जयपुर. 'बीरो भात भरण ने आयो रे, म्हारे घर लाडली रो ब्याव' ये राजस्थानी लोकगीत तब सुनने को मिले, जब जयपुर के वाल्मीकि बस्ती में एकाएक पुलिस की गाड़ियां पहुंची. तब वाहनों से उतरे पुलिसकर्मियों के हाथ में हथियार की बजाए सौगातें थीं. यह देखकर लोगों में कौतूहल की स्थिति बन गई. पुलिसकर्मी थाने के एक सफाई कर्मचारी की बहन की शादी में मायरा भरने पहुंचे थे. जैसे ही पुलिसकर्मी भात भरने पहुंचे तो घरवालों ने उनका तिलकर लगाकर स्वागत सत्कार किया. जब सफाईकर्मी की बहन की शादी के लिए लाई गई सौगातें पुलिसवालों ने सौंपी तो परिवार वाले अभिभूत हो गए.
दरअसल, शहर के चित्रकूट थाने में पिछले ढाई साल से प्रकाश वाल्मीकि सफाई कर्मचारी के तौर पर काम कर रहा था. लेकिन कोरोना काल में उसके परिवार की आर्थिक स्थिति काफी तंगहाल हो गई. वहीं प्रकाश के ऊपर से पिता का साया भी उठ चुका है. ऐसे में प्रकाश के बहन वर्षा की शादी की तारीख दिनों-दिन नजदीक आ गई. लेकिन जब शादी की रश्में शुरू हुईं, तब उसी थाने के पुलिसकर्मी उसके परिवार के लिए फरिश्ते बनकर आएं. जहां गाजे-बाजे के साथ चित्रकूट थानाधिकारी वीरेंद्र कुरील ने बिटिया का भात भरा और सफाईकर्मी प्रकाश की मां को एक भाई की रश्म निभाते हुए चुनरी ओढाई. ये भाव विभोर पल देखकर हर किसी की आंखे खुशी से छलक पड़ी.
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किशनगढ़ निवासी मनोज संग सात फेरे लेने वाले वर्षा की शादी में चित्रकूट पुलिस ने नगद 51,151 रुपए, मामा चुनरी, सोने-चांदी के आभूषण, फल-मिटाई से भात भरा. उनके साथ ही थाने के सीएलजी सदस्यों ने भी सफाईकर्मी प्रकाश की बहन को अपनी बहन समझते हुए 18,101 रुपए नगद और अन्य सामान भेंट किए. पुलिसकर्मियों ने विधि-विधान से भात की रश्में अदा की. पुलिसकर्मियों के इस नेक कार्य के लिए परिजनों के साथ-साथ कॉलोनीवासियों ने आभार व्यक्त किया. इस दौरान परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं था.
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वैसे तो पुलिस महकमा आमतौर पर अपनी कड़क मिजाजी के लिए जाना जाता है. लेकिन ऐसे भावनात्मक पहल खाकी के पीछे छुपे मानवीय चेहरे को भी दर्शाता है, जो कि काफी सुकून भरा है.