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अनुभवी सोनोलॉजिस्ट डॉक्टर्स के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू करे राज्य सरकार: कालीचरण सराफ

भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर पीसीपीएनडीटी एक्ट में पंजीकृत सोनोलॉजिस्ट डॉक्टर्स के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू करके 15 वर्ष के अनुभवी डॉक्टर्स के लिए परीक्षा की अनिवार्यता समाप्त करने की मांग की है.

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Published : Jul 9, 2021, 9:58 PM IST

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अनुभवी सोनोलॉजिस्ट डॉक्टर्स के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू करे राज्य सरकार: कालीचरण सराफ

जयपुर. पूर्व चिकित्सा मंत्री और भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर पीसीपीएनडीटी एक्ट में पंजीकृत सोनोलॉजिस्ट डॉक्टर्स के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू करके 15 वर्ष के अनुभवी डॉक्टर्स के लिए परीक्षा की अनिवार्यता समाप्त करने की मांग की है.

पढ़ें: आरएएस भर्ती की प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

कालीचरण सराफ ने बताया कि सोनोलॉजिस्ट डॉक्टर्स के प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मुलाकात कर जानकारी दी कि एक दो महीने में राज्य सरकार द्वारा परीक्षा आयोजित की जा रही है. जिसके अंतर्गत प्रदेश में वर्षों से सेवाएं दे रहे सभी सोनोलॉजिस्ट डॉक्टर्स को परीक्षा में बैठना अनिवार्य है. पूर्व में इस निर्णय के खिलाफ डॉक्टर्स ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिस पर निर्णय देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 15 वर्ष का अनुभव प्राप्त डॉक्टर्स के लिए परीक्षा की अनिवार्यता समाप्त कर दी थी.

सराफ ने बताया कि पीसीपीएनडीटी केंद्रीय एक्ट है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश के सभी राज्यों पर लागू होता है. हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू किया तथा अपने राज्य के सोनोलॉजिस्ट डॉक्टर्स की चिंताओं को दूर करते हुए उन्हें रिलीफ दिया.

सराफ ने आगे कहा कि राजस्थान में 55 से 75 वर्ष के कम से कम 100 एमबीबीएस डॉक्टर्स ऐसे हैं जो पीसीपीएनडीटी एक्ट में पंजीकृत हैं. जिन्होंने कोरोना काल में भी अपनी सेवाएं जारी रखी हैं. पत्र में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग करते हुए सराफ ने कहा कि हरियाणा सरकार की तर्ज पर राजस्थान में भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कर प्रदेश के सैकड़ों अनुभवी व वृद्ध सोनोलॉजिस्ट डॉक्टर्स को राहत प्रदान करें.

जयपुर. पूर्व चिकित्सा मंत्री और भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर पीसीपीएनडीटी एक्ट में पंजीकृत सोनोलॉजिस्ट डॉक्टर्स के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू करके 15 वर्ष के अनुभवी डॉक्टर्स के लिए परीक्षा की अनिवार्यता समाप्त करने की मांग की है.

पढ़ें: आरएएस भर्ती की प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

कालीचरण सराफ ने बताया कि सोनोलॉजिस्ट डॉक्टर्स के प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मुलाकात कर जानकारी दी कि एक दो महीने में राज्य सरकार द्वारा परीक्षा आयोजित की जा रही है. जिसके अंतर्गत प्रदेश में वर्षों से सेवाएं दे रहे सभी सोनोलॉजिस्ट डॉक्टर्स को परीक्षा में बैठना अनिवार्य है. पूर्व में इस निर्णय के खिलाफ डॉक्टर्स ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिस पर निर्णय देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 15 वर्ष का अनुभव प्राप्त डॉक्टर्स के लिए परीक्षा की अनिवार्यता समाप्त कर दी थी.

सराफ ने बताया कि पीसीपीएनडीटी केंद्रीय एक्ट है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश के सभी राज्यों पर लागू होता है. हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू किया तथा अपने राज्य के सोनोलॉजिस्ट डॉक्टर्स की चिंताओं को दूर करते हुए उन्हें रिलीफ दिया.

सराफ ने आगे कहा कि राजस्थान में 55 से 75 वर्ष के कम से कम 100 एमबीबीएस डॉक्टर्स ऐसे हैं जो पीसीपीएनडीटी एक्ट में पंजीकृत हैं. जिन्होंने कोरोना काल में भी अपनी सेवाएं जारी रखी हैं. पत्र में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग करते हुए सराफ ने कहा कि हरियाणा सरकार की तर्ज पर राजस्थान में भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कर प्रदेश के सैकड़ों अनुभवी व वृद्ध सोनोलॉजिस्ट डॉक्टर्स को राहत प्रदान करें.

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