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मोदी के 'फिट इंडिया' की जिम्मेदारी जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान पर...करेगा देश के परंपरागत व्यंजनों पर रिसर्च

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Published : Sep 9, 2019, 6:26 PM IST

Updated : Sep 9, 2019, 7:32 PM IST

केंद्र सरकार का आयुष मंत्रालय अब देश के परंपरागत व्यंजनों को लेकर रिसर्च करेगा. इसे पीएम नरेंद्र मोदी के फिट इंडिया थीम से जोड़कर देखा जा रहा है. क्योंकि, मंत्रालय का मानना है कि पिछले कुछ सालों में जिस तरह से लाइफ स्टाइल में बदलाव आया है, उससे गंभीर रोग पनप रहे हैं.

jaipur news, जयपुर न्यूज

जयपुर. भारत में हर क्षेत्र का खान पान मशहूर है. चाहे वह राजस्थान का दाल-बाटी-चूरमा हो या गुजरात का थेपला हो, महाराष्ट्र का बड़ा पाव हो या फिर तमिलनाडु का सांभर डोसा, इन परंपरागत व्यंजनों को लेकर आयुष मंत्रालय रिसर्च करेगा और इसको जिम्मा जयपुर स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को सौंपा गया है.

पीएम के फिट इंडिया थीम पर अब व्यंजनों पर रिसर्च करेगी आयुर्वेद संस्थान

पढ़ेंः किन्नरों ने राजस्थानी युवक को सरेराह पीटा, परिजनों ने किया शव लेने से इंकार

इसके तहत संस्थान यह पता लगाया कि जिस वातावरण और जिन स्थानों पर परंपरागत व्यंजन काफी वर्षों से उपयोग में लाए जा रहे हैं, उसका सेहत पर क्या असर पड़ रहा है. क्योंकि, आयुर्वेद संस्थान के अनुसार भारत के हर क्षेत्र के मशहूर व्यंजन काफी पौष्टिक हैं. संस्थान यह पता लगाएगा कि भारतवर्ष में मौसम के हिसाब से खान-पान में आखिर क्यों बदलाव किए जाते हैं.

इन पारंपरिक व्यंजनों को किया गया शामिल

  • राजस्थान- दाल,बाटी, चूरमा
  • गुजरात- थेपला, खांडवी, पंकी
  • महाराष्ट्र- बड़ा पाव, मोदक, थालीपीठ, श्रीखंड
  • दिल्ली- चाट, छोले-भटूरे, परांठा-तंदूरी चिकन
  • बिहार- लिट्टी-चोखा, तिलकुट, सत्तू, खाजा
  • मध्य प्रदेश- बाफला बाटी, भोपाली कबाब
  • कर्नाटक- मैसूर पाक, केसरी और बीसी बेले भात
  • पंजाब- मक्का-रोटी, सरसों का साग, कुल्चा
  • तमिलनाडु- अप्पम, इडली, सांभर, डोसा, पोंगल
  • आंध्र प्रदेश- बिरयानी, मिर्ची की सेनल, कोरी-कोरा
  • केरल- मालाबार परांठा, सध्या मील
  • हरियाणा- छाछ, लस्सी, बाजरे की खिचड़ी और काचरी की सब्जी

आयुर्वेद संस्थान देश के सभी राज्यों के व्यंजनों को लेकर एक रिकॉर्ड तैयार करेगा और इसे केंद्र सरकार को सौंपेगा.

जयपुर. भारत में हर क्षेत्र का खान पान मशहूर है. चाहे वह राजस्थान का दाल-बाटी-चूरमा हो या गुजरात का थेपला हो, महाराष्ट्र का बड़ा पाव हो या फिर तमिलनाडु का सांभर डोसा, इन परंपरागत व्यंजनों को लेकर आयुष मंत्रालय रिसर्च करेगा और इसको जिम्मा जयपुर स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को सौंपा गया है.

पीएम के फिट इंडिया थीम पर अब व्यंजनों पर रिसर्च करेगी आयुर्वेद संस्थान

पढ़ेंः किन्नरों ने राजस्थानी युवक को सरेराह पीटा, परिजनों ने किया शव लेने से इंकार

इसके तहत संस्थान यह पता लगाया कि जिस वातावरण और जिन स्थानों पर परंपरागत व्यंजन काफी वर्षों से उपयोग में लाए जा रहे हैं, उसका सेहत पर क्या असर पड़ रहा है. क्योंकि, आयुर्वेद संस्थान के अनुसार भारत के हर क्षेत्र के मशहूर व्यंजन काफी पौष्टिक हैं. संस्थान यह पता लगाएगा कि भारतवर्ष में मौसम के हिसाब से खान-पान में आखिर क्यों बदलाव किए जाते हैं.

इन पारंपरिक व्यंजनों को किया गया शामिल

  • राजस्थान- दाल,बाटी, चूरमा
  • गुजरात- थेपला, खांडवी, पंकी
  • महाराष्ट्र- बड़ा पाव, मोदक, थालीपीठ, श्रीखंड
  • दिल्ली- चाट, छोले-भटूरे, परांठा-तंदूरी चिकन
  • बिहार- लिट्टी-चोखा, तिलकुट, सत्तू, खाजा
  • मध्य प्रदेश- बाफला बाटी, भोपाली कबाब
  • कर्नाटक- मैसूर पाक, केसरी और बीसी बेले भात
  • पंजाब- मक्का-रोटी, सरसों का साग, कुल्चा
  • तमिलनाडु- अप्पम, इडली, सांभर, डोसा, पोंगल
  • आंध्र प्रदेश- बिरयानी, मिर्ची की सेनल, कोरी-कोरा
  • केरल- मालाबार परांठा, सध्या मील
  • हरियाणा- छाछ, लस्सी, बाजरे की खिचड़ी और काचरी की सब्जी

आयुर्वेद संस्थान देश के सभी राज्यों के व्यंजनों को लेकर एक रिकॉर्ड तैयार करेगा और इसे केंद्र सरकार को सौंपेगा.

Intro:जयपुर- केंद्र सरकार का आयुष मंत्रालय अब देश के परंपरागत व्यंजनों को लेकर रिसर्च करेगा और इसे पीएम नरेंद्र मोदी के फिट इंडिया थीम से जोड़कर देखा जा रहा है क्योंकि मंत्रालय ने माना है कि पिछले कुछ सालों में जिस तरह से लाइफ स्टाइल में बदलाव आया है उससे गंभीर रोग पनप रहे हैं


Body:भारत देश में हर क्षेत्र का खान पान मशहूर है चाहे वह राजस्थान का चूरमा दाल बाटी हो, गुजरात का थेपला हो, महाराष्ट्र का वड़ा पाव हो या फिर तमिलनाडु का सांभर डोसा हो..... इन परंपरागत व्यंजनों को लेकर आयुष मंत्रालय रिसर्च करेगा और इसको जिम्मा सौंपा गया है जयपुर स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को...... इसके तहत संस्थान यह पता लगाएगा कि जिस वातावरण और जिन स्थानों पर परंपरागत व्यंजन काफी वर्षों से उपयोग में लाए जा रहे हैं उसका सेहत पर क्या असर पड़ रहा है क्योंकि आयुर्वेद संस्थान का मानना है कि भारत के हर क्षेत्र के मशहूर व्यंजन काफी पौष्टिक है और आयुर्वेद संस्थान यह भी पता लगाएगा कि भारतवर्ष में मौसम के हिसाब से खान-पान में आखिर क्यों बदलाव किए जाते हैं

इन पारंपरिक व्यंजनों को किया गया शामिल

राजस्थान -दाल बाटी चूरमा
गुजरात- थेपला खांडवी पंकी
महाराष्ट्र- वडापाव मोदक थालीपीठ श्रीखंड
दिल्ली- चाट छोले भटूरे पराठा तंदूरी चिकन
बिहार- लिट्टी चोखा तिलकुट सत्तू खाजा
मध्य प्रदेश- बाफला बाटी भोपाली कबाब
कर्नाटक -मैसूर पाक केसरी बीसी बेले भात
पंजाब- मक्का रोटी सरसों का साग कुल्चा
तमिलनाडु -अप्पम इडली सांभर डोसा पोंगल
आंध्र प्रदेश- बिरयानी मिर्ची की सैनल कोरीकोरा
केरल- मालाबार पराठा सेडया मील
हरियाणा- छाछ लस्सी बाजरे की खिचड़ी और काचरी की सब्जी


Conclusion:आयुर्वेद संस्थान देश के सभी राज्यों के व्यंजनों को लेकर एक रिकॉर्ड तैयार करेगा और इसे केंद्र सरकार को सौंपेगा

बाईट-प्रो संजीव शर्मा,निदेशक राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान
Last Updated : Sep 9, 2019, 7:32 PM IST
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