जयपुर. राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया ने राजनीति में उम्र की सीमा 70 साल करने की बात कह कर (Satish Poonia statement on retirement age in politics) राजस्थान में एक नई बहस शुरू कर दी है. पुनिया के इस बयान को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ मुख्यमंत्री पद को लेकर रस्साकशी के साथ जोड़कर देखा जा रहा है. पूनिया के इस बयान पर खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि राजनीति कोई सरकारी नौकरी नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम है.
राजनीति में हर उम्र का व्यक्ति पंच, सरपंच, प्रधान, जिला प्रमुख, एमएलए, एमपी, मिनिस्टर, चीफ मिनिस्टर और प्राइम मिनिस्टर बन सकता है. प्रताप सिंह ने कहा कि सबको राजनीति करने का अधिकार है. राजनीति में जो उम्र की बात करते हैं वह कमजोर लोग होते हैं. राजनीति योग्यता, संघर्ष, सेवा की सोच के साथ की जाती है. राजनीति जिंदादिली के साथ की जाती है. इसमें उम्र की बाधा की बात कोई नहीं कर सकता.
कांग्रेस मुक्त भारत बोलने वाले खुद हो गए थे उपचुनाव में मुक्त: पूनिया के 'कांग्रेस मुक्त भारत' वाले बयान पर मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि कांग्रेस मुक्त भारत की बात करने वाले राजस्थान में हुए उपचुनाव में खुद मुक्त हो गए थे. उन्होंने कहा कि आटा-चावल जैसी चीजों पर टैक्स लगाने वाले कभी भी इस देश के सगे नहीं हो सकते. उन्होंने कहा कि कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देखने वालों के सपने कभी पूरे नहीं होने वाले. क्योंकि कांग्रेस और इस देश का डीएनए एक है. कांग्रेस के मंच पर सभी धर्मों के लोग खड़े रहते हैं.
बीजेपी पूरे देश में डर और नफरत का माहौल बना रही: कांग्रेस का मंच देश के विकास को आगे बढ़ाने वाला होता है. खाचरियावास ने कहा कि कांग्रेस के मंच पर धर्म और जाति का टकराव नहीं होता, हम तिरंगे को अपना धर्म मानते हैं. इसलिए इनके मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने पूरे देश में डर और नफरत का माहौल बना रखा है, लेकिन अब जनता समझने लगी है. इनकी नफरत की फैक्ट्री ज्यादा दिन चलने वाली नहीं है.
ईडी ईमानदार तो किया जाए इसे सुप्रीम कोर्ट के अधीनः वहीं सुप्रीम कोर्ट की ओर से ईडी के अधिकार बरकरार रखने पर प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स केंद्र की जांच एजेंसियां हैं. ईडी अगर इतनी ही इमानदार है तो उसे किसी मंत्रालय के अधीन रखने की जगह सुप्रीम कोर्ट के अधीन लाना चाहिए. क्योंकि जब तक ईडी मंत्रालय के अधीन रहेगी तो उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठते रहेंगे.