जयपुर. शक्ति की उपासना का महापर्व चैत्र नवरात्र पर माता रानी कई विशेष योग में घोड़े पर सवार होकर प्रवेश करेंगी. हिन्दू नववर्ष 13 अप्रैल के मौके पर शुरू हो रहे नवरात्रों का समापन 21 अप्रैल रामनवमी के दिन होगा. इन 9 दिनों में देवी भगवती को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त 9 दिनों तक व्रत और उपवास रखकर देवी के 9 रूपों की पूजा-अर्चना और पाठ करेंगे.
ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि चैत्र नवरात्र जिसे बसंत नवरात्र भी कहते हैं जो 13 अप्रैल को प्रारंभ हो रहे हैं. वहीं देवी के आव्हान के लिए घट स्थापना का मुहूर्त प्रातःकाल का शुभ रहता है.
मंगलवार को सूर्योदय 6.09 बजे होगा इसलिए उस दिन सुबह 9.46 बजे से दोपहर 12 बजे तक घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा. वहीं 12.02 बजे से 12.52 बजे तक अभिजीत मुहूर्त होगा. जिसमें मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की स्थापना की जाएगी.
इन नवरात्र में कुमार योग, सर्वार्थसिद्धि योग, अमृत योग और रवि योग का विशेष संयोग बन रहा है. जिसमें मां घोड़े पर सवार होकर आएगी, जो युद्ध का एक प्रतीक है. जिसे शुभ नहीं माना जाता है. मान्यता है कि नवरात्र में देवी दुर्गा पृथ्वी पर आती है. जहां वे 9 दिनों तक वास करते हुए अपने भक्तों की साधना से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं. नवरात्र पर देवी दुर्गा की साधना और पूजा पाठ करने से आम दिनों के मुकाबले आराधना का कई गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है.
इसलिए नवरात्र में 9 दिन शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की आराधना होगी. इसके अलावा कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को देखते हुए इस बार भी पिछले साल चैत्र और शारदीय नवरात्र की तरह ही आमेर शिला माता सहित अन्य शक्ति पीठों पर भक्तों के मेले नहीं भर सकेंगे. इस बार कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हुए मंदिरों में दर्शन की व्यवस्था होगी.