जयपुर. प्रदेश में एक बार फिर एमबीसी आरक्षण को लेकर गुर्जर समाज आंदोलनरत है. पीलूपुरा में गुर्जरों ने पटरी पर कब्जा भी कर लिया है, इस बीच सरकार भी वार्ता की पहल कर रही है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया का मानना है कि समस्या का समाधान तभी संभव है, जब वार्ता वस्तु स्थिति स्पष्ट करके हो और दोनों पक्षों में बात हो.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में कटारिया ने कहा जो भी यह स्पष्ट होगा, जैसे कि संविधान में कितना देने का किसको अधिकार है और क्या मौजूदा परिस्थितियों में दिया जा सकता है और उसे दोनों पक्ष बड़ा मन रखकर मान ले, तो इस प्रकार के आंदोलन की भविष्य में आवश्यकता ही न पड़े. कटारिया के अनुसार पहले भी उनकी सरकार के कार्यकाल में इस प्रकार के आंदोलन हुए हैं.
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लेकिन सरकारी आंदोलन के समय क्षणिक रूप से इस को टालने के लिए आश्वासन भी देती है और आंदोलन करने वाला पक्ष भी उस समय वार्ता के बाद राजी हो जाता है, लेकिन दोनों ही पक्षों को मौजूदा वस्तुस्थिति स्पष्ट कर यह देख लेना चाहिए कि कितना कुछ सरकार के अधिकार क्षेत्र के तहत दिया जा सकता है. कितना संविधान के तहत मिल सकता है. यदि मोटे तौर पर यह सब कुछ समझ कर वार्ता हो, तो इस आंदोलन की जरूरत ही न पड़े.
पटरी पर भीड़ आने के बाद उसे कंट्रोल करना मुश्किल इसलिए पहले से सरकार करती तैयारी -कटारिया
ईटीवी भारत से खास बातचीत में गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि पहले हुई वार्ता के दौरान वस्तु स्थिति स्पष्ट नहीं की गई. इसका नतीजा यह रहा कि आज फिर गुजर समाज पटरी पर है. कटारिया के अनुसार आंदोलन के पटरी पर पहुंचने के बाद उसे कंट्रोल करना मुश्किल होता है और सरकार को इन तमाम स्थितियों की संभावनाओं को देखते हुए पहले से ही तैयारी करना चाहिए था. कटारिया ने कहा कि हमारी सरकार के दौरान भी बैंसला ने कई बार हमारे साथ वार्ता की थी. इस दौरान उन्होंने मान भी लिया कि बहुत कुछ मिल गया, लेकिन फिर वापस आंदोलन की राह पर उन्हें चलना पड़ा.
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पत्र भेजने के बजाय मुख्यमंत्री खुद वहां जाकर वस्तुस्थिति स्पष्ट करें -कटारिया
वहीं जब गुलाब चंद कटारिया से पूछा गया कि एमबीसी समाज की एक मांग एमबीसी आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालना भी है और इस संबंध में केंद्र सरकार को पत्र भी भेजे गए, लेकिन कुछ नहीं हुआ. तो कटारिया ने कहा कि केवल पत्र भेजने से ही समाधान हो जाए या जरूरी नहीं. बल्कि प्रदेश सरकार के मुखिया को इस सिलसिले में केंद्र सरकार से आगे होकर बात करना भी चाहिए. कटारिया ने यह भी कहा कि पत्र भेजने की बजाय खुद मुख्यमंत्री वहां जाकर वस्तुस्थिति स्पष्ट करें.
कटारिया ने कहा कि आमने-सामने बैठकर इस बारे में चर्चा भी करना चाहिए कि आप क्या कुछ दे सकते हैं और हमारे अधिकार क्षेत्र में क्या कुछ देने की शक्ति है. कटारिया ने कहा कि केंद्र के समक्ष पूरे देश भर में केवल राजस्थान की ही समस्या नहीं है, बल्कि संपूर्ण देश में विभिन्न जातियों के द्वारा खड़े होने वाले विषय है. उन सब विषयों को देखते हुए ही यह चर्चा करना चाहिए.
नियुक्ति पत्र देने के मामले में बोले कटारिया
एबीसी समाज की 5 प्रतिशत रिजर्वेशन कोटा के अनुसार बैकलॉग की भर्तियों के नियुक्ति पत्र देना भी है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया कहते हैं यदि प्रदेश सरकार के पास अधिकार है तो नियुक्ति पत्र देना चाहिए. लेकिन कई बार विषय कानूनी अड़चनों में अटक जाता है और कोर्ट में अटक जाता है. ऐसे में कोई चीज कोर्ट में न अटके उसको ध्यान में रखते हुए सरकार को से मैदानी प्रावधान भी करना चाहिए.
राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान जनता और राष्ट्र के हित में नहीं: कटारिया
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि अब जब आंदोलन शुरू हो चुका है, तो राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान भी होने की संभावना है. लेकिन राष्ट्रीय हित में राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान नहीं होना चाहिए. क्योंकि यह जनता के हित में भी नहीं है. उन्होंने कर्नल बैंसला और आंदोलनकारियों से भी यही अपील की है कि वे वार्ता के जरिए इसका समाधान करें, क्योंकि राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान जनता और राष्ट्र का नुकसान है.
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बीजेपी में शामिल हुए थे बैसला
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हुए थे. नेता प्रतिपक्ष गुलाब सिंह कटारिया से जब इस संबंध में सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि समाज से जुड़े बड़े लीडरों को पार्टी अपने साथ जोड़ती भी है. वह कई बार के लीडर खुद पार्टी के साथ जोड़ते हैं. कटारिया जब बैंसला भाजपा से जुडे़ होंगे तो उन्हें भी लगा होगा कि केंद्र में सरकार है जो संभवत समाज से जुड़ी मांगों का समाधान हो, लेकिन कई बार केंद्र में भी सामूहिक निर्णय सबसे चर्चा करने के बाद लेना पड़ता है. हालांकि कटारिया का कहना है कि बीजेपी और केंद्र सरकार सभी समाजों के हित का पूरा ध्यान रखती है और यह चाहती है कि समाजों यह तो के साथ किसी भी प्रकार का कुठाराघात न हो.