जयपुर. राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से आयोजित कनिष्ठ सहायक लिपिक ग्रेड द्वितीय सीधी भर्ती-2018 एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार यह भर्ती पदों की कटौती को लेकर सुर्खियों में है. सरकार ने अंतिम परिणाम से पहले 481 पदों की कटौती कर दी थी. इन 481 पदों की कटौती से सामान्य और ओबीसी के अभ्यर्थियों को नुकसान हुआ है. दोनों वर्गों के कई अभ्यर्थी एलडीसी भर्ती से बाहर हो गए है. इसके कारण अभ्यर्थीयों में काफी रोष भी है.
एलडीसी भर्ती साल 2018 में 11255 पदों के लिए शुरू हुई थी. बाद में इस भर्ती में पदों की संख्या में बढ़कर 12456 हो गयी. इसी दौरान एमबीसी आरक्षण भी 1 से बढ़कर 5 फीसदी हो गया. एमबीसी के 444 अतिरिक्त पदों के साथ कुल पद 12900 हो गये. जब एलडीसी भर्ती का परिणाम जारी हुआ तो पदों की कुल संख्या 12419 ही बताई गई. इस तरह से 481 पद कम कर दिए. पदों की कटौती से अभ्यर्थियों में रोष व्याप्त हो गया. एमबीसी के 4 फीसदी अतिरिक्त पदों के हिसाब से 444 पद सृजित किए. लेकिन पदों में कटौती 481 पदों की कर दी.
पढ़ेंः COVID-19: रामगंज से बुजुर्ग और बीमार की शिफ्टिंग, इलाके को 13 जोन में बांटकर किया सील
इसके बाद जब आरक्षण के हिसाब से पदों को रिवाइज किया गया तो एमबीसी को तो कुल 5 फीसदी आरक्षण दे दिया गया. लेकिन जो कटौती हुई उसका नुकसान सामान्य और ओबीसी वर्ग को उठाना पड़ा. एलडीसी भर्ती 2018 में 12419 पद बताए गए. बोर्ड ने पात्रता और दस्तावेज जांच के बाद अंतिम परिणाम जारी कर 11631 पदों पर अभ्यर्थियों को नियुक्ति की गयी. इसके बावजूद अभी भी 788 अभ्यर्थियों की नियुक्ति करना शेष है. सचिवालय को 335, राजस्थान लोक सेवा आयोग को 36 और प्रशासनिक सुधार विभाग के जरिए अधीनस्थ कार्यालयों में नॉन टीएसपी में 10535 और टीएसपी एरिया में 725 चयनितों की नियुक्ति की सिफारिश की गई थी.
अभ्यर्थियों का आरोप है कि एलडीसी भर्ती परीक्षा 2018 में कटौती सिर्फ ओबीसी और जनरल वर्ग में की गई. इससे ओबीसी का आरक्षण 21फीसदी की जगह 17 फीसदी और जनरल का 50 फीसदी की जगह 46 फीसदी कर दिया जो कि बिल्कुल ही असंवैधानिक तरीका है. अभ्यर्थियों का आरोप है कि घोटाले को दबाने के लिए घर बैठे जल्दीबाजी में ईमेल के माध्यम से ऑनलाइन नियुक्तियां दी जा रही है और भर्ती में मेरिट लिस्ट भी जारी नहीं की गई है. बिना मेरिट लिस्ट के ही काउंसलिंग भी करवा ली गई. ना तो विभाग वार ने रिक्त पदों की जानकारी दी और ना ही वर्ग वार वर्गीकरण जारी किया है. वंचित रहे अभ्यर्थियों ने सरकार से मांग की है कि पदों की संख्या में बढ़ोतरी की जाए ताकि उन्हें न्याय मिल सके.