जयपुर. विधानसभा सत्र में खुद को संवैधानिक दर्जा दिए जाने का बिल रखे जाने की उम्मीद लगाकर बैठे खिलाड़ी लाल बैरवा उस समय सरकार से नाराज हो गए, जब आज भी राजस्थान एससी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए (Bairwa on Constitutional status to SC commission) विधानसभा में सरकार ने कोई बिल नहीं रखा. इससे नाराज खिलाड़ी लाल बैरवा ने एक बार फिर अपनी ही सरकार पर न केवल हमला बोला.
उन्होंने कहा कि (Khiladi Lal Bairwa comment on Gehlot) सीएम अशोक गहलोत ने सवाई माधोपुर में जो कुछ भी कहा उससे सब को पता लग गया कि जयचंद और रायचंद कौन है? लेकिन हमें इस बात की पीड़ा हो रही है कि हर पल सरकार को खबरें पहुंचाने वाले वह जयचंद और रायचंद सरकार के उन 102 लोगों से ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गए जो सरकार बचाने के लिए 30-35 दिन तक डटे रहे. खिलाड़ी लाल बैरवा ने कहा कि हमारे दिलों को इस बात की चोट पहुंची है कि सरकार बचाने के लिए हमने जो मेहनत की वह गलत थी.
गांधी परिवार के बाद केवल सचिन पायलट जुटा सकते हैं भीड़
राजस्थान एससी आयोग के अध्यक्ष और विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने आज एक बार फिर राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट को जल्द से जल्द सम्मान यानी पद देने की मांग की. खिलाड़ी लाल बैरवा ने कहा कि गांधी परिवार के बाद केवल सचिन पायलट हैं, जो कांग्रेस के लिए भीड़ जुटा सकते हैं. ऐसे में पायलट को उनके कद के अनुसार जल्द सम्मान दे देना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर ज्यादा वक्त निकल जाएगा तो सब खत्म हो जाएगा, अभी भी वक्त है क्योंकि जब जागो तभी सवेरा.
खिलाड़ी लाल बैरवा ने एक बार फिर यह बात दोहराई कि जो शेड्यूल कास्ट का मतदाता कांग्रेस को लगातार वोट देता रहा है, वह चाहता है कि राजस्थान में एससी आयोग को संवैधानिक दर्जा मिले. उन्होंने कहा कि सरकार के पास अभी भी समय है कि वह एससी आयोग को संवैधानिक दर्जा दे और इंद्र मेघवाल के मामले में एससी लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनके परिवार के किसी व्यक्ति को सरकारी नौकरी के साथ ही 50 लाख का मुआवजा दें.
क्या था पूरा मामला सवाई माधोपुर का
दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कुछ दिन पहले सवाई माधोपुर गए जहां उन्होंने विधायक दानिश अबरार की तारीफ करते हुए कहा था कि अगर दानिश समय पर पल-पल की सूचना नहीं देते तो राजस्थान में सरकार नहीं बचती. आपको बता दें कि दानिश अबरार, रोहित बोहरा और चेतन डूडी पहले पायलट समर्थक माने जाते थे और कहा जाता है कि दानिश अबरार के साथ ही विधायक चेतन डूडी और रोहित बोहरा पायलट का साथ छोड़कर जयपुर लौट आए थे जिसके चलते गहलोत गुट उस समय मजबूत हो गया था.