इन शानदार नजारों को पर्यटको ने अपने मोबाइल कैमरे में कैद किया. लायन सफारी करने वाले पर्यटक शेर-शेरनी का जोड़ा देखकर काफी लुत्फ उठाते नजर आए. उम्मीद की जा रही है कि दोनों का जोड़ा बनने से जल्द ब्रीडिंग भी हो सकेगी. सफल ब्रीडिंग से नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शेरो का कुनबा बढे़गा.

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3 महिने पहले ही लाया जा चुका है कैलाश :

जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में जोधपुर जू से करीब 3 माह पहले शेर कैलाश को लाया गया था. जोधपुर के माचिया पार्क में 23 अक्टूबर 2016 को कैलाश का जन्म हुआ था. शुरुआत में कैलाश को लॉयन सफारी से दूर रखा गया, ताकि यहां के प्राकृतिक वातावरण में ढ़ल सके. शेर का जोड़ा तारा के साथ बनाने और नाहरगढ़ लायन सफारी में शेरों का कुनबा बढ़ाने के लिए कैलाश को जोधपुर से लाया गया था. अब नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शेरनी तारा से कैलाश की ब्रीडिंग करवाई जाएगी. शेरनी तेजिका ने मई 2017 में तीन शावकों को जन्म दिया था. जिनमें तेजस और त्रिपुर नर शावक की और तारा मादा शावक थी. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में तेजस, त्रिपुर और तारा तीनों शावक लॉयन सफारी की शान बने.

बता दें कि जयपुर की नाहरगढ़ लॉयन सफारी प्रदेश की पहली से लॉयन सफारी है. लायन सफारी में पहले तीन शेर छोड़े गए थे. तेजस, त्रिपुर और तारा तीनों शेरनी तेजिका के शावक है. तेजिका की मौत होने के बाद तीनों नाहरगढ़ लॉयन सफारी की शान बने हुए हैं. पिछले दिनों शेर त्रिपुर और तेजस का स्वास्थ्य खराब होने की वजह से एंक्लोजर में ही इलाज किया जा रहा है. शेर त्रिपुर के पांव में घाव हुआ था और तेजस के आधे शरीर में लकवे की शिकायत बताई गई, जिसकी वजह से दोनों ही लॉयन सफारी से दूर हो गए. शेरनी तारा अकेली ही लॉयन सफारी में आने वाले पर्यटको के आकर्षण का केंद्र बन रही थी, लेकिन अब जोधपुर से लाए गए शेर कैलाश को तारा के साथ सफारी में छोड़ने से दोनों का जोड़ा बन गया.

यह भी पढ़ें- भीलवाड़ा नगर परिषद के सभापति उपचुनाव में भाजपा की जीत, मंजू चेचाणी बनी सभापति

दोनों की पहचान हो सके, इसलिए रखा एक ही पिंजरे में :

वन्यजीव चिकित्सक डॉक्टर अशोक तंवर ने बताया कि जोधपुर से कैलाश को लाने का उद्देश्य यही था कि तारा के साथ जोड़ा बनाया जाए. सबसे पहले कैलाश और तारा को नजदीकी पिंजरे में रखना शुरू किया, ताकि दोनों एक दूसरे को पहचान सके. इसके बाद दोनों को एक साथ कराल में छोड़ा गया. शुरुआती दौर में तमाम संसाधन साथ में रखे गए ताकि दोनों के बीच लड़ाई हो तो उनको छुड़ाया जा सके. आखिरकार वो दिन आ गया, आज दोनों को लायन सफारी में एक साथ छोड़ा गया है.

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता के मुताबिक शेर कैलाश का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. नई जगह पर कैलाश को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो सके. इसके साथ ही सभी वन्यजीवों के खान-पान और रहन-सहन का भी विशेष ख्याल रखा जा रहा है. सर्दियों के मौसम में वन्यजीवों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई है. खाने-पीने से लेकर रहने तक की सारी व्यवस्थाएं पुख्ता की गई है.

Intro:जयपुर
एंकर- राजधानी जयपुर की नाहरगढ़ लायन सफारी में शेरनी तारा को नया साथी मिल गया है। नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में जोधपुर से लाए गए शेर कैलाश को लायन सफारी में आज पहली बार छोड़ा गया। अब लायन सफारी में शेरनी तारा के साथ शेर कैलाश का जोड़ा बन गया है।


Body:पहले लॉयन सफारी में शेरनी तारा अकेली ही पर्यटकों को नजर आती थी। लेकिन अब भी तारा के साथ कैलाश भी नजर आएगा। नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता की मॉनिटरिंग में कैलाश और तारा को लॉयन सफारी में छोड़ा गया। लॉयन सफारी में तारा को भी कैलाश के आने से सहारा मिल गया। आज पहले दिन शेरनी तारा के साथ शेर कैलाश का जोड़ा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा। लॉयन सफारी में दोनों की अठखेलिया पर्यटको को काफी रोमांचित कर रही थी। पर्यटक बंद गाड़ी में बैठकर खुले में घूमते शेरों को देखकर काफी उत्साहित हुए। इन शानदार नजारों को पर्यटको ने अपने मोबाइल कैमरे में कैद किया। लायन सफारी करने वाले पर्यटक शेर-शेरनी का जोड़ा देखकर काफी लुत्फ उठाते नजर आए।

उम्मीद की जा रही है कि दोनों का जोड़ा बनने से जल्द ब्रीडिंग भी हो सकेगी। सफल ब्रीडिंग से नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शेरो का कुनबा बढेगा।

जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में जोधपुर जू से करीब 3 माह पहले शेर कैलाश को लाया गया था। जोधपुर के माचिया पार्क में 23 अक्टूबर 2016 को कैलाश का जन्म हुआ था। शुरुआत में कैलाश को लॉयन सफारी से दूर रखा गया ताकि यहां के प्राकृतिक वातावरण में ढल सके। शेर का जोड़ा तारा के साथ बनाने और नाहरगढ़ लायन सफारी में शेरों का कुनबा बढ़ाने के लिए कैलाश को जोधपुर से लाया गया था। अब नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शेरनी तारा से कैलाश की ब्रीडिंग करवाई जाएगी। शेरनी तेजिका ने मई 2017 में तीन शावकों को जन्म दिया था। जिनमें तेजस और त्रिपुर नर शावक की और तारा मादा शावक थी। नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में तेजस, त्रिपुर और तारा तीनों शावक लॉयन सफारी की शान बने।

बता दे कि जयपुर की नाहरगढ़ लॉयन सफारी प्रदेश की पहली से लॉयन सफारी है। लायन सफारी में पहले तीन शेर छोड़े गए थे। तेजस, त्रिपुर और तारा तीनों शेरनी तेजिका के शावक है। तेजिका की मौत होने के बाद तीनों नाहरगढ़ लॉयन सफारी की शान बने हुए हैं। पिछले दिनों शेर त्रिपुर और तेजस का स्वास्थ्य खराब होने की वजह से एंक्लोजर में ही इलाज किया जा रहा है। शेर त्रिपुर के पांव में घाव हुआ था और तेजस के आधे शरीर में लकवे की शिकायत बताई गई जिसकी वजह से दोनों ही लॉयन सफारी से दूर हो गए। शेरनी तारा अकेली ही लॉयन सफारी में आने वाले पर्यटको के आकर्षण का केंद्र बन रही थी। लेकिन अब जोधपुर से लाए गए शेर कैलाश को तारा के साथ सफारी में छोड़ने से दोनों का जोड़ा बन गया।







Conclusion:वन्यजीव चिकित्सक डॉक्टर अशोक तंवर ने बताया कि जोधपुर से कैलाश को लाने का उद्देश्य यही था कि तारा के साथ जोड़ा बनाया। सबसे पहले कैलाश और तारा को नजदीकी पिंजरे में रखना शुरू किया ताकि दोनों एक दूसरे को पहचान सके। इसके बाद दोनों को एक साथ कराल में छोड़ा गया। शुरुआती दौर में तमाम संसाधन साथ में रखे गए ताकि दोनों के बीच लड़ाई हो तो उनको छुड़ाया जा सके। आखिरकार वो दिन आ गया आज दोनों को लायन सफारी में एक साथ छोड़ा गया है।
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता के मुताबिक शेर कैलाश का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। नई जगह पर कैलाश को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो सके। इसके साथ ही सभी वन्यजीवों के खान-पान और रहन-सहन का भी विशेष ख्याल रखा जा रहा है। सर्दियों के मौसम में वन्यजीवों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई है। खाने-पीने से लेकर रहने तक की सारी व्यवस्थाएं पुख्ता की गई है।

बाईट- नितिन शर्मा, क्षेत्रीय वन अधिकारी
बाईट- संदीप शेखावत, पर्यटक
बाईट- विदुशी, पर्यटक
बाईट- डॉ. अशोक तंवर, वन्यजीव चिकित्सक


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