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Special: मुफलिसी की मार झेल रहे मूर्तिकार, धूल फांक रहीं दिग्गजों की मूर्तियां

कोरोना संक्रमण ने कारोबारियों और छोटे कामगारों को सबसे अधिक प्रभावित किया है. अनलॉक के बाद लोगों का कामकाज धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा है, लेकिन कई वर्ग अब भी परेशान हैं. बात करें मूर्तिकारों की तो अभी भी काम न होने से वे आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. नईं मूर्तियां बनाने के ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं और पुरानी बनी हुईं मूर्तियां पड़े-पड़े धूल फांक रही हैं.

Sculptor troubled by economic crisis
आर्थिक संकट से परेशान मूर्तिकार
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Published : Oct 19, 2020, 10:16 PM IST

जयपुर. कोरोना महामारी के चलते सभी तरह के कारोबार प्रभावित हुए हैं. इसमें कला का क्षेत्र भी शामिल है. मूर्तिकला की बात की जाए तो इस समय कलाकारों के पास बड़ी-बड़ी मूर्तियां बनकर तैयार हैं, लेकिन इनके खरीदार नहीं मिल पा रहे हैं. कई राजनेताओं और दिग्गजों की मूर्तियां राजनीतिक अड़चनों के कारण अटकी हुई हैं.

आर्थिक संकट से परेशान मूर्तिकार

लॉकडाउन के समय गुलाबी नगरी के नामचीन मूर्तिकारों के कारखानों से काफी संख्या में मूर्तिकार अपने-अपने गांवों की ओर पलायन कर गए हैं. वहीं दूसरी तरफ कोरोना से पहले मिले मूर्ति बनाने के आधे से ज्यादा ऑर्डर भी कैंसिल हो चुके हैं. ऐसे में अधिकांश मूर्तिकारों और कारीगरों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. अनलॉक के बाद काम शुरू हुआ है लेकिन गांव गए कलाकार अभी तक वापस नहीं लौटे. वहीं दूसरी तरफ कुछ कलाकार अभी भी मूर्तियां बना रहे हैं लेकिन उसकी बिक्री शुरू नहीं हुई है. न ही कोई बड़ा काम मिल रहा है. ऐसे में हुनरमंद के हाथ खाली हैं.

Idols not sold
नहीं बिक रहीं मूर्तियां

यह भी पढ़ें: मूर्तिकारों पर कोरोना की मार, पहले गणेश चतुर्थी रही फीकी, अब नवरात्र का भी नहीं चढ़ रहा रंग

प्रसिद्ध मूर्तिकार महावीर भारती ने बताया कि कई कारीगर अब गांवों का रुख कर चुके हैं. ऐसे में स्टाफ की भी कमी हो गई है. पुराने काम जो मिले हुए थे, वे ऑर्डर भी कैंसिल करवा दिए गए. संकट की इस घड़ी में सरकारी आर्डर भी कैंसिल हो रहे हैं. ऐसे में अब कुछ नया काम मिले तो हालात सुधरे, क्योंकि अब स्थिति बदतर होती जा रही है. वहीं कोरोना से पहले मिले ऑर्डर में कई नेताओं की मूर्तियां तैयार हैं लेकिन राजनीतिक सभाएं नहीं होने के कारण उन्हें भी स्थापित नहीं किया गया. ऐसे में जब तक कार्यक्रम होने नहीं शुरू होंगे, मूर्तियां धूल फांकती रहेंगी.

यह भी पढ़ें: त्योहारी सीजन में भी आर्थिक संकट झेल रहे मूर्तिकार, मूर्तियां नहीं बिकने से दब रहे कर्ज तले

वहीं देश के विभिन्न राज्यों से आए हुनरमंद सालों से यहां काम कर रहे हैं. लेकिन कोरोना का संकट उनके लिए मुसीबत बन गया है. इसकी भरपाई अब तक नहीं हो पाई है. लखनऊ निवासी मूर्तिकार राम प्रकाश और प्रदीप कुमार कहते हैं कि कोरोना का काफी असर उनके काम पर पड़ा है जिसके चलते परिवार की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ गई है जो अब तक संभल नहीं सकी. वहीं जिन मूर्तियों को उन्होंने मूर्तरूप दिया है, उनकी भी डिलीवरी नहीं हुई जिससे पेमेंट अटका है.

इसके अलावा कई दिग्गजों की मूर्तियां तो ओछी राजनीति की भेंट चढ़ गईं हैं. पिछली सरकार ने कई दिग्गजों की भव्य मूर्तियां बनवाईं थीं लेकिन सरकार बदलने के साथ ही प्रतिमाओं की स्थापना भी अटक गई. यही वजह है कि भारती शिल्पकला केंद्र पर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, डॉ. भीमराव अंबेडकर, सुभाषचंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल के अलावा पूर्व बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी सहित कई राजनेताओं की मूर्तियां भी धूल फांक रही हैं. राजनीतिक फेरबदल के कारण उनको स्थापित ही नहीं किया जा सका है. इसका खामियाजा मूर्तिकारों को भुगतना पड़ रहा है. यही वजह है कि अब मूर्तिकला के हुनरमंद अब दूसरे काम की तलाश में हैं.

जयपुर. कोरोना महामारी के चलते सभी तरह के कारोबार प्रभावित हुए हैं. इसमें कला का क्षेत्र भी शामिल है. मूर्तिकला की बात की जाए तो इस समय कलाकारों के पास बड़ी-बड़ी मूर्तियां बनकर तैयार हैं, लेकिन इनके खरीदार नहीं मिल पा रहे हैं. कई राजनेताओं और दिग्गजों की मूर्तियां राजनीतिक अड़चनों के कारण अटकी हुई हैं.

आर्थिक संकट से परेशान मूर्तिकार

लॉकडाउन के समय गुलाबी नगरी के नामचीन मूर्तिकारों के कारखानों से काफी संख्या में मूर्तिकार अपने-अपने गांवों की ओर पलायन कर गए हैं. वहीं दूसरी तरफ कोरोना से पहले मिले मूर्ति बनाने के आधे से ज्यादा ऑर्डर भी कैंसिल हो चुके हैं. ऐसे में अधिकांश मूर्तिकारों और कारीगरों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. अनलॉक के बाद काम शुरू हुआ है लेकिन गांव गए कलाकार अभी तक वापस नहीं लौटे. वहीं दूसरी तरफ कुछ कलाकार अभी भी मूर्तियां बना रहे हैं लेकिन उसकी बिक्री शुरू नहीं हुई है. न ही कोई बड़ा काम मिल रहा है. ऐसे में हुनरमंद के हाथ खाली हैं.

Idols not sold
नहीं बिक रहीं मूर्तियां

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प्रसिद्ध मूर्तिकार महावीर भारती ने बताया कि कई कारीगर अब गांवों का रुख कर चुके हैं. ऐसे में स्टाफ की भी कमी हो गई है. पुराने काम जो मिले हुए थे, वे ऑर्डर भी कैंसिल करवा दिए गए. संकट की इस घड़ी में सरकारी आर्डर भी कैंसिल हो रहे हैं. ऐसे में अब कुछ नया काम मिले तो हालात सुधरे, क्योंकि अब स्थिति बदतर होती जा रही है. वहीं कोरोना से पहले मिले ऑर्डर में कई नेताओं की मूर्तियां तैयार हैं लेकिन राजनीतिक सभाएं नहीं होने के कारण उन्हें भी स्थापित नहीं किया गया. ऐसे में जब तक कार्यक्रम होने नहीं शुरू होंगे, मूर्तियां धूल फांकती रहेंगी.

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वहीं देश के विभिन्न राज्यों से आए हुनरमंद सालों से यहां काम कर रहे हैं. लेकिन कोरोना का संकट उनके लिए मुसीबत बन गया है. इसकी भरपाई अब तक नहीं हो पाई है. लखनऊ निवासी मूर्तिकार राम प्रकाश और प्रदीप कुमार कहते हैं कि कोरोना का काफी असर उनके काम पर पड़ा है जिसके चलते परिवार की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ गई है जो अब तक संभल नहीं सकी. वहीं जिन मूर्तियों को उन्होंने मूर्तरूप दिया है, उनकी भी डिलीवरी नहीं हुई जिससे पेमेंट अटका है.

इसके अलावा कई दिग्गजों की मूर्तियां तो ओछी राजनीति की भेंट चढ़ गईं हैं. पिछली सरकार ने कई दिग्गजों की भव्य मूर्तियां बनवाईं थीं लेकिन सरकार बदलने के साथ ही प्रतिमाओं की स्थापना भी अटक गई. यही वजह है कि भारती शिल्पकला केंद्र पर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, डॉ. भीमराव अंबेडकर, सुभाषचंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल के अलावा पूर्व बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी सहित कई राजनेताओं की मूर्तियां भी धूल फांक रही हैं. राजनीतिक फेरबदल के कारण उनको स्थापित ही नहीं किया जा सका है. इसका खामियाजा मूर्तिकारों को भुगतना पड़ रहा है. यही वजह है कि अब मूर्तिकला के हुनरमंद अब दूसरे काम की तलाश में हैं.

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