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Exclusive: डायरेक्ट इलेक्शन के बाद इस बार दोनों नगर निगम में होगी कांग्रेस की महापौर : ज्योति खंडेलवाल

जयपुर के दोनों नगर निगम हेरिटेज और ग्रेटर दोनों में कांग्रेस का बोर्ड बनेगा और मेयर भी कांग्रेस का ही होगा. ये कहना है डायरेक्ट इलेक्शन में जीतने वाली कांग्रेस की पहली महापौर ज्योति खंडेलवाल का. खंडेलवाल ने कोरोना काल में राज्य सरकार द्वारा 'कोई भूखा न सोए' मुहिम और विकास कार्यों का हवाला देकर ये दावा किया. अपने विपक्षी बोर्ड के दौरान पांच साल तक महापौर रहने वाली खंडेलवाल से ईटीवी भारत ने उनके कार्यकाल के साथ-साथ, वर्तमान परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम के समीकरण पर भी बात की.

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Published : Oct 24, 2020, 10:42 PM IST

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पहली महापौर ज्योति खंडेलवाल का ईटीवी भारत से खास बातचीत

जयपुर. राजधानी में नगर निगम चुनाव का शंखनाद हो चुका है. जयपुर में हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम बनाए गए हैं, जिसमें अलग-अलग बोर्ड और महापौर चुना जाएगा. महापौर का चुनाव पार्षदों के द्वारा किया जाएगा, लेकिन जयपुर में एक बार महापौर का चुनाव डायरेक्ट इलेक्शन से भी हो चुका है. उस वक्त पहली बार कांग्रेस का महापौर चुना गया. ज्योति खंडेलवाल कांग्रेस की पहली महापौर बनीं. हालांकि उनका कार्यकाल इतना आसान नहीं रहा, जिसका बड़ा कारण बोर्ड बीजेपी का होना था.

पहली महापौर ज्योति खंडेलवाल का ईटीवी भारत से खास बातचीत

ज्योति खंडेलवाल ने बताया कि राजस्थान की राजनीति का सबसे बड़ा इलेक्शन लड़ने का उन्हें सौभाग्य मिला और जनता ने उन्हें चुनकर महापौर बनाया. चूंकि जनता ने सीधे चुनकर उन्हें शहर का प्रथम नागरिक बनाय. ऐसे में जनता के प्रति जवाबदेही और बढ़ जाती है. हालांकि विपक्षी पार्टी का बोर्ड होने की वजह से उन्हें काफी परेशानी का भी सामना करना पड़ा. लेकिन यही वो समय भी था, जब सर्वसम्मति से बीजेपी और कांग्रेस के पार्षदों की संयुक्त समितियां बनी और यही वो दौर था, जब शहर में सबसे ज्यादा विकास कार्य हुए. ऑपरेशन परकोटा चलाया गया और 16 हजार से ज्यादा पट्टे बांटे गए.

'दोनों नगर निगम में होगी कांग्रेस की महापौर'

यह भी पढ़ें: Exclusive: किसानों से जुड़े मामलों का डिजिटलाइजेशन करेगी सरकार, जल्द ही नए कानून लाए जाएंगे: हरीश चौधरी

हालांकि ये वो दौर भी था, जब मेयर और कमिश्नर के बीच सामंजस्य देखने को नहीं मिला. सबसे ज्यादा कमिश्नर भी इसी कार्यकाल में बदले हैं. इस पर ज्योति खंडेलवाल ने कहा कि अधिकारी से समन्वय स्थापित करने से बेहतर जनता के काम करना था और इसके लिए यदि अधिकारी को कुछ कहना पड़ रहा है, तो उसमें कुछ गलत भी नहीं. जहां तक कमिश्नर बदलने की बात है तो उनके कार्यकाल में तो कमिश्नर बदले, लेकिन बीते बीजेपी के कार्यकाल में तो तीन-तीन महापौर तक बदल गए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मेयर रहते हुए उन्होंने अपने ही डिपार्टमेंट में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज भी बुलंद की, और उसे अंजाम तक भी पहुंचाया.

यह भी पढ़ें: कोटा की पहली मेयर ने कहा- सरकार ने मेयर को बनाया पावरलेस, आयुक्त के बिना नहीं होता काम

ज्योति खंडेलवाल ने वर्तमान परिस्थितियों और जयपुर शहर में बनाए गए दो नगर निगम और उसके चुनावी समीकरण को लेकर कहा कि, हेरिटेज क्षेत्र की परिस्थितियां अलग होती हैं. यहां विरासत को बचाने, पुरानी सीवर लाइन बदलने, ट्रैफिक की समस्या का समाधान करने जैसी चुनौती रहती हैं. जबकि ग्रेटर क्षेत्र में मूलभूत सुविधाएं विकसित करने की प्राथमिकता रहती है. इसी को मद्देनजर रखते हुए दो नगर निगम बनाए गए हैं और जहां तक जीत के दावों की बात है तो बीजेपी के दावे खोखले साबित होने वाले हैं. बीजेपी पूरी तरह बैकफुट पर है, उनकी पार्टी में गुटबाजी हावी है और जहां तक राज्य सरकार की बात है, तो कोरोना काल में कोई व्यक्ति भूखा न सोए मुहिम पर काम किया, और हर वर्ग के विकास के काम किए हैं. इन्हीं कामों की वजह से दोनों नगर निगम में कांग्रेस की महिला प्रत्याशी महापौर बनेगी.

यह भी पढ़ें: पंचायत समिति और जिला परिषद के चुनाव की प्रक्रिया सरकार बदल सकती थी, लेकिन...

इस दौरान ज्योति खंडेलवाल ने कहा कि बीजेपी भले ही मेयर चुने गए व्यक्ति को विधायक का टिकट देती हो. लेकिन उनकी पार्टी ने उन्हें विधायक का चुनाव न लड़वाकर सांसद का चुनाव लड़वाया. और अब उनके बाद एक बार फिर कांग्रेस की महिला प्रत्याशी दोनों नगर निगम में महापौर की सीट पर बैठेंगी.

जयपुर. राजधानी में नगर निगम चुनाव का शंखनाद हो चुका है. जयपुर में हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम बनाए गए हैं, जिसमें अलग-अलग बोर्ड और महापौर चुना जाएगा. महापौर का चुनाव पार्षदों के द्वारा किया जाएगा, लेकिन जयपुर में एक बार महापौर का चुनाव डायरेक्ट इलेक्शन से भी हो चुका है. उस वक्त पहली बार कांग्रेस का महापौर चुना गया. ज्योति खंडेलवाल कांग्रेस की पहली महापौर बनीं. हालांकि उनका कार्यकाल इतना आसान नहीं रहा, जिसका बड़ा कारण बोर्ड बीजेपी का होना था.

पहली महापौर ज्योति खंडेलवाल का ईटीवी भारत से खास बातचीत

ज्योति खंडेलवाल ने बताया कि राजस्थान की राजनीति का सबसे बड़ा इलेक्शन लड़ने का उन्हें सौभाग्य मिला और जनता ने उन्हें चुनकर महापौर बनाया. चूंकि जनता ने सीधे चुनकर उन्हें शहर का प्रथम नागरिक बनाय. ऐसे में जनता के प्रति जवाबदेही और बढ़ जाती है. हालांकि विपक्षी पार्टी का बोर्ड होने की वजह से उन्हें काफी परेशानी का भी सामना करना पड़ा. लेकिन यही वो समय भी था, जब सर्वसम्मति से बीजेपी और कांग्रेस के पार्षदों की संयुक्त समितियां बनी और यही वो दौर था, जब शहर में सबसे ज्यादा विकास कार्य हुए. ऑपरेशन परकोटा चलाया गया और 16 हजार से ज्यादा पट्टे बांटे गए.

'दोनों नगर निगम में होगी कांग्रेस की महापौर'

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हालांकि ये वो दौर भी था, जब मेयर और कमिश्नर के बीच सामंजस्य देखने को नहीं मिला. सबसे ज्यादा कमिश्नर भी इसी कार्यकाल में बदले हैं. इस पर ज्योति खंडेलवाल ने कहा कि अधिकारी से समन्वय स्थापित करने से बेहतर जनता के काम करना था और इसके लिए यदि अधिकारी को कुछ कहना पड़ रहा है, तो उसमें कुछ गलत भी नहीं. जहां तक कमिश्नर बदलने की बात है तो उनके कार्यकाल में तो कमिश्नर बदले, लेकिन बीते बीजेपी के कार्यकाल में तो तीन-तीन महापौर तक बदल गए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मेयर रहते हुए उन्होंने अपने ही डिपार्टमेंट में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज भी बुलंद की, और उसे अंजाम तक भी पहुंचाया.

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ज्योति खंडेलवाल ने वर्तमान परिस्थितियों और जयपुर शहर में बनाए गए दो नगर निगम और उसके चुनावी समीकरण को लेकर कहा कि, हेरिटेज क्षेत्र की परिस्थितियां अलग होती हैं. यहां विरासत को बचाने, पुरानी सीवर लाइन बदलने, ट्रैफिक की समस्या का समाधान करने जैसी चुनौती रहती हैं. जबकि ग्रेटर क्षेत्र में मूलभूत सुविधाएं विकसित करने की प्राथमिकता रहती है. इसी को मद्देनजर रखते हुए दो नगर निगम बनाए गए हैं और जहां तक जीत के दावों की बात है तो बीजेपी के दावे खोखले साबित होने वाले हैं. बीजेपी पूरी तरह बैकफुट पर है, उनकी पार्टी में गुटबाजी हावी है और जहां तक राज्य सरकार की बात है, तो कोरोना काल में कोई व्यक्ति भूखा न सोए मुहिम पर काम किया, और हर वर्ग के विकास के काम किए हैं. इन्हीं कामों की वजह से दोनों नगर निगम में कांग्रेस की महिला प्रत्याशी महापौर बनेगी.

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इस दौरान ज्योति खंडेलवाल ने कहा कि बीजेपी भले ही मेयर चुने गए व्यक्ति को विधायक का टिकट देती हो. लेकिन उनकी पार्टी ने उन्हें विधायक का चुनाव न लड़वाकर सांसद का चुनाव लड़वाया. और अब उनके बाद एक बार फिर कांग्रेस की महिला प्रत्याशी दोनों नगर निगम में महापौर की सीट पर बैठेंगी.

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