जयपुर. कोरोना से बिगड़ी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की आर्थिक सेहत में अब सुधार होने लगा है. केंद्र सरकार ने वित्तीय कंपनियों को लेकर कई फैसले लिए, जिसके चलते कंपनियां अब कोरोना संकट से उभरती नजर आ रही है. वित्तीय कंपनियों से जुड़े जानकारों का कहना है कि कोरोना महामारी की शुरुआत में बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. देखें ये खास रिपोर्ट
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां आमतौर पर एमएसएमई सेक्टर और होम लोन से जुड़े लोन देती हैं. बैंकिंग वित्तीय कंपनी के डिप्टी जनरल मैनेजर अश्विनी कुमार पारीक का कहना है कि कोरोना महामारी के शुरुआत में इसका असर गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर देखने को मिला. जब लॉकडाउन लगा तो लोग कर्ज से जुड़ी ईएमआई चुकाने में असमर्थ थे, इससे कंपनियों पर आर्थिक बोझ बढ़ने लगा, हालांकि अश्विनी पारीक का कहना है कि जो ईएमआई लोन की जनरेट होती है उसका पैसा कुछ ज्यादा नहीं होता है. ऐसे में 50 फीसदी से अधिक लोगों ने समय पर अपने ऋण चुकाए.
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ऋण वसूली से आई थी परेशानी
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का कहना है कि जब कोविड-19 के चलते लॉकडाउन किया गया, तो शुरुआती कुछ महीने में ऋण वसूली को लेकर कुछ परेशानियां उठानी पड़ी थी. हालांकि, इस दौरान सरकार की ओर से लोन मोरेटोरियम का ऐलान भी किया गया था. अधिकतर कंपनियों ने इस दौरान कर्जदारों को ऋण वसूली को लेकर राहत प्रदान की थी, लेकिन कंपनियों का कहना है कि अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं.
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एनपीए नहीं हुआ प्रभावित
अश्विनी कुमार पारीक कहते हैं कि सरकार की ओर से कुछ राहत कर्जदारों को दी गई थी. इस दौरान लोन मोरेटोरियम का ऐलान भी किया गया था, तो ऐसे में कंपनियों ने भी कर्जदारों को राहत प्रदान की. लोन मोरेटोरियम के दौरान किसी भी तरह की ऋण वसूली कर्ज को लेकर नहीं की गई.
आगामी बजट से उम्मीदें
केंद्र सरकार अब अपने आगामी बजट की तैयारियों में जुट गई है. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को उम्मीद है कि जो घाटा उन्हें कोविड-19 के दौरान उठाना पड़ा है, उसे लेकर सरकार जरूर कोई बड़ी राहत प्रदान करेगी. हाल ही में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों ने अपनी समस्याओं से केंद्र सरकार को भी अवगत कराया है.