रेनवाल (जयपुर). करवाचौथ का पर्व विवाहित महिलाओं के लिए खासा महत्व रखता है. इस महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और चांद के साथ पति का चेहरा देखकर ही उपवास तोड़ती हैं. वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है. गुरुवार को करवाचौथ है औऱ महिलाएं पति के लिए व्रत रखेंगी. कहा जाता है कि महिलाओं अपने पति की रक्षा के लिए यमराज तक से लड़ जाता हैं. अपने सत्यवान और सावित्री की कहानी तो आपने सुनी ही होगी. अपने पति के प्राण बचाने के लिए सावित्री यमराज तक के पीछे चली गई थी. सावित्री के पतिव्रत के आगे यमराज को भी झुकना पड़ा था. आज भी कई ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने पति के जीवन के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी है.
करवा चौथ के अवसर पर आज हम आपको ऐसी ही एक जयपुर जिले की युवा महिला है जिसने अपनी किडनी डोनेट कर जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे पति को नया जीवनदान दिया (Renwal Bhagwati Devi donate kidney to husband) है. कस्बे के वार्ड नं 6 की 26 वर्षीया भगवती देवी ने अपने पति शंकरलाल वर्मा को किडनी डोनेट कर नई जिदंगी दी है. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद पति पूरी तरह से स्वस्थ है व पहले की तरह अपने कामधाम में लग गया है.
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इलाज में खर्च हो गए 20 लाख
बीपीएल में शंकरलाल के तीन वर्ष तक चले इलाज व ऑपरेशन में 20 लाख से ज्यादा खर्च हो गए. शंकर लाल ने बताया कि स्वयं के ट्रक व प्लॉट बिक गया. इतना ही नहीं 10 लाख का कर्जा भी हो गया. शंकर का कहना है कि अब दुकान करना चाहता हूं, लेकिन आर्थिक स्थिती खराब है. सरकार कुछ मदद कर दे तो कामधाम कर परिवार चला सकूं.
एमए पास भगवती देवी का कहना है कि उसके पति उसके लिए सब कुछ हैं. किडनी डोनेट कर पत्नी धर्म निभाया है. वर्ष 2014 में रेनवाल के शंकरलाल की शादी भगवती देवी के साथ हुई. दोनों ने नई जिंदगी की खुशी-खुशी शुरुआत की. शंकर के पास ट्रक था जिसे चलाकर परिवार का खर्चा आराम से चल रहा था. चार साल में दो बच्चे हुए. पूरा परिवार खुश था, लेकिन वर्ष 2018 में कुछ ऐसा हुआ कि सबकुछ बदल गया.
क्रिटेनन बढ़ने से बढ़ी दिक्कत
एक दिन शंकरलाल के पेशाब में दिक्कत हुई. जांच कराई तो क्रिटेनन बढ़ा हुआ आया.डॉक्टर को दिखाने व दवा लेने का सिलसिला चल पड़ा. पहले जयपुर, फिर दिल्ली, अहमदाबाद सब जगह से दवा ली, लेकिन क्रिटेनन बढ़ता गया. ज़ुलाई 2020 में डायलेसिस शुरू हो गया. शुरुआत में डायलेसिस 15 दिन पर होता था, लेकिन कुछ दिनों बाद सात दिन और फिर सप्ताह में दो बार होने लगा. वजन 70 किलो से घटते-घटते मात्र 35 किलो रह गया. डॉक्टर ने कह दिया कि किडनी ट्रांसप्लांट ही एक मात्र विकल्प है.
लगातार तीन साल से इलाज जारी रखने के लिए पत्नि हमेशा पति का हौसला बढ़ाती रही. पति ही नहीं पूरे परिवार को हिम्मत देती रही. उसने पति को स्वस्थ करने के लिए खुद किडनी देने का निश्चय (Renwal woman donates kidney to her husband) किया. सितंबर 2021 में जयपुर के निम्स हॉस्पिटल में डॉ प्रतीक त्रिपाठी व उनकी टीम ने किडनी ट्रांसप्लांट किया. करीब एक सप्ताह हॉस्पिटल में रहने के बाद पति व पत्नि को डिस्चार्ज कर दिया. अब दोनों पूरी तरह से स्वस्थ हैं. पत्नि के इस त्याग पर पति के साथ पूरा परिवार उसे दुआएं देता है.