जयपुर. धरती पर ऑक्सीजन कैसे आई ? अरावली की पहाड़ियों में उगने वाले धोक के पेड़ों का क्या इतिहास है ? रेत से पत्थर बनने में कितने साल लगे ? ऐसे कई सवालों का जवाब अब जयपुर के किशनबाग परियोजना (Kishanbagh Project In Jaipur) में मिल जाएगा.
ये एक सामान्य प्रकार का शहरी उद्यान नहीं है. इसका उद्घाटन होने के बाद जयपुर में पर्यटन (tourism in jaipur) बढ़ेगा. इसके साथ ही राजस्थान में वानिकी शिक्षा (Forestry education in rajasthan) के क्षेत्र में यह एक बड़ा सेंटर बन जाएगा. जयपुर विकास प्राधिकरण का यह नया प्रोजेक्ट (jda new project in jaipur) है. नाहरगढ़ के रेतीले टीलों को स्थाई कर वहां पर पाये जाने वाले जीव जन्तुओं के प्राकृतिक वास को सुरक्षित कर संधारित किया गया है. वैज्ञानिक और शैक्षिक अभिरूचि पैदा करने के लिए राजस्थान में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार की बलुआ चट्टानों के बनने के बारे में जानकारी एवं राजस्थान की विषम परिस्थितियों जैसे बलुआ एवं ग्रेनाईट की चट्टानों तथा आर्द्र भूमि में उगने वाले पौधों को मौके पर माईक्रो क्लस्टर के रूप में विकसित कर साईनेज लगाए गए. इस परियोजना में 64.30 हेक्टेयर भूमि पर विकास कार्य किया गया.
किशनबाग परियोजना में सिविल वर्क
किशनबाग परियोजना में उद्यानिकी कार्य
तीन साल में कुल 51.6 हैक्टर क्षेत्रफल में अरावली और मरुस्थल क्षेत्र में पाये जाने वाले वनस्पति और घास की विभिन्न प्रजातियों के बीजारोपण/पौधारोपण कार्य संपादित कर उपचारित/विकसित किया जा चुका है.
विकसित किये जाने वाले क्षेत्र में विभिन्न रेगिस्तानी वनस्पति प्रजातियों के लगभग 7 हजार पेड़ लगाए गए हैं. जिसमें खैर, रोज, कुमठा, अकोल, धोंक, खेजडी, इंद्रोक, हिंगोट, ढाक, कैर, गूंदा, लसोडा, बर्ना, गूलर, फालसा, रोहिडा, दूधी, खेजडी, चूरैल, पीपल, जाल, अडूसा, बुई, वज्रदंती, आंवल, थोर, फोग, सिनाय, खींप, फ्रास जैसी प्रजाति के पेड़-पौधे और लापडा, लाम्प, धामण, चिंकी, मकडो, डाब, करड, सेवण जैसी प्रजाति की घास का बीजारोपण किया गया है.
बता दें कि सिंगापुर के उद्यान 'गार्डन बाई द वे' की तर्ज पर विकसित करने का प्रस्ताव था. हालांकि यहां की जलवायु और मिट्टी के अनुसार इसे प्राकृतिक रेगिस्तानी थीम (Desert Theme Garden in Jaipur) पर विकसित किया गया. परियोजना की विशेष प्रकृति को देखते हुए परियोजना के संधारण और प्रबन्धन के कार्य के लिए मैसर्स राव जोधा डेजर्ट रॉक पार्क सोसायटी इसका काम देखेगी. इस परियोजना का उद्घाटन होना बाकी है. शहर की आम जनता और पर्यटकों को अब इंतजार है कि आखिर मुख्यमंत्री परियोजना को कब जनता के सुपुर्द करेंगे.