जयपुर. शिक्षा महकमे में हुए तबादलों को लेकर कांग्रेस के विधायकों ने डोटासरा को धन्यवाद देना शुरू किया है. कोई ट्विटर पर धन्यवाद दे रहा है तो कोई उनके निवास पर पहुंचकर. डोटासरा की मानें तो तमाम कांग्रेस के विधायक व अन्य निर्दलीय विधायक शिक्षा महकमे के तबादलों से खुश हैं. सूत्रों की मानें तो शिक्षा मंत्री ने विधायकों द्वारा करवाए गए तबादलों की लिस्ट भी मुख्यमंत्री को सौंप दी है. लेकिन इन सबके बीच में उन बचे हुए शिक्षकों को भी राहत मिलने वाली है, जिन शिक्षकों को कैंसर या कोई बेहद गंभीर बीमारी है या फिर दिव्यांग हैं.
शिक्षा महकमे में प्रिंसिपल और व्याख्याताओं के तबादलों का सिलसिला पिछले दिनों लगातार जारी था. द्वितीय श्रेणी और तृतीय श्रेणी अध्यापकों के तबादलों पर फिलहाल रोक है. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा की दलील है कि उन्हें उनकी पार्टी के जिन विधायकों ने नियमानुसार तबादलों की लिस्ट थमाई लगभग उन सभी के तबादले हुए हैं.
डोटासरा ने कहा कि यदि कोई विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र के अलावा दूसरे विधानसभा क्षेत्र के तबादलों में हस्तक्षेप करता है, तो ऐसे तबादले नहीं किए गए हैं. तबादलों की फेहरिस्त में कई विधायकों के तबादलों का आंकड़ा ढाई सौ से लेकर तीन सौ तक पहुंचा है. तो कोई महज 20 तबादले करवाकर ही प्रसन्न हैं.
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पृथ्वीराज मीणा टोडाभीम विधायक का कहना है कि उन्होंने ढाई सौ तबादलों की लिस्ट थमाई थी, जो हूबहू कर दिए गए है. वहीं दूसरी तरफ रोहित बोहरा दलील देते हैं कि मुझे तबादले ज्यादा संख्या में करवाने की आवश्यकता नहीं थी. महज 20 तबादलों की मैंने लिस्ट थमाई और 20 के 20 तबादले मंत्री जी ने कर दिए हैं.
शिक्षकों के तबादलों में हारे हुए प्रत्याशियों की भी चली
हालांकि लालचंद कटारिया, मुरारी लाल मीणा समेत कई विधायक हैं, जिनके अच्छी खासी संख्या में तबादले हुए हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस के टिकट पर हारे हुए कई विधायकों ने भी मनमाफिक अच्छे खासे तबादले करवाए हैं. भले ही कोटा की राखी गौतम हो या फिर अन्य हारे हुए कांग्रेस प्रत्याशी.
मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि उन्होंने तमाम कांग्रेस के विधायकों और निर्दलीय विधायकों के अच्छी खासी तादाद में तबादले किए हैं. जो इतिहास में आज तक भी नहीं हुए. वहीं दूसरी तरफ दलील है कि भाजपा विधायकों के भी ऐसे तबादले किए गए हैं जिनमें कि विशेष रूप से कोई तार्किक कारण रहा हो.
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लेकिन एक फेहरिस्त ऐसी भी है जिसमें कहीं पर कैंसर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त शिक्षक हैं. तो कहीं पर दिव्यांग शिक्षक या फिर एकल महिला. या दूसरी तरफ शिक्षक के पति या पत्नी में से कोई एक गंभीर रूप से बीमार या परिवार में पुत्र पुत्री को कोई गंभीर बीमारी जैसी स्थिति. विभाग में यदि ऐसे कोई तबादले हुए हैं जोकि मानवीयता के आधार पर निरस्त करना जरूरी हैं. उन्हें निरस्त किया जा रहा है.
इन सबके बीच खास बात यह है कि प्रिंसिपल और व्याख्याता जैसे पदों में तबादले शांतिपूर्ण तरीके से निपट गए और सत्ता पक्ष के तमाम विधायक भी संतुष्ट हो गए. लेकिन एक बात और तय है कि शिक्षा महकमे में हर एक शिक्षक को उनकी मनचाही जगह नहीं मिल सकती. कारण साफ है कि ज्यादातर शिक्षक राजधानी जयपुर या उसके आसपास आना चाहते है या फिर बड़े शहरों में या उनके आसपास ही नौकरी करना चाहते हैं. अब देखना होगा कि सरकार के शिक्षा मंत्री डोटासरा के यह तबादले राजस्थान को शिक्षा के पायदान में कितना बेहतर साबित करते है.