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Phone Tapping Case: महेश जोशी को मिले नोटिस पर कानूनी पेंच, वकील बोले- पुलिस थाने बुलाकर नहीं कर सकती पूछताछ - महेश जोशी को नोटिस

फोन टैपिंग (Phone Tapping Case) मामले में दिल्ली क्राइम ब्रांच ने मुख्य सचेतक महेश जोशी को नोटिस (Mahesh Joshi) भेजकर 24 जून की सुबह 11 बजे पेश होने के निर्देश दिए हैं. लेकिन कानून के जानकार इस नोटिस को गलत बता रहे हैं. उनका कहना है कि 65 वर्ष से अधिक उम्र के किसी भी व्यक्ति को थाने बुलाकर पूछताछ नहीं की जा सकती.

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महेश जोशी को नोटिस
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Published : Jun 23, 2021, 4:13 PM IST

जयपुर. दिल्ली क्राइम ब्रांच (Delhi Crime Branch) की ओर से गहलोत सरकार में मुख्य सचेतक महेश जोशी को भेजे गए नोटिस से कानूनी बहस पैदा हो गई है. अधिवक्ता अजय कुमार जैन का कहना है की सीआरपीसी की धारा 160 के तहत 65 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति को थाने बुलाने के लिए पुलिस नोटिस जारी नहीं कर सकती. वहीं एक अन्य अधिवक्ता सीसी रतनु ने बताया कि यह सही है ऐसे व्यक्ति को पुलिस पूछताछ के लिए थाने नहीं बुला सकती, लेकिन पुलिस संबंधित व्यक्ति को नोटिस जारी कर सकती है. उसके जवाब में सम्बंधित व्यक्ति अपनी उम्र का हवाला देकर जाने से इनकार कर सकता है.

पढ़ें: फिर निकला फोन टैपिंग का जिन्नः दिल्ली क्राइम ब्रांच ने मुख्य सचेतक महेश जोशी को भेजा नोटिस, 24 जून को किया तलब

महेश जोशी की उम्र है 65 साल से अधिक

दरअसल मुख्य सचेतक महेश जोशी को दिल्ली क्राइम ब्रांच ने नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए 24 जून को पेश होने के निर्देश दिए थे. जबकि महेश जोशी 65 साल की उम्र पार कर चुके हैं. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह की ओर से फोन टैपिंग के मामले में दिल्ली में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी. उसी मामले में पूछताछ के लिए क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर सतीश मलिक ने महेश जोशी को सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस जारी कर 24 जून को सुबह 11 बजे पेश होने के निर्देश दिए हैं.

महेश जोशी को मिले नोटिस पर कानून के जानकारों की राय

सीआरपीसी की धारा 160 में प्रावधान है कि पुलिस 15 साल से कम और 65 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति को पूछताछ के लिए थाने नहीं बुला सकती. इसके अलावा कानूनविद यह भी बताते हैं कि पुलिस अपने थाना इलाके और पास के थाना क्षेत्र में रहने वाले व्यक्ति को ही पूछताछ के लिए थाने बुला सकती है. जबकि फोन टैपिंग के मामले में एफआईआर दिल्ली के तुगलक रोड थाने में दर्ज हुई है. जिसके चलते पुलिस को यह अधिकार नहीं है कि वह राजस्थान में रहने वाले किसी व्यक्ति को तलब करे.

वहीं बात जब 65 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति की आती है तो पुलिस का यह कर्तव्य है की वह संबंधित व्यक्ति के घर जाकर ही पूछताछ करे. यदि कोई पुलिसकर्मी अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता है तो उसे आईपीसी की धारा 166A के तहत 6 माह की जेल का भी प्रावधान है.

जयपुर. दिल्ली क्राइम ब्रांच (Delhi Crime Branch) की ओर से गहलोत सरकार में मुख्य सचेतक महेश जोशी को भेजे गए नोटिस से कानूनी बहस पैदा हो गई है. अधिवक्ता अजय कुमार जैन का कहना है की सीआरपीसी की धारा 160 के तहत 65 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति को थाने बुलाने के लिए पुलिस नोटिस जारी नहीं कर सकती. वहीं एक अन्य अधिवक्ता सीसी रतनु ने बताया कि यह सही है ऐसे व्यक्ति को पुलिस पूछताछ के लिए थाने नहीं बुला सकती, लेकिन पुलिस संबंधित व्यक्ति को नोटिस जारी कर सकती है. उसके जवाब में सम्बंधित व्यक्ति अपनी उम्र का हवाला देकर जाने से इनकार कर सकता है.

पढ़ें: फिर निकला फोन टैपिंग का जिन्नः दिल्ली क्राइम ब्रांच ने मुख्य सचेतक महेश जोशी को भेजा नोटिस, 24 जून को किया तलब

महेश जोशी की उम्र है 65 साल से अधिक

दरअसल मुख्य सचेतक महेश जोशी को दिल्ली क्राइम ब्रांच ने नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए 24 जून को पेश होने के निर्देश दिए थे. जबकि महेश जोशी 65 साल की उम्र पार कर चुके हैं. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह की ओर से फोन टैपिंग के मामले में दिल्ली में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी. उसी मामले में पूछताछ के लिए क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर सतीश मलिक ने महेश जोशी को सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस जारी कर 24 जून को सुबह 11 बजे पेश होने के निर्देश दिए हैं.

महेश जोशी को मिले नोटिस पर कानून के जानकारों की राय

सीआरपीसी की धारा 160 में प्रावधान है कि पुलिस 15 साल से कम और 65 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति को पूछताछ के लिए थाने नहीं बुला सकती. इसके अलावा कानूनविद यह भी बताते हैं कि पुलिस अपने थाना इलाके और पास के थाना क्षेत्र में रहने वाले व्यक्ति को ही पूछताछ के लिए थाने बुला सकती है. जबकि फोन टैपिंग के मामले में एफआईआर दिल्ली के तुगलक रोड थाने में दर्ज हुई है. जिसके चलते पुलिस को यह अधिकार नहीं है कि वह राजस्थान में रहने वाले किसी व्यक्ति को तलब करे.

वहीं बात जब 65 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति की आती है तो पुलिस का यह कर्तव्य है की वह संबंधित व्यक्ति के घर जाकर ही पूछताछ करे. यदि कोई पुलिसकर्मी अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता है तो उसे आईपीसी की धारा 166A के तहत 6 माह की जेल का भी प्रावधान है.

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