जयपुर. न्याय का सिद्धांत है कि न्याय होना ही नहीं, बल्कि दिखाई भी देना चाहिए. ऐसा ही उदाहरण दिखाते हुए पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-3 महानगर प्रथम ने महज पांच कार्य दिवस में ट्रायल पूरी कर नौ साल की मासूम से दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त कमलेश मीणा को बीस साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर दो लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
न्याय क्षेत्र से जानकारों का कहना है कि प्रदेश की न्यायपालिका में संभवत: यह पहला मामला है जब अदालत ने पांच दिन में सुनवाई पूरी कर अभियुक्त को सजा सुनाई हो. पुलिस की ओर से घटना के 12 घंटे में अभियुक्त को गिरफ्तार कर 6 घंटे में आरोप पत्र पेश किया था. कोर्ट ने भी तत्परता दिखाते हुए महज पांच कार्य दिवस में सुनवाई पूरी कर अभियुक्त को सजा सुनाई है. ट्रायल के दौरान अस्पताल में भर्ती पीड़िता के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बयान दर्ज कराए गए.
अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक रचना मान ने अदालत को बताया की गत 26 सितंबर की शाम 9 साल की पीड़िता अपने नाना के लिए बीड़ी खरीदने बाजार गई थी. रास्ते में अकेला पाकर अभियुक्त ने उसका अपहरण कर लिया. इसके बाद वह उसे सुनसान जगह ले गया और दुष्कर्म किया.
इस दौरान खून से लथपथ पीड़िता के रोने पर अभियुक्त ने गला दबाकर उसे मारने का प्रयास भी किया. वहीं घटना के बाद जैसे तैसे पीडिता ने घर पहुंच कर परिजनों को घटना की जानकारी दी. इस पर पीड़िता के परिजनों ने कोटखावदा थाने में मामला दर्ज कराया. मामले की जानकारी मिलने पर कोटखावदा थाना पुलिस सहित करीब 150 पुलिसकर्मियों 12 घंटे में अभियुक्त को गिरफ्तार कर अगले 6 घंटे में आरोप पत्र पेश कर दिया.
18 घंटे में आरोप पत्र, अस्पताल से हुई गवाही
परिजनों की ओर से देर रात दर्ज कराए गए मामले में पुलिस ने तत्काल टीमों का गठन कर 12 घंटे में आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. वहीं अगले छह घंटे में जांच पूरी कर अदालत में आरोप पत्र पेश कर दिया. दुष्कर्म के चलते पीडिता गंभीर रूप से घायल हो गई थी. ऐसे में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. ट्रायल के दौरान न्याय प्रशासन की ओर से अस्पताल से ही वीसी के जरिए पीड़िता के बयान लेने की व्यवस्था की गई.
जल्द सुनवाई का प्रार्थना पत्र पेश
पुलिस की ओर से मामले में आरोप पत्र पेश करने के बाद अभियोजन पक्ष की ओर से भी त्वरित कार्रवाई की गई. विशेष लोक अभियोजक ने अदालत मेंं प्रार्थना पत्र पेश कर हाई स्पीड से प्रकरण का निस्तारण करने की गुहार की. गवाही के दौरान खौफजदा पीड़िता को अनजान लोगों से डर और असहज नहीं हो, इसके लिए मामले की विशेष लोक अभियोजक ने गवाही से पूर्व अस्पताल पहुंचकर पीड़िता के काफी देर तक बातचीत कर उसका डर दूर किया.
गलती हो गई, जीवन भर रहेगा अफसोस
ट्रायल के दौरान बयान मुल्जिम की स्टेज पर अदालत की ओर से पूछने पर अभियुक्त ने अपना जुर्म स्वीकार कर किया. इस पर अदालत ने कहा कि वह सोचकर बताए, इसके बाद भी अभियुक्त ने माना की उसने पीड़िता से दुष्कर्म किया है. वहीं अदालत की ओर से सजा सुनाने के बाद बाहर आकर अभियुक्त रोने लगा. उसने कहा कि उससे गलती हो गई और इस बात का उसे जीवन भर अफसोस रहेगा.
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एडिशनल पुलिस कमिश्नर क्राइम अजय पाल लांबा का बयान
नाबालिग बच्चों से होने वाले दुष्कर्म को लेकर लगातार की मांग उठती आ रही थी कि आरोपियों को समय पर सख्त सजा मिले ताकि दूसरा कोई भी इस तरह की घटना करने से पहले सौ बार सोचे. राजस्थान की जयपुर पुलिस ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि न केवल वह आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार करती है, बल्कि उन्हें कोर्ट से जल्द सजा तक भी पहुंचाती है. 5 दिन के अंदर आरोपी की गिरफ्तारी और कोर्ट से 20 साल की सजा के इस मामले ने नजीर पेश की है.
राजस्थान पुलिस का दावा है कि संभवत देश का पहला ऐसा मामला है जिसमें महज 5 दिन में आरोपी को कोर्ट से सजा मिली है. एडिशनल पुलिस कमिश्नर क्राइम अजय पाल लांबा ने कहा कि इस पूरे मामले में पुलिस अधिकारियों ने कड़ी मेहनत करते हुए जल्दी चालान पेश करने के साथ-साथ मेडिकल और साइंटिफिक एविडेंस समय पर कलेक्ट किये. नाबालिग बच्ची के साथ रेप की घटना को देखते हुए एफएसएल से डीएनए परीक्षण रिपोर्ट भी अल्प समय में एफएसएल अधिकारियों ने पुलिस को समय पर दी. जिससे समय पर एफएसएल रिपोर्ट न्यायालय में पेश हो सकी.
सभी गवाहों को न्यायालय की मांग के अनुसार कोर्ट में पेश किया गया, जिससे समय पर गवाही हो सकी. कोर्ट में पैरवी करने वाले पब्लिक प्रॉसिक्यूटर का भी सराहनीय योगदान रहा है. पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने प्रभावी पैरवी करते हुए कम समय में मामले का अध्ययन करके सफल बनाया है. जिसके परिणाम स्वरुप आरोपी को जल्द सजा मिल गई है. एडिशनल पुलिस कमिश्नर अजय पाल लांबा ने बताया कि देश का यह पहला प्रकरण है, जिसमें इतने कम समय में घटना के घटित होने के बाद सजा सुनाने तक सबसे छोटा समय रहा है. लांबा ने बताया कि राजस्थान में इतने कम समय में चालान पेश होकर सजा होने का यह एकमात्र केस है. संभवतः यह देश का भी पहला केस हो जिसमें इतने कम समय में आरोपी को आजीवन कारावास की सजा हुई है.
अजय पाल लांबा ने बताया कि भविष्य में भी जो नाबालिग बच्चों के साथ अपराध होता है उन अपराधों में पूरी संवेदनशीलता के साथ अनुसंधान करते हुए त्वरित न्यायालय में चालान पेश किया जाएगा. कोशिश होगी कि समय बजे तरीके से सभी गवाहों को न्यायालय में पेश करके शीघ्र निर्णय करा सकें.