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निजी स्कूल में गाइडलाइन की पालना हो रही है या नहीं, संयुक्त अभिभावक संघ रखेगा नजर - राजस्थान की ताजा हिंदी खबरें

सरकार ने 18 जनवरी से 9वीं से 12वीं तक के बच्चों के स्कूल खोलने के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है, लेकिन संयुक्त अभिभावक संघ अभी भी सरकार के इस फैसले को जल्दबाजी बता रहा है. संघ का कहना है कि स्कूल खुलने पर सरकार की गाइडलाइन की पालना हो रही है या नहीं, इस पर उनकी एक टास्क फोर्स नजर रखेगी और लापरवाही मिलने पर मामला भी दर्ज करवाया जाएगा.

Case of opening school in Rajasthan, राजस्थान में स्कूल खोलने का मामला
राजस्थान में स्कूल खोलने का विरोध
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Published : Jan 16, 2021, 7:19 PM IST

जयपुर. सरकार की गाइडलाइन जारी होने के बाद कोरोना काल में करीब 10 महीने से बंद स्कूलें 18 जनवरी को खुलेंगी. हालांकि, संयुक्त अभिभावक संघ अभी स्कूल खोलने के सरकार के इस फैसले को जल्दबाजी बता रहा है.

संघ का कहना है कि राज्य सरकार ने अभी तक यह जानकारी नहीं दी है कि 1 लाख से अधिक स्कूलों, 25 लाख से ज्यादा शिक्षकों और करोड़ों बच्चों की मॉनिटरिंग कैसे होगी. इसके साथ ही संघ स्कूल खोलने से पहले शिक्षकों और स्कूल स्टाफ का कोविड टेस्ट करने की भी मांग कर रहा है.

संयुक्त अभिभावक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अरविंद अग्रवाल का कहना है कि संघ की ओर से पांच अलग-अलग टास्क फोर्स गठित की गई हैं, जो सोमवार को स्कूल खुलने पर कोविड-19 से बचाव के लिए सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की पालना को लेकर मॉनिटरिंग करेगी. इसमें लापरवाही सामने आने पर स्कूल प्रबंधन और शिक्षकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 269 और 270 क तहत जान जोखिम में डालने के मामले दर्ज करवाए जाएंगे.

पढ़ें- बाड़मेर: निर्माणाधीन पानी की होदी ढही, मजदूर को निकालने के रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

संघ के लीगल सेल प्रमुख अमित छंगाणी का कहना है कि किसी बीमारी को फैलाने के लिए किया गया लापरवाही भरा काम जिससे अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है. आईपीसी की धारा 269 के तहत दंडनीय अपराध है, जिसमें छह महीने की सजा का प्रावधान है, जबकि धारा 270 के तहत दो साल की सजा का प्रावधान है.

जयपुर. सरकार की गाइडलाइन जारी होने के बाद कोरोना काल में करीब 10 महीने से बंद स्कूलें 18 जनवरी को खुलेंगी. हालांकि, संयुक्त अभिभावक संघ अभी स्कूल खोलने के सरकार के इस फैसले को जल्दबाजी बता रहा है.

संघ का कहना है कि राज्य सरकार ने अभी तक यह जानकारी नहीं दी है कि 1 लाख से अधिक स्कूलों, 25 लाख से ज्यादा शिक्षकों और करोड़ों बच्चों की मॉनिटरिंग कैसे होगी. इसके साथ ही संघ स्कूल खोलने से पहले शिक्षकों और स्कूल स्टाफ का कोविड टेस्ट करने की भी मांग कर रहा है.

संयुक्त अभिभावक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अरविंद अग्रवाल का कहना है कि संघ की ओर से पांच अलग-अलग टास्क फोर्स गठित की गई हैं, जो सोमवार को स्कूल खुलने पर कोविड-19 से बचाव के लिए सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की पालना को लेकर मॉनिटरिंग करेगी. इसमें लापरवाही सामने आने पर स्कूल प्रबंधन और शिक्षकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 269 और 270 क तहत जान जोखिम में डालने के मामले दर्ज करवाए जाएंगे.

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संघ के लीगल सेल प्रमुख अमित छंगाणी का कहना है कि किसी बीमारी को फैलाने के लिए किया गया लापरवाही भरा काम जिससे अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है. आईपीसी की धारा 269 के तहत दंडनीय अपराध है, जिसमें छह महीने की सजा का प्रावधान है, जबकि धारा 270 के तहत दो साल की सजा का प्रावधान है.

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