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JAIPUR RING ROAD: सैकड़ों किसानों को अभी तक नहीं मिला जमीन का मुआवजा - JAIPUR NEWS

जयपुर रिंग रोड प्रोजेक्ट के लिए के लिए करीब 26 गांव की 300 से ज्यादा किसानों की करीब एक हजार बीघा जमीन का जीडीए ने अधिग्रहण किया था. लेकिन अब किसानों का आरोप है कि अभी तक उन्हें सरकार की तरफ से मुआवजा नहीं मिला है.

JAIPUR RING ROAD, जमीन का मुआवजा
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Published : Aug 6, 2019, 11:49 PM IST

जयपुर. अजमेर रोड, टोंक रोड, आगरा रोड को जोड़ने वाली 47 किलोमीटर की रिंग रोड परियोजना के लिए 26 गांव की 300 से ज्यादा किसानों की करीब 1000 बीघा जमीन का जीडीए ने अधिग्रहण किया था. तब 25% मिश्रित उपयोग की भूमि या मुआवजा राशि अवॉर्ड के रूप देना तय हुआ था. लेकिन किसानों का आरोप है कि अभी तक उन्हें उनका मुआवजा नहीं मिला है.

JAIPUR RING ROAD: सैकड़ों किसानों को अभी तक नहीं मिला जमीन का मुआवजा

किसानों का यह भी कहना है की जेडीए ने उनकी उनकी पुश्तैनी जमीन को पुराने कानून के तरह अधिग्रहण किया है. जबकि नए कानून के मुताबिक जमीन की कीमत उससे चार गुना ज्यादा है. ऐसे में उन्हें 25 प्रतिशत मुआवजा लेना स्वीकार नहीं है.

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पीपला, नेवटा, मुहाना, अभयपुरा, अचरावाला, रासलिया जैसे गांव के किसान आज भी मुआवजे की राशि के लिए आस लगाए बैठे हुए हैं. हालांकि कुछ गांव के किसानों ने प्रशासन की ओर से दिए जा रहे 25 फीसदी मुआवजा को स्वीकार कर लिया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए किसानों ने कहा कि जेडीए कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक चप्पले घिस, लेकिन कहीं भी उन्हें इंसाफ नहीं मिला, जवाब नहीं. और ना ही आश्वासन मिला.

जयपुर. अजमेर रोड, टोंक रोड, आगरा रोड को जोड़ने वाली 47 किलोमीटर की रिंग रोड परियोजना के लिए 26 गांव की 300 से ज्यादा किसानों की करीब 1000 बीघा जमीन का जीडीए ने अधिग्रहण किया था. तब 25% मिश्रित उपयोग की भूमि या मुआवजा राशि अवॉर्ड के रूप देना तय हुआ था. लेकिन किसानों का आरोप है कि अभी तक उन्हें उनका मुआवजा नहीं मिला है.

JAIPUR RING ROAD: सैकड़ों किसानों को अभी तक नहीं मिला जमीन का मुआवजा

किसानों का यह भी कहना है की जेडीए ने उनकी उनकी पुश्तैनी जमीन को पुराने कानून के तरह अधिग्रहण किया है. जबकि नए कानून के मुताबिक जमीन की कीमत उससे चार गुना ज्यादा है. ऐसे में उन्हें 25 प्रतिशत मुआवजा लेना स्वीकार नहीं है.

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पीपला, नेवटा, मुहाना, अभयपुरा, अचरावाला, रासलिया जैसे गांव के किसान आज भी मुआवजे की राशि के लिए आस लगाए बैठे हुए हैं. हालांकि कुछ गांव के किसानों ने प्रशासन की ओर से दिए जा रहे 25 फीसदी मुआवजा को स्वीकार कर लिया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए किसानों ने कहा कि जेडीए कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक चप्पले घिस, लेकिन कहीं भी उन्हें इंसाफ नहीं मिला, जवाब नहीं. और ना ही आश्वासन मिला.

Intro:जयपुर रिंग रोड प्रोजेक्ट के लिए सैकड़ों किसानों की भूमि को अवाप्त किया गया। इस भूमि के बदले काश्तकारों को 25% मिश्रित उपयोग की भूमि या मुआवजे की राशि अवॉर्ड के अनुरूप देना तय हुआ। लेकिन आज तक 26 गांवों के 300 से ज्यादा किसानों को उनकी भूमि के मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया। किसानों का ये भी आरोप है कि नए कानून के तहत 90 मीटर जमीन अवाप्त की जानी थी, लेकिन रिंग रोड के लिए 360 मीटर जमीन अवाप्त की गई। और मुआवजा महज 25% दिया जा रहा है जो उन्हें नामंजूर है।


Body:अजमेर रोड, टोंक रोड, आगरा रोड को जोड़ने वाली 47 किलोमीटर की रिंग रोड परियोजना के लिए किसानों की बेशकीमती जमीन का अधिग्रहण के पुराने कानून के तहत कर लिया गया। लेकिन 26 गांव के 300 से ज्यादा किसान जिनकी करीब 1000 बीघा भूमि का अधिग्रहण किया गया। उन्हें जेडीए प्रशासन की ओर से आज तक मुआवजा नहीं दिया गया। पीपला, नेवटा, मुहाना, अभयपुरा, अचरावाला, रासलिया जैसे गांव के किसान आज भी मुआवजे की राशि के लिए आस लगाए बैठे हुए हैं। हालांकि कुछ गांव के किसानों ने प्रशासन की ओर से दिए जा रहे 25 फ़ीसदी मुआवजे को अपनी तकदीर मान कर अपना लिया। लेकिन 26 गांव के किसान आज भी मुआवजा राशि के लिए संघर्ष कर रहे हैं। किसानों की माने तो उनकी पुश्तैनी जमीन को पुराने कानून के तहत अधिग्रहण कर लिया गया। जबकि नए कानून के अनुसार बाजार भाव का 4 गुना राशि उन्हें मिलनी चाहिए थी। लेकिन उन्हें एक रोटी के चौथाई टुकड़े के बराबर मुआवजा दिया जा रहा है। इसे लेकर उन्होंने जेडीए कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक चप्पले घिस ली। लेकिन कहीं भी उन्हें संतुष्टि भरा जवाब नहीं मिला। ऐसे में ये किसान फिलहाल न्याय का इंतजार कर रहे हैं।


Conclusion:रिंग रोड परियोजना से शहरवासियों की आस जुड़ी हुई है। ये प्रोजेक्ट पूरा होता है तो शहर को बाहरी वाहनों के ट्रैफिक से भी निजात मिलेगी। लेकिन इस परियोजना ने सैकड़ों किसानों की उम्मीदों पर फिलहाल पानी फेर दिया है। और जिम्मेदार कान में रुई डाल कर इनकी फरियाद सुनने को तैयार नहीं।
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