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Jaipur Court Judgement : अश्लील इशारों के लिए टोकने पर युवक की हत्या, दो को उम्रकैद की सजा

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Published : May 27, 2022, 8:28 PM IST

जयपुर में महिलाओं पर अश्लील इशारों के लिए टोकने पर युवक की हत्या (Jaipur Court Judgement) में कोर्ट ने दो दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही उन दोनों पर तीस हजार का जुर्माना भी लगाया है.

Jaipur Murder Case
अश्लील इशारों के लिए टोकने पर युवक की हत्या

जयपुर. जिले के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने महिलाओं को अश्लील इशारों के लिए टोकने पर युवक की हत्या (Jaipur Court Judgement) के मामले में दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने अभियुक्तों राहुल कंडेरा और मोहनलाल कंडेरा को सजा सुनाते हुए उनपर तीस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक रामलाल भामू ने अदालत को बताया कि चंदवाजी निवासी सुनील कुमार के घर के पास रहने वाले अभियुक्त उसके घर की महिला और लड़कियों पर अश्लील इशारे करते थे.

इसकी बार-बार शिकायत करने के बावजूद वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे थे. सुनील कुमार का साला शशिकांत सितंबर 2014 में वहां आया था. सुनील की पत्नी ने इस संबंध में शशिकांत को जानकारी दी थी. जब शशिकांत ने दोनों अभियुक्तों को फटकार लगाई तो दोनों उससे रंजिश रखने लगे. इसके चलते अभियुक्तों ने 16 सितंबर 2014 को शशिकांत को धोखे से एकांत में बुलाया और उसे शराब पिलाई. इसके बाद अभियुक्तों से धारदार हथियार से उसकी हत्या कर दी. अभियुक्तों ने काम लिए चाकू को छिपा दिया और खून से सने कपड़ों को जलाकर नष्ट कर दिया.

पढ़ें. Jaipur: हत्या के मामले में कोर्ट ने मांगे सबूत, पुलिस बोली- बंदर ले गए

कोर्ट में कहा- सबूत बंदर ले गए: रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया. लेकिन साक्ष्य मांगने पर पुलिस ने कहा कि सबूत बंदर (Monkeys took away evidence in Jaipur Murder Case) ले गए. सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की ओर से कहा गया कि जब्तशुदा माल अदालत में पेश नहीं हुआ है. ऐसे में साक्ष्य के अभाव का लाभ अभियुक्तों को मिलना चाहिए.

इस पर सरकारी वकील ने कहा कि 10 अप्रैल 2016 की रोजनामचा रिपोर्ट के अनुसार मालखाने की सफाई के दौरान माल लोहे की टीन के नीचे रखा था. जिसे अचानक बंदर उठाकर ले गए. अदालत ने इस मामले में तत्कालीन मालखाना प्रभारी हनुमान सहाय यादव को दोषी माना है, लेकिन उनकी मौत हो चुकी है. इन परिस्थितियों से स्पष्ट है कि मानव नियंत्रण से परे होने के कारण साक्ष्य पेश नहीं हुए. इसके अलावा जब्त माल का एफएसएल में परीक्षण हो चुका था. ऐसे में इसका लाभ अभियुक्त पक्ष को नहीं मिल सकता.

यह साक्ष्य ले भागे थे बंदर: कट्टे में वारदात स्थल की मिट्टी, मौके से उठाए सीमेंट कंक्रीट के सैंपल, वारदात स्थल के आसपास से उठाए खून के सैंपल, आरोपी का बनियान और टीशर्ट, प्लास्टिक बोतल, खून लगी जींस, अंडरगारमेंट, खून लगा हुआ चाकू, सफेद और लाल टी शर्ट, आसमानी रंग का पजामा, भूरे रंग की खून लगी पेंट, हवाई चप्पल, मोबाइल फोन और जार में रखे गए कुछ अन्य सैंपल.

जयपुर. जिले के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने महिलाओं को अश्लील इशारों के लिए टोकने पर युवक की हत्या (Jaipur Court Judgement) के मामले में दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने अभियुक्तों राहुल कंडेरा और मोहनलाल कंडेरा को सजा सुनाते हुए उनपर तीस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक रामलाल भामू ने अदालत को बताया कि चंदवाजी निवासी सुनील कुमार के घर के पास रहने वाले अभियुक्त उसके घर की महिला और लड़कियों पर अश्लील इशारे करते थे.

इसकी बार-बार शिकायत करने के बावजूद वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे थे. सुनील कुमार का साला शशिकांत सितंबर 2014 में वहां आया था. सुनील की पत्नी ने इस संबंध में शशिकांत को जानकारी दी थी. जब शशिकांत ने दोनों अभियुक्तों को फटकार लगाई तो दोनों उससे रंजिश रखने लगे. इसके चलते अभियुक्तों ने 16 सितंबर 2014 को शशिकांत को धोखे से एकांत में बुलाया और उसे शराब पिलाई. इसके बाद अभियुक्तों से धारदार हथियार से उसकी हत्या कर दी. अभियुक्तों ने काम लिए चाकू को छिपा दिया और खून से सने कपड़ों को जलाकर नष्ट कर दिया.

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कोर्ट में कहा- सबूत बंदर ले गए: रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया. लेकिन साक्ष्य मांगने पर पुलिस ने कहा कि सबूत बंदर (Monkeys took away evidence in Jaipur Murder Case) ले गए. सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की ओर से कहा गया कि जब्तशुदा माल अदालत में पेश नहीं हुआ है. ऐसे में साक्ष्य के अभाव का लाभ अभियुक्तों को मिलना चाहिए.

इस पर सरकारी वकील ने कहा कि 10 अप्रैल 2016 की रोजनामचा रिपोर्ट के अनुसार मालखाने की सफाई के दौरान माल लोहे की टीन के नीचे रखा था. जिसे अचानक बंदर उठाकर ले गए. अदालत ने इस मामले में तत्कालीन मालखाना प्रभारी हनुमान सहाय यादव को दोषी माना है, लेकिन उनकी मौत हो चुकी है. इन परिस्थितियों से स्पष्ट है कि मानव नियंत्रण से परे होने के कारण साक्ष्य पेश नहीं हुए. इसके अलावा जब्त माल का एफएसएल में परीक्षण हो चुका था. ऐसे में इसका लाभ अभियुक्त पक्ष को नहीं मिल सकता.

यह साक्ष्य ले भागे थे बंदर: कट्टे में वारदात स्थल की मिट्टी, मौके से उठाए सीमेंट कंक्रीट के सैंपल, वारदात स्थल के आसपास से उठाए खून के सैंपल, आरोपी का बनियान और टीशर्ट, प्लास्टिक बोतल, खून लगी जींस, अंडरगारमेंट, खून लगा हुआ चाकू, सफेद और लाल टी शर्ट, आसमानी रंग का पजामा, भूरे रंग की खून लगी पेंट, हवाई चप्पल, मोबाइल फोन और जार में रखे गए कुछ अन्य सैंपल.

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