जयपुर. राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने शुक्रवार को विशेष उल्लेख समय में संसद मे पर्यावरण संबंधित (Environment Issue in Rajya Sabha) मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि जीवाश्म ऊर्जा को पर्यावरण के लिए बहुत घातक मानकर इस पर तुरंत रोक लगाने का विचार दुनिया भर में चल रहा है. उन्होंने कहा कि ग्लास्गो में 13 नवंबर 2021 को संपन्न हुई यूएन क्लाइमेंट चेंज कॉन्फ्रेंस में 2050 तक दुनिया को नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन तक ले जाने का निर्णय हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वाधीनता दिवस पर ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की थी.
IEEA के अनुसार बिजली उत्पादन के पारंपरिक स्रोतों की उपलब्धता कम होती जा रही है. ऐसे मे सौर और पवन ऊर्जा जैसे गैर पारंपरिक स्रोत आने वाले दिनों में अहम साबित होंगे. राजस्थान में वर्ष भर में औसतन 325 दिन सूरज चमकता है. जिससे प्रदेश में सौर ऊर्जा की विपुल संभावनाएं हैं. यहां 14,231 मैगा वाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्रों के बिजली उत्पादन का अनुमान लगाया गया है, जो कि देश में सर्वाधिक है.
मीणा ने कहा बीकानेर के भारूखेड़ा गांव में इंटीग्रेटेड औद्योगिक प्लांट प्रस्तावित है. जिसमें सौर ऊर्जा से हाइड्रोजन को बनाया ही जाएगा. साथ ही इससे अमोनिया में भी बदला जाएगा. इन दोनों को बनाने में कार्बन उत्सर्जन नहीं होगा और इससे 9,500 मेगावाट बिजली उपलब्ध होगी. इसे एक्समे नाम की कंपनी करने जा रही है. सांसद ने कहा कि राजस्थान में सबसे सस्ती और प्रचूर सोलर ऊर्जा उपलब्ध है. वहां जरूरत की जमीन भी आसानी से मिल जाती है. राज्य सरकार को एक बड़ी कंपनी से बीकानेर जैसलमेर व बाड़मेर जिलों में बड़े सोलर प्लांट लगाने के प्रस्ताव मिले हैं.
मीणा ने कहा कि मेरी मांग है कि केंद्र सरकार बीकानेर, जैसलमेर व बाड़मेर जिलों में ऐसे बड़े सोलर प्रोजेक्ट लगाए जाने की सहमति Rajasthan in Parliament Today) प्रदान करे. जिससे युवाओं को रोज़गार के अवसर तो मिलेंगे ही साथ बिजली की कमी से जूझ रहा प्रदेश को राहत प्रदान होगी.
राजसमंद में उच्च न्यायालय की स्थाई पीठ की स्थापना हो - दीया कुमारी
वहीं, लोकसभा में बजट सत्र के दौरान व्यक्तिगत विधेयक पेश करते हुए सांसद दीया कुमारी ने राजसमंद में उच्च न्यायालय की एक स्थाई पीठ की स्थापना की मांग रखी. बिल पेश करते हुए सांसद दीया कुमारी ने कहा कि राजस्थान सबसे बड़े राज्यों में से एक है. औसतन, राज्य की पच्चीस लाख की आबादी पर केवल एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं.
इसलिए मामलों को प्रभावी ढंग से निपटाने और लंबित मामलों को कम करने के लिए उच्च न्यायालय की एक अतिरिक्त स्थाई पीठ की आवश्यकता है. सांसद ने कहा कि उच्च न्यायालय में संभाग के लंबित मामलों की संख्या काफी ज्यादा है. भारत का संविधान प्रत्येक नागरिक को न्याय प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है. राजस्थान में आदिवासी आबादी के जिलेवार वितरण से पता चलता है कि उदयपुर संभाग में उनकी सबसे अधिक बहुलता है. जिसमें बांसवाड़ा जिला 72.3 फीसदी, इसके बाद डूंगरपुर 65.1 फीसदी और उदयपुर 47.9 फीसदी शामिल हैं.
सांसद दीया कुमारी ने कहा कि वास्तव में इस आदिवासी आबादी का एक बड़ा हिस्सा अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आता है. इस आदिवासी आबादी का अधिकांश हिस्सा आर्थिक रूप से कमजोर है जो जोधपुर और जयपुर पीठों के बीच लंबी दूरी के कारण न्याय तक पहुंचने में असमर्थ हैं. अत: राजसमंद में स्थाई पीठ की स्थापना से न केवल सरकारी खजाने से अनावश्यक व्यय कम होगा, बल्कि राजसमंद, पाली, अजमेर, सिरोही भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा और उदयपुर जिलों के लोगों, विशेषकर आदिवासी लोगों को भी लाभ होगा.