जयपुर. पूर्व मंत्री एवं विधायक कालीचरण सराफ ने शिक्षकों के साथ शिक्षामंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा की ओर से किए गए अमर्यादित व्यवहार की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि शिक्षकों को धमकाकर और अपमानित करके शिक्षा मंत्री ने पद की गरिमा को शर्मसार किया है.
सराफ ने कहा कि प्रजातंत्र में सभी को अपनी बात रखने का हक है और सरकार में बैठे नेताओं का कर्तव्य है कि जनता की बात को धैर्य पूर्वक सुनें. लेकिन अपनी मांगों लेकर ज्ञापन देने आए शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों को ससपेंड करने की धमकी देना और उनके साथ अवांछनीय बर्ताव करना घोर निंदनीय है. शिक्षकों के साथ जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल शिक्षा मंत्री न किया है वो उनके अहंकार और सामन्तवादी सोच को दर्शाता है.
उन्होंने कहा कि सत्ता के नशे में चूर गोविन्द सिंह डोटासरा ने अपने व्यवहार से शिक्षा मंत्री पद के सम्मान को भी ठेस पहुंचाई है. जनता में विश्वास खो चुकी कांग्रेस पार्टी के नेता असम, बंगाल एवं अन्य राज्यों सहित राजस्थान के उपचुनाव में साफ नजर आ रही करारी हार में कुंठाग्रस्त होकर अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं. कांग्रेस को बाड़ेबंदी का बहुत शौक है. असम के विधायक प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी करके उनकी आवभगत करने में व्यस्त हैं इसलिए डोटासरा को नाथी का बाड़ा याद आ रहा है.
सराफ ने कहा कि शिक्षामंत्री के बर्ताव से प्रदेश के शिक्षकों में तो जबर्दस्त रोष व्याप्त है ही. राज्य की जनता भी ऐसे तुनकमिजाज व्यक्ति को शिक्षामंत्री जैसे जिम्मेदार पद पर बर्दाश्त नहीं करेगी. सराफ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग करते हुए कहा कि शिक्षामंत्री अपने पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं. इसलिए उन्हें बर्खास्त किया जाए तथा गोविन्द सिंह डोटासरा अपने व्यवहार के लिए शिक्षकों एवं राज्य की जनता से तुरंत माफी मांगें.