जयपुर. देश में शिक्षा के अधिकार का कानून बना हुआ है. सरकारें दावा करती हैं कि देश के किसी भी कोने का बच्चा शिक्षा के लौ से वंचित नहीं रहेगा. लेकिन कच्ची बस्ती और फुटपाथ पर रहने वाले कई मासूम आज भी शिक्षा से कोसों दूर है. जिनकी ओर प्रशासन भी ध्यान नहीं देती है. ऐसे ही बच्चों को शिक्षित करने का बेड़ा उठाया है, जयपुर की प्रेमलता तोमर ने. कुछ सालों पहले तक जो बच्चे सड़कों पर कचरा बीनने, गाली गलौज करने या अपने माता-पिता के साथ दूसरों के घर में साफ-सफाई और बर्तन धोने का काम किया करते थे, वो आज कुछ कर गुजरने का सपना बुन रहे हैं और ये सब तब संभव हो पाया है प्रेमलता की वजह से.
5 साल से बच्चों के सपनों को कर रहीं साकार
जयपुर के रामनगर में रहने वाली प्रेमलता तोमर बीते 5 साल से गरीब और कमजोर तबके के बच्चों को पढ़ाने का काम कर रही हैं. हालांकि उनके सामने कई चुनौतियां भी आई. जिनमें सबसे बड़ी चुनौती थी, बच्चों को आखिर कहां पढ़ाया जाए? ऐसे में उन्होंने मोक्ष धाम की जमीन को पाठशाला स्थल बनाया और 5 बच्चों को साथ लेकर उन्हें आगे बढ़ाने का सफर शुरू किया.
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अपने पति प्रवीण सिंह तोमर के निधन और तीनों बच्चों के सेटल हो जाने के बाद प्रेमलता तोमर ने इन बच्चों को ही मानो अपना परिवार बना लिया. यही वजह है कि कोरोना काल में जब मोक्ष धाम में कक्षाएं लगाना संभव नहीं हो पाया, तो उन्होंने पढ़ने की इच्छा रखने वाले बच्चों के लिए अपने घर के दरवाजे भी खोल दिए.
![Premlata is teaching students in free of cost](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8684508_sfsf.png)
एजुकेशन हुई फ्री, बच्चों ने दिखाई दिलचस्पी
प्रेमलता तोमर के पास पढ़ने वाले छात्रों ने बताया कि पहले पढ़ने में कोई रुचि नहीं थी. पैसे कमाने के लिए माता-पिता के साथ काम पर चले जाया करते थे, लेकिन जब उन्हें घर के नजदीक ही मोक्ष धाम में लगने वाली निशुल्क कक्षाओं की जानकारी लगी, तो आज उन में पढ़ने की ललक भी पैदा हो गई और अब वो सरकारी स्कूल में भी पढ़ने जाने लगे हैं.
50 बच्चे पढ़ते हैं यहां
प्रेमलता तोमर की मानें तो बच्चों को अक्षर ज्ञान के साथ-साथ संस्कार भी दिए जाते हैं. आज माता सरस्वती की अर्चना और भोजन मंत्र उनकी दिनचर्या में शुमार हो गया है. हालांकि यहां वो अकेली शिक्षिका हैं, इसलिए 50 बच्चों को ही संभाल पाती हैं. उनका लक्ष्य भी यही है कि यदि ये 50 बच्चे भी अपने भविष्य को संवारने में सफल होते हैं, तो उनका जीवन भी सफल हो जाएगा.
![Premlata is teaching students in free of cost](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8684508_dsgfsf.png)
प्रेमलता कहती हैं कि बच्चों के लिए पढ़ने की सामग्री के साथ-साथ खाने और पहनने की वस्तुएं भी उनके स्कूल में दी जाती है. जिसमें उनकी सहेलियां और सगे-संबंधी मदद कर देते हैं.
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राज्य सरकार प्रदेश के आखिरी बच्चे तक शिक्षा पहुंचाने का दावा करती है, लेकिन असल में इस दावे को मूर्त रूप देने का काम प्रेमलता तोमर जैसी महिलाएं कर रही हैं. जो बिना किसी वेतन और स्वार्थ के गरीब बच्चों को अक्षर ज्ञान दे रही हैं. बच्चों को पढ़ाने के लिए जगह नहीं मिल पाने की वजह से वे मोक्ष धाम की जमीन पर ही बच्चों को तालीम दे रही हैं और बच्चों को शिक्षित करने का प्रेमलता का ये जज्बा कोरोना काल में भी जारी है.