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बढ़ते ऑनलाइन ठगी को देखते हुए साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस मंथ शुरू....1 लाख लोगों को जागरुक करने का लक्ष्य

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Published : Oct 10, 2021, 9:05 PM IST

बढ़ते साइबर ठगी के प्रकरणों (Cyber Crime) को देखते हुए जयपुर पुलिस (Jaipur Police) ने लोगों को जागरुक करने का जिम्मा उठाया है. इसके तहत पुलिस अवेयरनेस ड्राइव का संचालन कर रही है.

Cyber Security Awareness Month, Jaipur news
जयपुर में साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस मंथ

जयपुर. पुलिस ने जयपुर वासियों को जागरूक करने के लिए 1 महीने का साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस मंथ (Cyber Security Awareness Month Jaipur) शुरू किया है. जिसके तहत जयपुर पुलिस ने एक लाख शहर वासियों को जागरूक करने का प्रण किया है. इस विशेष अवेयरनेस ड्राइव के जरिए पुलिस ना केवल आमजन को साइबर ठगी के तरीकों से रूबरू करवा रही है, बल्कि ठगी के तरीकों से बचाव और ठगी का शिकार होने पर उसके निदान से संबंधित तमाम महत्वपूर्ण जानकारी आमजन को दी जा रही है.

डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद के सुपरविजन में इस अवेयरनेस ड्राइव का संचालन किया जा रहा है और वेबीनार के जरिए आमजन को अपने साथ जोड़ कर उन्हें जागरूक किया जा रहा है.

जयपुर में साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस मंथ

साइबर क्रिमिनल नहीं होते कोई बड़े टेक्नोक्रेटसाइबर

सिक्योरिटी अवेयरनेस मंथ के बारे में जानकारी देते हुए ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने बताया कि अक्टूबर माह में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस मंथ का आयोजन किया जाता है. उसी के तहत जयपुर पुलिस ने भी पहली बार पहल करते हुए साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस मंथ की शुरुआत की है. उन्होंने बताया कि जिस तरह से साइबर ठगी के प्रकरण सामने आ रहे हैं. उससे एक बात तो पूरी तरह से क्लियर है कि साइबर क्रिमिनल कोई बड़े टेक्नोक्रेट नहीं होते हैं. चाहे ऑनलाइन पेमेंट हो या फिर किसी भी अन्य तरह की टेक्नोलॉजी उसमें साइबर क्रिमिनल सेंधमारी नहीं कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें. #HoneyTrap का मकड़जाल : राजस्थान में हनीट्रैप में फंस रहे लोग..धन भी जा रहा और इज्जत भी, देश तक का सौदा करने को तैयार

साइबर क्रिमिनल यूजर को निशाना बनाने के लिए केवल यूजर के अबोध और जागरूक नहीं होने का फायदा उठाकर ठगी की वारदात को अंजाम देते हैं. जिसे देखते हुए यूजर को ठगी का शिकार होने से बचने के लिए जागरूक होना बेहद आवश्यक है. उसी को मद्देनजर रखते हुए 1 महीने का विशेष जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.

6 साइबर एक्सपर्ट्स का पैनल रोजाना वेबीनार के जरिए कर रहा आमजन को जागरूक

डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने बताया कि जागरूकता अभियान के तहत 6 साइबर एक्सपर्ट्स का एक पैनल वेबीनार के जरिए आमजन को जागरूक करने का काम कर रहा है. आमजन को जागरूक करने के लिए प्रतिदिन सुबह और शाम दो सेशन चलाए जा रहे हैं और प्रति सेशन तीन एक्सपर्ट लोगों को जागरूक कर रहे हैं. अभियान को सफल बनाने के लिए प्रत्येक थाने के बीट कांस्टेबल को क्षेत्र के अधिक से अधिक लोगों को इस अभियान के साथ जोड़ने का टारगेट दिया गया है.

अभियान से जुड़ने के लिए जूम एप्लीकेशन के जरिए रजिस्टर कर कोई भी व्यक्ति सेशन को अटेंड कर सकता है. सेशन के दौरान लोगों को साइबर ठगी की बेसिक जानकारी यानी की कैसे साइबर ठगी को पहचाने, कैसे उससे बचाव करें और कैसे उसकी रिपोर्ट करें जैसे बातों के बारे में जानकारी दी जा रही है.

यह भी पढ़ें. मानवाधिकार आयोग के डिप्टी रजिस्ट्रार साइबर ठगी का शिकार! रिमोट एप्लीकेशन के जरिए चाही मदद, लग गया 56 हजार का चूना

डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने ईटीवी भारत के माध्यम से आमजन से इस अभियान के साथ ज्यादा से ज्यादा संख्या में जुड़ने की अपील की है. उन्होंने ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों से इस अभियान के साथ जुड़ने और ज्ञान अर्जित कर अपने परिवार के अन्य सदस्य और अन्य परिचितों को जागरूक करने की अपील की है.

सोने की ईंट या सोने के जेवर जमीन से निकलने की बात कह ठगी करने वाले ही कर रहे साइबर ठगी

डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने बताया कि जो ठग पूर्व में खुदाई के दौरान जमीन में गड़ा धन, सोने की ईंट या सोने के जेवरात निकलने की बात कहकर लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे, उन्हीं लोगों ने अब अपना पेटर्न चेंज किया है और अब वह साइबर ठगी के जरिए लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. पहले ठग धन का लालच देकर लोगों को ठगते ते थे तो वहीं अब ऑनलाइन माध्यमों के जरिए लॉटरी का झांसा देकर या फिर बड़े मुनाफे का झांसा देकर लोगों को ठग रहे हैं.

यह भी पढ़ें. मिलावट पर रोक लगाने के दावे फेल...फुड इंस्पेक्टर की कमी से मिलावटखोरों पर नहीं लग पा रही नकेल

यदि कोई भी व्यक्ति फोन करके यूजर से उसके बैंक से संबंधित निजी जानकारी मांग रहा है तो वह शक के घेरे में है. ऐसे में उस व्यक्ति के साथ बैंक की निजी जानकारी शेयर करने की बजाए संबंधित ब्रांच से संपर्क कर शिकायत दर्ज कराएं और ठगी का शिकार होने से बचे. तमाम वित्तीय संस्थान विभिन्न माध्यमों से यूजर को लगातार इस बात को लेकर जागरूक करती है कि वह कभी भी अपनी बैंक से संबंधित निजी जानकारी किसी के साथ भी शेयर ना करें.

ठगी का शिकार होने पर तुरंत करें 155260 पर शिकायत

डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने बताया कि साइबर ठगी का शिकार होने पर यूजर समय बर्बाद करने के बजाय तुरंत उसकी शिकायत साइबर फाइनेंसियल फ्रॉड प्रीवेंशन यूनिट हेल्पलाइन 155260 पर करे. यदि यूजर को यह नंबर याद नहीं रहता है तो वह पुलिस कंट्रोल रूम में 100 नंबर पर फोन कर भी शिकायत दर्ज करा सकता है. साइबर फाइनेंसियल फ्रॉड प्रीवेंशन यूनिट यूजर की शिकायत पर तुरंत एक्शन लेते हुए ट्रांजैक्शन को फ्रीज करवा कर ठगी गई राशि को साइबर ठगों के खाते में जाने से रोकती है और संबंधित बैंक से समन्वय स्थापित कर पीड़ित को उसकी ठगी गई राशि जल्द से जल्द वापस दिलाने पर काम करती है.

जयपुर में अगस्त तक दर्ज साइबर ठगी के प्रकरणों का तुलनात्मक अध्ययन

जिला2019 20202021
उत्तर 552612
दक्षिण120 40 38
पूर्व12037 50
पश्चिम135 20 40
साइबर थाना6664 22

जयपुर. पुलिस ने जयपुर वासियों को जागरूक करने के लिए 1 महीने का साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस मंथ (Cyber Security Awareness Month Jaipur) शुरू किया है. जिसके तहत जयपुर पुलिस ने एक लाख शहर वासियों को जागरूक करने का प्रण किया है. इस विशेष अवेयरनेस ड्राइव के जरिए पुलिस ना केवल आमजन को साइबर ठगी के तरीकों से रूबरू करवा रही है, बल्कि ठगी के तरीकों से बचाव और ठगी का शिकार होने पर उसके निदान से संबंधित तमाम महत्वपूर्ण जानकारी आमजन को दी जा रही है.

डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद के सुपरविजन में इस अवेयरनेस ड्राइव का संचालन किया जा रहा है और वेबीनार के जरिए आमजन को अपने साथ जोड़ कर उन्हें जागरूक किया जा रहा है.

जयपुर में साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस मंथ

साइबर क्रिमिनल नहीं होते कोई बड़े टेक्नोक्रेटसाइबर

सिक्योरिटी अवेयरनेस मंथ के बारे में जानकारी देते हुए ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने बताया कि अक्टूबर माह में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस मंथ का आयोजन किया जाता है. उसी के तहत जयपुर पुलिस ने भी पहली बार पहल करते हुए साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस मंथ की शुरुआत की है. उन्होंने बताया कि जिस तरह से साइबर ठगी के प्रकरण सामने आ रहे हैं. उससे एक बात तो पूरी तरह से क्लियर है कि साइबर क्रिमिनल कोई बड़े टेक्नोक्रेट नहीं होते हैं. चाहे ऑनलाइन पेमेंट हो या फिर किसी भी अन्य तरह की टेक्नोलॉजी उसमें साइबर क्रिमिनल सेंधमारी नहीं कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें. #HoneyTrap का मकड़जाल : राजस्थान में हनीट्रैप में फंस रहे लोग..धन भी जा रहा और इज्जत भी, देश तक का सौदा करने को तैयार

साइबर क्रिमिनल यूजर को निशाना बनाने के लिए केवल यूजर के अबोध और जागरूक नहीं होने का फायदा उठाकर ठगी की वारदात को अंजाम देते हैं. जिसे देखते हुए यूजर को ठगी का शिकार होने से बचने के लिए जागरूक होना बेहद आवश्यक है. उसी को मद्देनजर रखते हुए 1 महीने का विशेष जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.

6 साइबर एक्सपर्ट्स का पैनल रोजाना वेबीनार के जरिए कर रहा आमजन को जागरूक

डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने बताया कि जागरूकता अभियान के तहत 6 साइबर एक्सपर्ट्स का एक पैनल वेबीनार के जरिए आमजन को जागरूक करने का काम कर रहा है. आमजन को जागरूक करने के लिए प्रतिदिन सुबह और शाम दो सेशन चलाए जा रहे हैं और प्रति सेशन तीन एक्सपर्ट लोगों को जागरूक कर रहे हैं. अभियान को सफल बनाने के लिए प्रत्येक थाने के बीट कांस्टेबल को क्षेत्र के अधिक से अधिक लोगों को इस अभियान के साथ जोड़ने का टारगेट दिया गया है.

अभियान से जुड़ने के लिए जूम एप्लीकेशन के जरिए रजिस्टर कर कोई भी व्यक्ति सेशन को अटेंड कर सकता है. सेशन के दौरान लोगों को साइबर ठगी की बेसिक जानकारी यानी की कैसे साइबर ठगी को पहचाने, कैसे उससे बचाव करें और कैसे उसकी रिपोर्ट करें जैसे बातों के बारे में जानकारी दी जा रही है.

यह भी पढ़ें. मानवाधिकार आयोग के डिप्टी रजिस्ट्रार साइबर ठगी का शिकार! रिमोट एप्लीकेशन के जरिए चाही मदद, लग गया 56 हजार का चूना

डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने ईटीवी भारत के माध्यम से आमजन से इस अभियान के साथ ज्यादा से ज्यादा संख्या में जुड़ने की अपील की है. उन्होंने ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों से इस अभियान के साथ जुड़ने और ज्ञान अर्जित कर अपने परिवार के अन्य सदस्य और अन्य परिचितों को जागरूक करने की अपील की है.

सोने की ईंट या सोने के जेवर जमीन से निकलने की बात कह ठगी करने वाले ही कर रहे साइबर ठगी

डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने बताया कि जो ठग पूर्व में खुदाई के दौरान जमीन में गड़ा धन, सोने की ईंट या सोने के जेवरात निकलने की बात कहकर लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे, उन्हीं लोगों ने अब अपना पेटर्न चेंज किया है और अब वह साइबर ठगी के जरिए लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. पहले ठग धन का लालच देकर लोगों को ठगते ते थे तो वहीं अब ऑनलाइन माध्यमों के जरिए लॉटरी का झांसा देकर या फिर बड़े मुनाफे का झांसा देकर लोगों को ठग रहे हैं.

यह भी पढ़ें. मिलावट पर रोक लगाने के दावे फेल...फुड इंस्पेक्टर की कमी से मिलावटखोरों पर नहीं लग पा रही नकेल

यदि कोई भी व्यक्ति फोन करके यूजर से उसके बैंक से संबंधित निजी जानकारी मांग रहा है तो वह शक के घेरे में है. ऐसे में उस व्यक्ति के साथ बैंक की निजी जानकारी शेयर करने की बजाए संबंधित ब्रांच से संपर्क कर शिकायत दर्ज कराएं और ठगी का शिकार होने से बचे. तमाम वित्तीय संस्थान विभिन्न माध्यमों से यूजर को लगातार इस बात को लेकर जागरूक करती है कि वह कभी भी अपनी बैंक से संबंधित निजी जानकारी किसी के साथ भी शेयर ना करें.

ठगी का शिकार होने पर तुरंत करें 155260 पर शिकायत

डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने बताया कि साइबर ठगी का शिकार होने पर यूजर समय बर्बाद करने के बजाय तुरंत उसकी शिकायत साइबर फाइनेंसियल फ्रॉड प्रीवेंशन यूनिट हेल्पलाइन 155260 पर करे. यदि यूजर को यह नंबर याद नहीं रहता है तो वह पुलिस कंट्रोल रूम में 100 नंबर पर फोन कर भी शिकायत दर्ज करा सकता है. साइबर फाइनेंसियल फ्रॉड प्रीवेंशन यूनिट यूजर की शिकायत पर तुरंत एक्शन लेते हुए ट्रांजैक्शन को फ्रीज करवा कर ठगी गई राशि को साइबर ठगों के खाते में जाने से रोकती है और संबंधित बैंक से समन्वय स्थापित कर पीड़ित को उसकी ठगी गई राशि जल्द से जल्द वापस दिलाने पर काम करती है.

जयपुर में अगस्त तक दर्ज साइबर ठगी के प्रकरणों का तुलनात्मक अध्ययन

जिला2019 20202021
उत्तर 552612
दक्षिण120 40 38
पूर्व12037 50
पश्चिम135 20 40
साइबर थाना6664 22
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